फर्क नही पढ़ता शायरी| Phark Nahee Nadhata Shaayaree Hindi Mein » Dard E Jazbaat फर्क नही पढ़ता शायरी| Phark Nahee Nadhata Shaayaree Hindi Mein फर्क नही पढ़ता शायरी| Phark Nahee Nadhata Shaayaree Hindi Mein

फर्क नही पढ़ता शायरी| Phark Nahee Nadhata Shaayaree Hindi mein

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फर्क नही पढ़ता शायरी| Phark Nahee Nadhata Shaayaree Hindi mein-फर्क नहीं पड़ता” ये एक वाक्य है, जो शायद हर किसी के दिल में कभी न कभी आ ही जाता है। यह उन परिस्थितियों को दर्शाता है, जब हम किसी रिश्ते, किसी व्यक्ति, या किसी स्थिति से उम्मीदें हार चुके होते हैं। कभी-कभी हमें यह समझना पड़ता है कि जिनसे हमें उम्मीद थी, वे कभी हमारे साथ नहीं रहते। लेकिन फिर भी, दिल में एक जगह रहती है, एक छोटी सी उम्मीद कि कुछ न कुछ तो है, जो हमें हमेशा खुश रखता है। यही “फर्क नहीं पड़ता” का संदेश है – हमारे अंदर की ताकत, हमारी आत्मा, हमारी सोच, वो कभी नहीं बदलती।

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फर्क नही पढ़ता शायरी| Phark Nahee Nadhata Shaayaree Hindi mein

फर्क नही पढ़ता शायरी| Phark Nahee Nadhata Shaayaree Hindi mein
फर्क नही पढ़ता शायरी| Phark Nahee Nadhata Shaayaree Hindi mein

1.
जब तुमसे दूर हो जाता हूँ, दिल थोड़ा उदास हो जाता है,
पर फिर सोचता हूँ तुमको फर्क नहीं पड़ता है,

2.
वो कहते हैं, ‘प्यार में कुछ फर्क नहीं पड़ता’,
तुम्हारी हँसीतो मेरे ग़म का फर्क मिट जाता है।

3.
जब तुमसे मुलाकात नहीं होती, तो फर्क तो पड़ता है,
पर क्या करूँ, बर्दास्त करना ही पड़ता है ।

फर्क नही पढ़ता शायरी| Phark Nahee Nadhata Shaayaree Hindi mein
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4.
वो हमें छोड़कर चले गए, यह सच है,
लेकिन क्या फर्क पड़ता है, जब दिल उन्हीं के नाम से महकता है।

5.
कभी तुमसे मिलने की तलब होती है, कभी तुम्हारी यादों की,
क्या फर्क पड़ता है, हर रास्ता तुम तक पहुँचता है।

6.
लोग कहते हैं कि समय सब कुछ ठीक कर देता है,
पर क्या फर्क पड़ता है, जब मेरी जिन्दगी मुझसे दूर है ??

7.
बिना तुम्हारे दुनिया में सब कुछ अधूरा सा लगता है,
तुम किसी और के लिए छोड़ गए मुझे फर्क पड़ता है,

8
आशा है कि तुम्हारी यादें कभी दूर नहीं जाएँगी,
क्योंकि क्या फर्क पड़ता है, जब वही यादें दिल को सुकून देती हैं।

9.
जब वो हमें समझ नहीं पाए, तो हमें फर्क नहीं पड़ा,
क्योंकि हमारी दुनिया में उनके बिना भी कुछ कम नहीं पड़ा।

10.
सच्चे रिश्ते कभी खत्म नहीं होते, बस वक्त बदल जाता है,
क्या फर्क पड़ता है, जब दिल का रिश्ता हमेशा बना रहता है।

Farq Nahi Padta Shayari – Hinglish Version


Woh kehte hain ki farq nahi padta, kya farq padta hai?
Jab dil aur jazbaaton mein farq na ho, toh kya farq padta hai?
Har rishtay mein utaar-chadhaav aate hain, yeh sach hai.
Lekin jab kisi ki yaadon se farq nahi padta, toh kya farq padta hai?

1.
Jab tumse door ho jata hoon, dil thoda udaas ho jata hai,
Par phir sochta hoon, kya farq padta hai, kyunki dil tumse hi paas ho jata hai.

2.
Woh kehte hain, ‘Pyar mein kuch farq nahi padta’,
Lekin tumhari hansi mein hi toh mere har gham ka farq mit jata hai.

3.
Jab tumse mulaqat nahi hoti, toh farq toh padta hai,
Par kya karoon, jab tumse pyar karta hoon, toh woh farq bhi pyara lagta hai.

4.
Woh humein chhodkar chale gaye, yeh sach hai,
Lekin kya farq padta hai, jab dil unhi ke naam se mehkta hai.

5.
Kabhi tumse milne ki talab hoti hai, kabhi tumhari yaadon ki,
Kya farq padta hai, har raasta tum tak pahuchta hai.

6.
Log kehte hain ki samay sab kuch theek kar deta hai,
Par kya farq padta hai, jab meri har saans mein tum ho.

7.
Bina tumhare duniya mein sab kuch adhoora sa lagta hai,
Kya farq padta hai, jab tum mere dil ke andar baste ho.

8.
Asha hai ki tumhari yaadein kabhi door nahi jayengi,
Kyuki kya farq padta hai, jab woh yaadein dil ko sukoon deti hain.

9.
Jab woh humein samajh nahi paye, toh humein farq nahi pada,
Kyuki humari duniya mein unke bina bhi kuch kam nahi pada.

10.
Sachche rishtay kabhi khatam nahi hote, bas waqt badal jata hai,
Kya farq padta hai, jab dil ka rishta hamesha bana rehta hai.

6.
तुमने जो कहा था, मैं कभी भूल नहीं पाई,
लेकिन अब तुम्हारी यादों से, मुझे फर्क नहीं पड़ता, यही सच्चाई।

7.
कभी सोचा था, तुम्हारे बिना क्या करूँगा,
पर अब एहसास हुआ, मुझे फर्क नहीं पड़ता,

8.
तुमसे दूर होने के बाद, मैंने खुद को फिर से पाया,
अब मैं जो हूं, वह मैं ही हूं, और मुझे फर्क नहीं पड़ता किसी ने क्या कहा।

9.
कभी डर लगता था, अकेले जीने से,
अब सुकून मिलता है, मुझे फर्क नहीं पड़ता किसी से।

10.
जो मेरे थे, वो अब नहीं रहे पास,
लेकिन फिर भी मेरी दुनिया में, मुझे फर्क नहीं पड़ता किसी की खामोशी या अहसास।

11.
वो जो ख्वाब हमने देखे थे, वो टूट गए थे एक दिन,
लेकिन अब इन टूटे ख्वाबों में, मुझे फर्क नहीं पड़ता किसी की नफरत या अफवाहों से।

12.
जिन्हें हमने कभी अपना माना, वो अब दूर हो गए,
लेकिन अब मुझे फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि मैं खुद के पास हूँ।

13.
कभी लगता था, बिना तुम कुछ अधूरा हूँ,
पर अब मैं जान चुका हूँ, मुझे फर्क नहीं पड़ता, मैं खुद में पूरा हूँ।

14.
खुद से ही मिले हैं इतने रंग,
अब मुझे फर्क नहीं पड़ता, दुनिया के किसी रंग से।

15.
तुम्हारे बिना जो जिया, वो अब मेरा हिस्सा बन गया,
मुझे फर्क नहीं पड़ता, मैं खुद से बहुत प्यार करने लगा।

16.
तुमसे मिलने की अब कोई ख्वाहिश नहीं रही,
मैंने अपने दर्द को अपनी ताकत बना मुझे फर्क नहीं पड़ता।

17.
जो कभी तुम्हारी यादों में खो जाता था,
अब मैं उन यादों से बाहर आ गया हूँ, मुझे फर्क नहीं पड़ता।

18.
कभी लगता था, तुम बिन सब खत्म हो जाएगा,
लेकिन मुझे फर्क नहीं पड़ता।

19.
जो हमें छोड़कर चले गए थे, अब वो लौट के आए,हैं
लेकिन मैं अब खुद के साथ हूँ, मुझे फर्क नहीं पड़ता।

फर्क नही पढ़ता शायरी| Phark Nahee Nadhata Shaayaree Hindi mein
फर्क नही पढ़ता शायरी| Phark Nahee Nadhata Shaayaree Hindi mein

20.
वो जो कभी कहते थे, तुम मेरे बिना कुछ नहीं,
अब ]कहता हूँ, मुझे फर्क नहीं पड़ता, मैं खुद ही सब कुछ हूँ।

21.
तुमसे जुड़ी वो छोटी-छोटी बातें अब फीकी लगने लगीं,
क्योंकि अब मुझे खुद की मौजूदगी में, सुकून मिलने लगा है, मुझे फर्क नहीं पड़ता।

22.
तुम्हारी यादें जो दिल में कहीं छुपी थीं,
अब वही यादें मेरे ताकत का हिस्सा बन गईं, मुझे फर्क नहीं पड़ता।

23.
जो कभी सब कुछ था, अब वो कुछ नहीं है,
क्योंकि अब मैं खुद को समझ चुका हूँ, और मुझे फर्क नहीं पड़ता।

24.
वो दिन थे जब तुम्हारे बिना सब खाली सा लगता था,
अब वो ही खालीपन मेरी पूरी दुनिया बन गया है, मुझे फर्क नहीं पड़ता।

25.
तुमसे दूर होने के बाद, मैंने खुद को पाया,
अब मैं खुद में ही खुश हूँ, और मुझे फर्क नहीं पड़ता।

26.
तुम्हारी हंसी अब दिल को न हंसाती है,
अब मेरी तन्हाई में, मुझे फर्क नहीं पड़ता।

27.
जो कभी मेरी वजह से रोते थे, अब वो खुश हैं कहीं,
पर अब मुझे फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि मैं खुद के लिए जी रहा हूँ।

28.
वो बातें जो कभी हमें बहुत खास लगती थीं,
अब वे साइलेंट हो गईं, और मुझे फर्क नहीं पड़ता।

29.
तुमसे जुड़ी हर याद अब धुंधली हो गई,
लेकिन अब मेरी यादें खुद के साथ हैं, मुझे फर्क नहीं पड़ता।

30.
जो एक वक्त में मेरे जीने का कारण थे,
अब वो ही वजहें, मेरे जीने की रुकावट नहीं, मुझे फर्क नहीं पड़ता।

31.
वो दिल जो कभी तुम्हारे लिए धड़कता था,
अब खुद की धड़कन से मेरा रिश्ता है, मुझे फर्क नहीं पड़ता।

32.
कभी तुम्हारे बिना जीने की सोच भी नहीं सकता था,
अब खुद से प्यार करना सीखा है, मुझे फर्क नहीं पड़ता।

33.
जो तुम थे वो अब नहीं हो, ये बात समझी है मैंने,
अब खुद से बेहतर कोई नहीं, मुझे फर्क नहीं पड़ता।

34.
तुमसे उम्मीदें थीं, तुमसे प्यार था बहुत,
लेकिन अब कोई उम्मीद नहीं, क्योंकि मुझे फर्क नहीं पड़ता।

35.
राहें बदल गईं, और रुक गए वो साथ,
लेकिन मुझे फर्क नहीं पड़ता, मैंने खुद से जोड़ा है साथ।

36.
दूसरों की सोच, उनकी बातें अब बेकार लगने लगीं,
क्योंकि अब मुझे फर्क नहीं पड़ता, खुद की खामोशी में मैं जीने लगा हूँ।

37.
कभी दिल में उम्मीदें थीं कि तुम वापस आओगे,
अब दिल में सिर्फ एक अहसास है, मुझे फर्क नहीं पड़ता।

38.
जो कभी मेरे थे, वो अब किसी और के हैं,
लेकिन अब मुझे फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि मैं खुद को अपना मानने लगा हूँ।

39.
तुमसे दूर हो कर मैं सशक्त हुआ,
अब मुझे फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि अब मेरी पहचान खुद से है।

40.
जो कभी सबसे जरूरी थे, अब वो अपनी राहों में खो गए,
लेकिन मुझे फर्क नहीं पड़ता, मैं खुद की राह पर चल पड़ा हूँ।

41.
तुमसे मिलने की अब कोई चाहत नहीं,
अब मेरी चाहत खुद से ही जुड़ी है, मुझे फर्क नहीं पड़ता।

42.
जो कभी मेरे दिल में था, अब वो सर्द हो गया,
लेकिन अब मुझे फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि खुद को समझना आसान हो गया।

43.
तुम्हारी बातों में जो कभी ताकत थी, वो अब फीकी लगती है,
अब मेरी आवाज़ में खुद की ताकत है, मुझे फर्क नहीं पड़ता।

44.
वो जो हमेशा पास रहते थे, अब नहीं दिखते,
अब मैं अपनी दुनिया में हूँ, मुझे फर्क नहीं पड़ता।

45.
जो कुछ खो गया था, वो अब भुला दिया है,
अब जो मेरे पास है, वही असली है, मुझे फर्क नहीं पड़ता।

46.
हमेशा एक उम्मीद थी कि सब कुछ ठीक हो जाएगा,
लेकिन अब मैं जानता हूँ, खुद को सही बनाना ही सबसे जरूरी है, मुझे फर्क नहीं पड़ता।

47.
जो कभी मेरे साथ थे, वो अब अपने रास्ते पर चल पड़े,
अब मैं खुद के रास्ते पर हूँ, मुझे फर्क नहीं पड़ता।

48.
तुम्हारी यादें कभी ताजगी देती थीं, अब वो धुंधली हो गईं,
अब मेरी ज़िन्दगी में खुद की मुस्कान है, मुझे फर्क नहीं पड़ता।

49.
तुमसे जुड़ी बातें अब अपनी ही यादों में खो गईं,
अब मेरा ध्यान अपने सपनों पर है, मुझे फर्क नहीं पड़ता।

50.
वो जो मेरे बिना जीने की बात करते थे,
अब मैं उन्हीं के बिना पूरी दुनिया जी रहा हूँ, मुझे फर्क नहीं पड़ता।

51.
वो जो एक वक्त था, कभी बिना देखे नहीं जीते थे,
अब खुद को देखता हूँ, और मुझे फर्क नहीं पड़ता।

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52.
तुमसे मिले बिना भी जीने का अब तरीका ढूँढ़ लिया,
तुमसे दूर रहकर अब खुद से प्यार करना सीख लिया है, मुझे फर्क नहीं पड़ता।

53.
जो कभी मेरी खुशियाँ तुम्हारे पास होती थीं,
अब वो खुशियाँ मेरी अपनी हैं, मुझे फर्क नहीं पड़ता।

54.
कभी तुम्हारी बातें दिल में गूंजती थीं,
अब अपनी बातों से दिल को संतुष्ट किया है, मुझे फर्क नहीं पड़ता।

55.
वो जो अब दूर हो गए हैं, वो अब तकलीफ नहीं देते,
क्योंकि अब खुद के साथ खुश हूँ, मुझे फर्क नहीं पड़ता।

56.
जो कभी मेरी उम्मीद थे, अब वो मेरी तलाश नहीं,
अब मैं खुद से उम्मीद करता हूँ, मुझे फर्क नहीं पड़ता।

57.
तुम्हारी यादें अब थोड़ी धुंधली हो गई हैं,
अब तो खुद की मुस्कान ही ज्यादा प्यारी है, मुझे फर्क नहीं पड़ता।

58.
जो कभी मेरी दुनिया थे, वो अब सिर्फ एक याद रह गए,
अब मैं खुद को अपनी दुनिया बना चुका हूँ, मुझे फर्क नहीं पड़ता।

59.
तुमसे जुड़ी हर एक बात अब स्याही बन चुकी है,
अब वो स्याही मेरी अपनी किताब में है, मुझे फर्क नहीं पड़ता।

60.
कभी सब कुछ तुम्हारे लिए करता था, अब खुद के लिए जीता हूँ,
मुझे फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि अब खुद से ही प्रेम करता हूँ।

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