500+जुदाई पर दर्द भरी शायरी/Judaee Par Dard Bharee Shaayaree-आज हम आपके लिए जुदाई की दर्द भरी शायरी पोस्ट लेकर आए हैं जुदाई का दर्द शब्दों में बयान करना आसान नहीं होता। जब हम किसी अपने से दूर होते हैं, तब हर पल एक दर्एद का अहसास जलाता है । ऐसे में शायरी हमें उन भावनाओं को शब्दों में व्यक्त करने का एक माध्यम देती है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम 1000 जुदाई की दर्द भरी शायरी दिल को छू लेने वाली शायरियों का संग्रह प्रस्तुत कर रहे हैं, जो जुदाई के दर्द को बखूबी बयान करती हैं। इन शायरियों को पढ़कर आपको अपनी भावनाओं को समझने और साझा करने का मौका मिलेगा।जुदाई पर दर्द भरी शायरी: दिल से निकली पुकार है जुदाई का दर्द हर किसी के दिल को छू जाता है।ये शायरी आपके जज्बातों को बयां करने में मदद करेंगी। आइए, इन शायरियों के साथ अपने दिल की बातें कहें।उम्मीद करते है आपको ये शायरी जरुर पसंद आएंगी
#जुदाई
#दर्दभरीशायरी
#इश्ककादर्द
#विरहकीशायरी
#तन्हाई
#दिलसे
#दर्दएजुदाई
#इश्क
#बिछड़ना
#मोहब्ब
1.
दिल के टूटने की आवाज़ नहीं होती,
जुदाई कभी बेवजह नहीं होती।
2.
तेरी जुदाई में हम जीना तो सीख गए,
पर खुश रहने का हुनर न सिख पाए ।
3.
कभी सोचा ना था कि यूँ जुदा हो जाओगे,
तुम मेरी जिन्दगी बनकर चले जाओगे।
4.
जुदा होकर भी तुझसे मोहब्बत करेंगे,
तू चाहे हमें कभी याद ना करे।हम तुझे चाहेंगे
5.
अब तो हर पल बस तेरा ही ख्याल आता है,
जुदा होकर भी तू मेरी सांसों में समाता है।
6
.
तेरे बिना ये रातें बहुत उदास हैं,
तू जो साथ हो, तो रत दिन खास है।
7.
दूरियों ने हमें जुदा कर दिया,
पर तेरी यादों ने मुझे रुला दिया।
8
तू नहीं है तो ज़िन्दगी वीरान है,
तेरे बिना जिन्दगी बेईमान है।
9.
तेरी जुदाई ने दिल को तड़पा दिया,
भरी दुनियां में तन्हा कर दिया
10.
तू दूर है तो क्या हुआ, तू फिर भी पास है
दिल में तेरी मौजूदगी का एहसास है।
11.
वो जुदा हो गए हमसे,
हम तन्हाई के हो गए तबसे
12.
जुदा हो कर भी तेरा प्यार जिन्दा है,
दिल की गहराइयों में तू आज भी जिंदा है।
13.
तेरी जुदाई का असर है यही ,
अब कोई और दिल को भाता नहीं।
14.
तेरी यादों का सहारा फखत मेरे पास,है
वरना जुदाई का दर्द सहना नही आसान है
16
तेरी मोहब्बत में खो कर,
मैंने खुद को ही पा लिया।
17.
जुदाई का दर्द आँखों में साफ झलकता है,
तेरे बिना दिल बेहिसाब तड़पता है।
18.
तेरी जुदाई में हमने जीना छोड़ दिया,
जबसे जुदा हुए सबसे नाता तोड़ दिया
19.
तेरी जुदाई ने मुझे बदल दिया,
तेरी मोहबत्त का अहसास करा दिया
20.
तेरी यादों ने मेरे दिल को घर बना लिया,
तेरे सिवा किसी का ख्याल नही रहा
21.
तेरे बिना जिंदगी इस तरह अधूरी है,
जैसे कोई किताब बिना पन्नों अधूरी है
22.
जुदाई का दर्द जब हद से बढ़ जाता है,
दिल तेरी याद में भुत रोता है
23.
तेरी जुदाई का गम इस दिल से कभी जाएगा नहीं,
तू मेरी यादों से कभी दूर होगा नही
24.
तेरी जुदाई ने मेरी दुनिया को वीरान कर दिया,
अब बस तेरी यादों का ही सहारा है।
25.
तेरी जुदाई का असर ऐसा है,
जीवन मेरा बियाँबान सा है
26.
दिल ने तुझसे प्यार किया,
फिर क्यूँ तन्हा तूने छोड़ दिया
27
.
तेरी जुदाई में दिल ऐसा टूटा है,
जेसे मेरा रब मुझसे रूठा है
28
.
तेरी जुदाई का दर्द ऐसा है,
जो कभी कम नहीं हो सफर एसा है
29.
तेरे बिना ये दुनिया अधूरी सी लगती है,
जिन्दगी जीना एक मजबूरी सी लगती है
30.
जुदाई के लम्हे दिल में दर्द बनकर छा गए,
आज फिर तुम मुझे बेहद याद आ गए
31
तेरी यादों में हम खोए-खोए से रहते हैं,
तुझ बिन जेसे हम नीं सोए रहते हैं
32.
तेरी जुदाई का गम सहन नहीं होता,
]तेरी मोहबत्त का दर्द कम नही होता
33
वो चला गया कुछ इस तरह छोड़कर,
जैसे मैं उसकी जिंदगी में कभी था ही नहीं।
34
तू जुदा हुआ ऐसे जैसे हवा से खुशबू बिछड़ जाती है,
मेरे दिल में दर्द के बादल हमेशा के लिए छा जाते हैं।
35
जुदाई का हर पल एक सदी जैसा लगता है,
तेरे बिना हर लम्हा दर्द से भरा लगता है।
36
सिर्फ तेरा नाम ही काफी है तड़पाने के लिए,
तेरे बिना जिंदगी कुछ नही बचा जीने के लिए ।
37
दिल की चाहत में तुम्हें ही पाया था,
अब जुदाई में तुम्हें ही खो दिया।
38
जिन रास्तों पर साथ चला था तू,
आज उन्हीं रास्तों पर अकेला हूँ मैं।
39
तेरी जुदाई में मैंने खुद को खो दिया,
अब दिल में सिर्फ दर्द ही रह गया।
40
तेरे बिना ये रातें भी अजनबी सी हैं,
तू साथ हो तो हर अंधेरा रोशन हो जाता है।
41
वो अलविदा कह गया ऐसे,
जैसे कभी मिलना ही नहीं था।
42
तेरी यादें, तेरी बातें, सब कुछ तो है मेरे पास,
बस तू नहीं है।
43
हर सुबह तेरे बगैर अधूरी लगती है,
तेरे बिना हर लम्हा अजनबी लगता है।
44
तेरे बिना ये दिल वीरान सा है,
जैसे खुशबू बिना कोई फूल।
45
कभी-कभी तुझे देखने की तमन्ना इतनी बढ़ जाती है,
कि तेरा ना होना भी दर्द की इंतिहा की हद कर देती है।
46
तेरी जुदाई में हम ऐसे खो गए,
जैसे बिना चाँद रात के हो गए।
47
जुदाई का दर्द ऐसा, कह भी नहीं सकते,
तुझे भुला भी नहीं सकते, सह भी नहीं सकते।
48
तुमसे बिछड़ कर जीने का ग़म है,
यह दिल आज भी तुझसे ही बंधा है।
49
सांसों में बसी थी जो तेरी ख़ुशबू,
अब तेरे बिना सांस भी बेवजह सी लगती है।
50
वो जा चुका है मुझे छोड़कर,
और मैं अब तक उससे मिलने की राह तकता हूं।
51
तेरे जाने का ग़म दिल में बसाए बैठे हैं,
हम आज भी उस प्यार की राह में खड़े हैं।
52
जुदाई का सिलसिला कुछ यूं चला,
दिल रोया नहीं, पर आँखें नम हो गईं।
53
तू नहीं, पर तेरी यादें हैं मेरे पास,
जो हर पल तेरे होने का एहसास दिलाती हैं।
54
जुदाई के पल आंखों में यूं बसे हैं,
जैसे कोई चुपके से आंसू छुपा कर गया हो।
55
वो दूर हो गया, दिल से भी और नज़रों से भी,
पर उसकी बातें अब भी दिल को रुलाती हैं।
56
वो तो दूर चला गया, पर ये दिल नहीं माना,
उसे हर पल, हर घड़ी, पास महसूस करता है।
57
वो कह कर गया था कि लौटूंगा जरूर,
अब उसकी वापसी का इंतजार हमसे कहां सहा जाता है।
58
दिल में दर्द की चुभन अब भी बाकी है,
जुदाई की वो रात आज भी याद आती है।
59
तेरे बिना ये दिल बेजान सा है,
जैसे बिना धड़कन के शरीर हो कोई।
60
वो यादें अब भी आंखों में छिपी हैं,
जो कभी तेरे साथ हंसते हुए बिताई थीं।
61
तेरे जाने से दिल को जो सूनापन मिला,
वो आज भी चुपके से मुझे आकर रुला जाता है।
62
वो छोड़ कर गया, पर दिल ने उसे छोड़ा नहीं,
हर रोज़ उसकी याद में जीता हूं।
#इश्ककादर्द
63
इश्क का दर्द जब महसूस किया,
आँखों ने अश्क़ों का जाम पिया

64
दिल के ज़ख्मों का हिसाब कौन करे
इश्क़ ने हर घड़ी बेहिसाब दर्द दिए
65
इश्क़ का दर्द बेहद सताता है
और दिल को बेपनाह रुलाता है।
67
मोहब्बत में दर्द का रिश्ता पुराना है
, जहाँ इश्क़ है, वहां दर्द का ठिकाना है।
68
तेरे इश्क़ का ये कैसा सितम है,
दिल जले और खामोश हैं लब
69
इश्क़ का दर्द एक अजीब दास्तान है, जिसका हर पन्ने पर
आँसू से लिखी हुई दास्ताँ है।💔💔💔💔
70
जब इश्क़ में दर्द होता है,
दिल से खुशी का रास्ता खो जाता है।
71
इश्क़ का दर्द वो जख्म है, जो नजर नहीं आता है
पर दिल में घर कर कर के तबाह कर जाता है।
72
इश्क़ का दर्द क्या कहें तुझसे, कितना सताता है
हर धड़कन में सिर्फ़ तेरा ही नाम आता है।
74
दिल ने इश्क़ का दर्द जब सहा,
आँखों से मोहब्बत का समंदर बहा।
75
इश्क का दर्द ऐसा अनमोल है,
दिल के हर कोने में तू अनमोल है।
76
चाहा था जिसे उम्रभर साथ रहे,
वो ही जख्म दे कर दूर हो गए
77
हर ख़ुशी के पीछे दर्द है,
इश्क़ में दर्द का अलग ही मज़ा है।
78
दिल को तोड़कर भी उसने मुस्कान छीन लि
यही दर्द मोहब्बत की पहचान बनी
79
तू जो नहीं, फिर भी तेरा एहसास है,
इश्क़ का दर्द ही अब मेरी प्यास है।
80
हंसते-हंसते रोने का हुनर सिखा गया,
इश्क़ का दर्द हमको जीना सीखा गया।
81
कभी मीठा, कभी खारा ये इश्क का सफर,
पर इसके दर्द में ही छिपा है दिल का असल सफर।
82
इश्क का दर्द छुपाना मुश्किल होता है,
हर ख़ुशी में भी आंसू का किस्सा होता है।
83
वो लफ़्ज़ों से कुछ कह नहीं पाया,
पर उसकी खामोशी में दर्द नजर आया
84
दिल लगाया था हमने बड़े शौक़ से,
जबसे हुआ इसक हम गए काम से
85
इश्क़ की राह में कांटे ही कांटे मिले,
फिर भी दिल उसी के दीवाने हो गए
86
जितना चाहा था उसे, उतना खोया है,
इश्क़ के दर्द में दिल बर्बाद किया है
87
हर रात उसकी यादों में डूबा हूँ,
इस दर्द में ही अब जीता मरता हूँ
88
इश्क़ के दर्द का कोई इलाज नहीं है,
दिल तो टूटा है, फिर भी म जीना होता है।
89
इश्क़ का दर्द दिल में छुपाना मुश्किल है,
इस दर्द को ब्यान करना मुश्किल है।
90
दिल के कोने में बस गया है दर्द इश्क़ का,
हर लफ्ज़ में छिपा है जिक्र, उसका
91
तुमसे मिलने की ख़्वाहिश में, दिल दर्द से भरा,
इश्क़ का ये सफर ही है, दर्द से भरा
92
इश्क़ में का हर रंग अनोखा है,
दिल की हर धड़कन में उसी का जिक्र होता है।
93
तेरे बिना हर लम्हा दर्द का प्याला,पिया
इश्क़ की राह में दर्द ही दर्द दिया
94
इश्क़ की दुनिया में दर्द ही सच्चा साथी,है
हर आंसू के पीछे छिपी कहानी बेवफाई है
95
दिल का दर्द इश्क़ का घर बन गया,
तेरे बिना जीना अब एक बड़ा इम्तिहान बन गया।
96
इश्क़ का हर दर्द दिल के आंगन में बसा,
तू दूर है लेकिन तेरी यादें दे रही हर पल सजा।
97
इश्क़ का दर्द जब छुपाया नहीं जाता,है
दिल से निकलकर लफ्ज़ों में उतर आता है।
98
हर आँसू में इश्क़ का दर्द झलकता है,
तेरे बिना दिल का हर कोना खाली लगता है।
99
इश्क़ का दर्द दिल की गहराई में समा गया,
तेरे बिना ये दिल अधूरा और तन्हा हो गया।
100
दर्द की ये सच्चाई दिल के हर कोने में,
इश्क़ के हर पल की कहानी बसी है इन लफ्ज़ों में।
101
दिल के टूटे टुकड़े इश्क़ की आह बन गए हैं,
तेरे बिना हम कांच की तरह टूट के बिखर गए हैं
102
इश्क़ का दर्द दिल के जख्मों में बस गया,
तेरे बिना हर ख्वाब भी अब अधूरा रह गया।
103
इश्क़ का दर्द कुछ ऐसे बयां होता है,
दिल के हर कोने में तू ही बसा होता है।
104
तेरे बिना ये दिल अब बस दर्द का मूरत है,
इश्क़ के हर दर्द को लफ्ज़ों में कहने की जूरत है।
105
इश्क़ के दर्द को लफ्ज़ों में कैसे समेटें,
हर आंसू और हर चुप्प इस दर्द को बयां करते हैं।
106
दिल का दर्द इश्क़ की किताबों में लिखा है,
तेरे बिना ये दिल हर शब्द में खुद को खोता है।
107
इश्क़ का दर्द दिल में ही सुलगता रहता है,
तेरे बिना ये दिल सच्चा प्यार ही खोजता रहता है।
108
दर्द के इश्क़ को लफ्ज़ों में कैसे कहूँ,
दिल की गहराई में तेरे बिना कैसे रहूँ।
109
इश्क़ का दर्द हमेशा दिल को झकझोरता है,
तेरे बिना हर पल का अहसास चुभता है।
110
दिल के हर कोने में इश्क़ का दर्द बस गया,
तेरे बिना हर ख्वाब अधूरा सा रह गया।11
111
इश्क़ की राह में दर्द ही सबसे सच्चा साथी,
दिल की हर धड़कन में तेरे बिना की गहराई।
112
इश्क़ का दर्द लफ्ज़ों से बयां करूं कैसे,
दिल के हर कोने में तेरी यादों का क़िस्सा है।
113
दिल की धड़कन इश्क़ के दर्द से तड़पती है,
तेरे बिना ये दिल हर दिन की जंग लड़ती है।
114
इश्क़ का दर्द दिल की गहराई में बसा है,
तेरे बिना हर खुशी भी अब सूना सा लगता है।
115
दिल के दर्द को इश्क़ का नाम दे दिया,
तेरे बिना हर लम्हा अब चुप्प सी हो गया।
116
इश्क़ का दर्द लफ्ज़ों में समेटना मुश्किल है,
हर आंसू की क़ीमत अब दिल को ही समझनी है।
117
तेरे बिना ये दिल अब बस दर्द की तस्वीर है,
इश्क़ की राह में हर ख्वाब अधूरी सी है।
118
दिल का हर दर्द इश्क़ की गहराई में बसा है,
तेरे बिना हर लम्हा अब अधूरा सा लगता है।
119
इश्क़ का दर्द दिल की धड़कन में समाया है,
तेरे बिना हर सुबह और शाम सुनी सी लगती है।
120
इश्क़ के दर्द को छुपाना मुश्किल है,
दिल के हर कोने में इसका असर बसा है।
121
तेरे बिना ये दिल अब बस दर्द का घर है,
इश्क़ की राह में हर ख्वाब अब अधूरा सा है।
122
इश्क़ का दर्द हर लफ्ज़ में छिपा है,
तेरे बिना हर एहसास अब फीका सा लगता है।
123
दिल के जख्मों में इश्क़ का दर्द बसा है,
तेरे बिना ये दिल हर ख्वाब में खोया है।
124
इश्क़ का दर्द लफ्ज़ों में कैसे कहूँ,
तेरे बिना हर पल अब अधूरा सा लगता है।
125
दिल का दर्द इश्क़ के साये में समाया है,
तेरे बिना हर ख्वाब और हर लम्हा सुना सा है।
126
इश्क़ का दर्द दिल की गहराई में छुपा है,
तेरे बिना हर खुशी अब अधूरी सी है।
127
दिल के टूटे टुकड़े इश्क़ की कहानियाँ बने हैं,
तेरे बिना हर एहसास अब दर्द में खोया है।
128
इश्क़ का दर्द लफ्ज़ों में कैसे बयां करूँ,
दिल की गहराई में तेरे बिना कैसे रहूँ।
129
दिल के दर्द को इश्क़ का नाम दे दिया,
तेरे बिना हर लम्हा अब अधूरा सा हो गया।130
130
इश्क़ का दर्द दिल की गहराई में बसा है,
तेरे बिना हर ख्वाब अब अधूरा सा लगता है।
131
दिल की हर धड़कन इश्क़ के दर्द से भरी है,
तेरे बिना हर सुबह और शाम सुनी सी लगती है।
132
इश्क़ का दर्द दिल की गहराई में छुपा है,
तेरे बिना हर ख्वाब और हर लम्हा अधूरा है।
133
दिल का हर दर्द इश्क़ की कहानियों में बसा है,
तेरे बिना हर लम्हा अब अधूरा सा लगता है।
134
इश्क़ का दर्द लफ्ज़ों में कैसे बयां करूँ,
दिल की गहराई में छुपा है तू
135
दिल के जख्मों में इश्क़ का दर्द बसा है,
तेरे बिना हर खुशी अब सब अधूरा सा है।
136
इश्क़ का दर्द दिल की गहराई में समाया है,
तेरे बिना हर ख्वाब और हर लम्हा अधूरा सा लगता है।
137
दिल का दर्द इश्क़ के साये में बसा है,
तेरे बिना हर लम्हा और हर ख्वाब अधूरा सा है।
138
इश्क में चोट खाकर जब हम तन्हा हुए,
इस इश्क के पीछे दर्द के अफसाने हुए।
139
जिसे अपना समझा था, वो पराया निकला,
दिल में रहने वाला दिल का कातिल निकला
140
रातें अब नींद से नहीं, आहों से कटती हैं,
तेरे ख्यालों में दिन की तरह जलती हैं।
141
वफ़ा का नाम अब किताबों में मिलता है,
दिल जुदाई तड़प की आग जलता है
142
ये दर्द अब हमारी पहचान बन गया,
इश्क़ की गलियों में अकेला सफर बन गया।
143
जिसने दिल तोड़ा, उसे इल्म नहीं,
कि उसकी हर याद, ज़हर बन गया।
144
इश्क में चोट खाकर जब हम तन्हा हुए,
हर हंसी के पीछे दर्द के अफसाने हुए।
145
जिसे अपना समझा था, वो पराया निकला,
दिल के हर टुकड़े से खून के फ़व्वारे हुए।
146
रातें अब नींद से नहीं, आहों से कटती हैं,
तेरे ख्यालों में दिन की तरह जलती हैं।
147
वफ़ा का नाम अब किताबों में मिलता है,
दिल की तड़प से दिल जलता है
148
ये दर्द अब हमारी पहचान बन गया,
इश्क़ की गलियों में अकेला हमसफर बन गया।
149
जिसने दिल तोड़ा, उसे इल्म नहीं,
उसके दिए धोखे से हम जिन्दा नहीं
150
इश्क़ में चोट खाकर हंसना भूल गए,
दिल के अरमान आंसुओं में बह गए।
151
वो जिस पर हमने जान निछावर की
उसी ने हमें जख्मों की सौगात दी
152
इश्क़ में मिला दर्द कभी कम नहीं होता,
ये ऐसा जख्म है जिसका मरहम नहीं होता।
153
टूटे दिल की आवाज़ कौन सुनता है,
यहां हर कोई सिर्फ़ अपने में मसरूफ़ रहता है।
154
दिल की गहराई में छिपा इक ज़ख़्म पुराना है,
इश्क में डूबा , हर सख्स का अफसाना है।
155
तेरे इश्क़ का ये आलम है, क्या कहें,
आंखें बंद हो या खुली तेरा ही चेहरा देखते है।
156
इश्क़ का सफर था,तेरी जुल्फों में खो गया,
दिल भी टूटा, पर तेरे प्यार में फना हो गया।
157
तू जो मिला तो दर्द मिला,
हर साँस इश्क डूबा मिला ।
158
दर्द-ए-इश्क़ ने दिल को यूँ झुलसाया,
हँसते हुए आँसू का , चेहरा छुपाया।
159
इश्क़ की गलियों में ख़ुशी नहीं मिलती,
बस दर्द और ग़म की दास्तां है लिखी।
160
तेरे जाने का दर्द आज भी जिंदा है,
दिल में बसा हर लम्हा, अभी भी जख्मी है।
161
इश्क़ में दर्द था पर फिर भी सुकून था,
तेरे नाम से हर घाव महकता हुआ जुनून था।
162
इश्क़ की राह में हमने खाई, हर कदम पर चोट,
जिसे समझा था हमसफ़र, उसने दी दिल पर चोट
163
दिल की गहराई में छिपा इक ज़ख़्म पुराना है,
इश्क़ ने सिखाया, हर दर्द बस अफसाना है।
164
तेरे इश्क़ का ये आलम है, क्या कहें,
आंखें बंद कीं तो तेरा ही चेहरा देखते है।
165
इश्क़ का सफर था, पर रास्ते में खो गया,
दिल भी टूटा, पर तुझसे प्यार और हो गया।
166
तू जो मिला तो दर्द मिला,
अब हर साँस में इश्क़ का ही ज़हर मिला।
167
दर्द-ए-इश्क़ ने दिल को यूँ झुलसाया,
हँसते हुए भी आँसू हैं, चेहरा छुपाया।
178
इश्क़ की गलियों में ख़ुशी नहीं मिलती,
बस दर्द और ग़म की दास्तां है लिखी।
179
तेरे जाने का दर्द आज भी जिंदा है,
दिल में बसा हर लम्हा, अभी भी जख्मी है।
180
तेरी यादों का साया दिल पे यूँ छा गया,
इश्क़ का दर्द फिर से हंसने लगा।
181
इश्क़ में दर्द था पर फिर भी सुकून था,
तेरे नाम से हर घाव महकता हुआ जुनून था।
182
तेरा इश्क़ ही था जो मुझे तन्हाई सिखा गया,
दिल तो बचा था, पर ज़ख्म गहरा छोड़ गया।
183
दिल टूटा है, पर आवाज़ नहीं आती,
तेरे बगैर अब कोई सुबह नहीं आती।
184
इश्क़ का दर्द है, जो समझ न पाएगा,
जिसने सहा नहीं, वो क्या बताएगा।
185
तेरे जाने का ग़म है, जीने नहीं देता,
दिल से दर्द है, जो सीने से नहीं जाता।
186
चाहा था तुझे, पर तूने ठुकरा दिया,
अब तेरा नाम ही दर्द को मिटा दिया।
187
इश्क़ में मिला दर्द, अब सांसें रोकता है,
दिल अब बस तुझे भूलने को कहता है।
188
तेरी यादों का साया मुझे हर रोज़ सताता है,
दिल टूटा है, पर चेहरा हंसता नज़र आता है।
189
जो मिला इश्क़ में, वो दर्द का तोहफा था,
हर लम्हा बस तेरी जुदाई का किस्सा था।
190
आँखें नम हैं, पर दिल पत्थर सा हो गया,
तेरे इश्क़ में ये दिल बर्बाद हो गया।
191
तेरी राहों में बिछे थे, पर तूने कुचल दिया,
इश्क़ का ये हाल, तन्हाई में बदल दिया।
192
जख़्म दे गए हो, अब मलहम भी नहीं देते,
तेरा ये प्यार बस दर्द देके चला जाता है।
193
इश्क़ का हर दर्द, अब दिल से चिपका है,
तेरी याद का हर आंसू आँखों में रुक गया।
194
इश्क का दर्द सहा नहीं जाता,
दिल की हाल बताया नहीं जाता
195
चोट खाया हूं इश्क के सफर में,
अब तो ये दुनिया से हूँ बेखबर मैं
196
राह-ए-मोहब्बत में बस चोटें ही पाई,
अब इस दिल ने ख्वाहिशें भी गंवाई।
197
हर जख्म ने दिया नया सबक मुझे
पर ये दुनिया मेरी रुसवाई ना भुलाई।
198
कैसा ये दर्द है, जो कह ना सकूं,
रातों की नींद गई दिन का सकूं।
199
इश्क की राहों में सिर्फ बेचैन हूँ
दिल से निकाला पर दूर रह ना सकूं।
200
दिल के दर्द को लफ़्ज़ों में कहूँ, तो रो पड़ेगी रात,
इश्क़ की राह पर चले थे, मिले सिर्फ़ चोट के साथ।
201
चाहत की आग में जले, पर हासिल हुआ न कोई सवेरा,
इश्क़ ने बस दर्द दिया, ना कोई दिलासा, ना कोई बसेरा।
203
.
दिल से खेल गए वो, जैसे ये कोई खिलौना हो,
इश्क़ की दुनिया में मेरा दिल, बस एक बिखरा सपना हो।
203
आँखों में अश्क़, दिल में टीसें, ये ही तोहफ़ा है इश्क़ का,
जिससे किया वफ़ा का वादा, वही बन गया दर्द का वास्ता।
204
इश्क़ में चोट खाई, अब दिल में कोई उमंग नहीं,
जिसने दर्द दिया, उसे दिल भूलता नहीं।
#विरहकीशायरी
205
तेरे बिना दिल है वीरान,
बिरह की चादर ओढ़े हुई है शाम।
206
बिरह की आग में जलते हैं अंग
तेरी यादें ही हैं जैसे दर्द में संग।
207
चाँदनी रातों में भी है वीरान दिल मेरा
बिरह के दर्द में खो गया मेरा बसेरा।
208
तेरे बिना हर लम्हा जैसे सूना सा लगता,
बिरह के गीत से मन मेरा बहलता
209
बिरह के इस सफर में क्या रंग भरूँ,
तेरे बिना खुद को किस तरह सम्भालूं
210
सपनों में भी दिल का ये हाल,
बिरह की ये कहानी, बन गयी सवाल।
211
तेरे बिना ये ज़िन्दगी अधूरी सी लगती,
बिरह की आग हमेशा दिल में जलती।213
212
रात की चुप्पियों में ही बसी है तुझसे दूरियाँ,
बिरह के दर्द से भरी हैं ये जिन्दगी की मजबूरियां
213
बिरह की रातें अब दिन से भी लंबी लगतीं,
तेरे बिना हर सुबह भी अब बेकार सी लगतीं।
214
तेरे बिना दिल की धड़कनें भी बेताब हैं,
बिरह की आग में हर लम्हा दर्द से भरा है।
215
तेरे बिना ये दिल का वीरान मंजर,
बिरह के दर्द में सब कुछ गया जल
216
रातों की नींद भी अब पूरी नहीं होती,
बिरह की आग में दिल की धड़कन खो दी ।
217
तेरे बिना अधूरी है हर एक बात,
बिरह का ये दर्द अब मेरी सच्ची सौगात।
218
बिरह की कातिल धड़कनें
तेरे बिना ये दिल मेरा चैन छीने
219
तुझसे बिछड़ने के बाद हर चीज़ में है कमी,
बिरह की इस आग से आखों में नमि है ।
210
रात के अंधेरों में भी अब ढूँढें तेरा नाम,
बिरह के दर्द ने कर दिया है मुझे बदनाम
211
तेरे बिना तो दिन भी बीत जाता है,
बिरह की इस आग में दिल बस जलता जाता है।
212
तेरे बिना दिल का हर कोना है वीरान,
बिरह की इस आग में हर सुबह बेजान।
213
सपनों में भी तेरे बिना दिल है मायूस,
बिरह की आग ने छीन लिया सकूंन
214
तेरे बिना ये दिल है जैसे बियाबान,
बिरह की चुप्पी में गुम है हर एक अरमान।
215
तेरे बिना दिल की दुनिया है वीरान,
बिरह के इस दर्द ने किया है बेजान
216
तेरे बिना हर घड़ी जैसे सदी सी लगती,
बिरह की आग में दिल की धड़कनें बेताब लगतीं।
217
तेरे बिना हर सुबह भी अब चुप है,
बिरह की आग में दिल की धड़कनें बेताब हैं।
218
तेरे बिना दिल की धड़कनें भी खो गईं,
बिरह के दर्द में हर सुबह सर्दी सी हो गईं।
219
तेरे बिना हर लम्हा जैसे है थका-थका,
बिरह की आग ने किया है दिल को तना।
220
सपनों में भी अब दिल की आवाज़ है सुनी,
बिरह की इस आग ने सब कुछ किया है खोई।
221
तेरे बिना दिल का हर पल है बेजान,
बिरह की चुप्पी में खोया हर एक अरमान।
222
रात की चाँदनी भी अब है बेमीत,
बिरह के दर्द में दिल हर पल है जीता।
223
तेरे बिना दिल की धड़कनें भी नहीं हैं साफ,
बिरह की आग ने किया है सबको आधा-आधा।
223
तेरे बिना हर शाम भी अब हो गई है दूर,
बिरह की आग में दिल को सब कुछ है मूर।
224
रात की तन्हाई में दिल है बस खोया,
बिरह के दर्द ने सब कुछ है लूटा।
225
तेरे बिना दिल की धड़कनें हैं वीरान,
बिरह की चुप्पी में खोया हर एक अरमान।
226
तेरे बिना हर सुबह भी जैसे सांझ,
बिरह की आग में दिल हमेशा बेजान।
227
तेरे बिना दिल की धड़कनें भी बेताब हैं,
बिरह की आग में सब कुछ बेकार है।
228
रातों की खामोशी भी अब है बिना तेरे,खामोस
बिरह की में दिल ने खोया होश
229
तेरे बिना दिल की हर खुशी को छोड़ा
बिरह की आग ने हर अरमान को तोड़ा।
230
सपनों में भी अब दिल की आवाज़ है बेजान,
बिरह के दर्द में खोया हर एक अरमान।
231
तेरे बिना दिल का वीरान मंजर,
बिरह के इस दर्द में सब कुछ है बेतरह।
232
रात की खामोशी भी अब तेरे बिना है अधूरी,
बिरह की आग में दिल हर पल बस बेजान हुई।
233
तेरे बिना दिल की धड़कनें भी खो गईं,
बिरह के दर्द में सब कुछ बेधड़क हो गया।
234
सपनों में भी अब दिल की आवाज़ है खोई,
बिरह की आग ने सब कुछ किया है सोई।
235
तेरे बिना दिल की दुनिया है सूनी,
बिरह की आग ने कर दी है सारी खुशियाँ पूरी।
236
वीरानियों में खोया, ये दिल तेरा आदी है,
बिरह की इस कहानी में, सब कुछ दिल की बर्बादी है
237
तुझसे दूर रहकर, दिल में विरह में जलता है
हर घड़ी तेरी याद में, दिल रोता है ।
238
विरह की रातें, चाँदनी में दिल जलाए
तेरी यादों के आँचल के साए में, दर्द सिमट जाएँ।
238
बिरह की आग में जलता दिलमेरा,
हर लम्हा तुझसे मिलना है सपना मेरा।
239
आँखों से बहते अश्क, दिल की बात बताते हैं,
विरह के इस सफर में, केवल दर्द ही मिलते हैं।
240
तेरे बिना ये दिल, वीरान सा लगता है,
बिरह की इस घड़ी में, सब कुछ बेजान सा लगता है।
241
विरह की धारा में, सब कुछ बह जाता है,
तेरे बिना जीवन में कुछ नहीं रहता है
242
दिल के वीराने में, तेरे बिना सूनापन है,
बिरह की इस साजिश में, हर खुशी का गुम है।
243
विरह की धुंध में, गुम हो गया हूँ
तेरी यादों के बगैर, खुद को खो देता हूँ।
244
बिछड़ने की उस रात, दिलरोया,
विरह के इस दर्द में, सब कुछ खो गया।
245
विरह के समंदर में, डूबता हर दिन,
जीवन का सफर है सूना है तेरे बिन
246
चले गए तुम, विरह की आग में जला कर
तेरे बिना रह गए तन्हा होकर
247
विरह की राहों पर, हर कदम पर है दर्द,
तेरे बिना जीना, जैसे है एक बेरंग सर्द।
248
तेरे बिन हर सुबह, विरह की चुप्प है,
जैसे हर सुबह, तुझसे मुलाकात की प्यास है।
249
विरह की तपिश में, दिल का हर कोना झुलस गया,
तेरे बिना जीना, जैसे कोई अधूरा ख्वाब बन गया।
250
हर पल तेरा इंतजार, विरह की अनदेखी राह,
तेरे बिना दिल की धड़कन, मानो हो एक ख़ामोश साज।
251
तेरे बिना सजीव, विरह की दुनिया अजनबी,
हर खुशी में बस, तेरे जाने की लहर लहराती है।
252
विरह की गली में, कोई भी राह नहीं मिलती,
तेरे बिना हर मंजिल, अधूरी सी लगती।
253
विरह की तपिश से, जलता है दिल मेरा,
तेरे बिना ज़िंदगी, जैसे कोई बेजान सबेरा।
254
तेरे बिना विरह की, गहरी खाई में गिरा,
हर पल तेरी यादें, मेरे दिल को चीरती हैं।
255
विरह के वीराने में, हर आह बेमानी सी है,
तेरे बिना ये जिंदगी, जैसे एक रेत की झील है।
256
तेरे बिना हर लम्हा, विरह का काला पर्दा,
दिल के कोने-कोने में, बस तेरा ही हर दर्द छुपा।
257
विरह की रातें, मेरी चाँदनी से बेतर,
तेरे बिना मेरा दिल, जैसे हो बिखर-बिखर।
258
तेरे बिना हर सवेरा, विरह का संदूर है,
तेरे आने की आस में, हर खुशी का दरवाज़ा बंद है।
259
विरह की जंजीरों में, दिल कैद हो गया,
तेरे बिना हर ख्वाब, जैसे अधूरी सी रह गई।
260
तेरे बिना विरह की धुंध में, सब खो गया,
तेरे बिना दिल की दुनिया, जैसे सूनी हो गई।
261
विरह की आंधी में, दिल झूल रहा है,
तेरे बिना हर खुशी, जैसे खो गई है।
262
तेरे बिना जीवन की हर राह, विरह की बियाबान,
तेरे आने की आस में, मन मेरा है परेशान।
263
विरह की तपिश में, दिल का हर अंग जलता,
तेरे बिना हर सपना, जैसे जलकर बुझता।
264
तेरे बिना हर दिन, विरह की चुप्प है भारी,
दिल की हर धड़कन, तेरे बिना मुझसे ही बारी।
265
विरह की तपिश से, दिल हो गया है जला,
तेरे बिना जीवन में, बस एक ही सवाल खड़ा है।
266
तेरे बिना हर लम्हा, विरह की गहराई में डूबा,
दिल की धड़कनें भी, तेरे बिना बेजान सी सूनी हैं।
267
विरह की रातों में, तेरा न होना बुरा लगता,
तेरे बिना जीवन का हर पल, अधूरा सा लगता।
268
तेरे बिना विरह की, गहरी गुफा में खोया,
दिल की हर धड़कन, बस तेरे नाम को बुनता।
269
विरह की पीड़ा में, दिल की हर धड़कन झलकी,
तेरे बिना जीवन की धड़कन, जैसे एक शैल बंधी।
270
तेरे बिना हर क्षण, विरह का दर्द बढ़ता,
दिल की हर धड़कन, तुझसे मिलने की राह तरसती।
271
विरह के गहरे सागर में, दिल तन्हा सा बहता,
तेरे बिना हर लम्हा, जैसे सहरा में खोया।
272
तेरे बिना विरह की रातें, अंधेरों से भरी,
दिल की हर धड़कन, बस तुझे ही पुकारे।
273
विरह की चुप्प में, दिल का हर कोना तड़पता,
तेरे बिना जीवन की राहें, जैसे एक भटकता।
274
तेरे बिना हर सुबह, विरह की धुंध में खोई,
दिल की हर धड़कन, तेरे बिना सूनी सी रोई।
275
विरह की आग में, दिल पूरा जल गया,
तेरे बिना हर ख्वाब, अधूरा सा रह गया।
276
तेरे बिना विरह की, सर्द रातें बेताब हैं,
दिल की हर धड़कन, तुझसे मिलने की प्यासी।
277
विरह की तन्हाई में, हर पल है अजनबी,
तेरे बिना दिल की हर खुशी, जैसे खो गई।
279
तेरे बिना हर दिन, विरह का तम साया,
दिल की हर धड़कन, तुझसे मिलने की माया।
280
विरह की रातों में, हर ख्वाब अधूरा सा लगता,
तेरे बिना दिल का हर कोना, सूना सा लगता।
281
तेरे बिना विरह की, गहरी खाई में गिरे,
दिल की हर धड़कन, बस तेरे बिना सिसकती।
282
विरह की राहों में, दिल हर दिन बिखरता,
तेरे बिना हर सपना, जैसे छूट गया।
283
तेरे बिना हर पल, विरह की छाँव में ढला,
दिल की हर धड़कन, बस तुझसे ही जड़ा।
284
विरह की चुप्प में, हर दिन गुजरता है,
तेरे बिना दिल की धड़कन, बस तुझे ही तरसता है।
285
तेरे बिना विरह की, काली रातों में बसा,
दिल की हर धड़कन, तेरे बिना अब अधूरा।
286
विरह की तपिश में, दिल हर दिन जलता,
तेरे बिना जीवन का हर सपना, जैसे बिखरता।
287
तेरे बिना हर सुबह, विरह का सूना अंधकार,
दिल की हर धड़कन, बस तुझसे ही लाचार।
288
विरह की रातों में, हर सपना बेतर,
तेरे बिना दिल का हर कोना, सूना सा लगता।
289
तेरे बिना विरह की, लंबी राहें ढूंढता,
दिल की हर धड़कन, बस तुझसे ही जुड़ता।
290
विरह की आग में, दिल पूरी तरह जलता,
तेरे बिना हर ख्वाब, जैसे एक सपना सा ढलता।
291
तेरे बिना हर पल, विरह की चुप्प गहरी,
दिल की हर धड़कन, तेरे बिना बेतर सी।
293
विरह के समंदर में, दिल रोज डूबता,
तेरे बिना हर दिन, जैसे एक अजनबी सा लगता।
294
तेरे बिना विरह की,गहराई में खोया,
दिल की हर धड़कन, हर पल तेरा नाम लिया
295
बिरह की चिंगारी दिल में सुलग रही है,
तेरे बिना हर ख़ुशी अब धुंआ बन गई है।
296
तेरे बिना दिल की धड़कन भी सूनी लगती है,
बिरह की इस आग में हर रात जलती है।
297
बिरह की इस रात में तन्हाई का राज है,
तेरे बिना ये दिल बस एक वीरान साज है।
298
तेरे बिना इस दिल की धड़कन थम गई है,
बिरह की इस आग में हर खुशी मुरझा गई है।
299
कहाँ से लाऊँ वो मोहब्बत, जो तेरे बिना छूट गई,
बिरह के इस दर्द में हर एक सांस टूट गई।
300
तेरे बिना जिन्दगी का हर दिन वीरान सा लगता है,
बिरह के इस साये में हर पल बेमायरा लगता है।
301
बिरह की तपिश ने दिल को जला डाला है,
तेरे बिना तो जैसे पूरा संसार ही सूना लगने लगा है।
302
तेरे बिना जीना अब एक सजा सा लगता है,
बिरह की इस चुप्पी में हर एक लम्हा तड़पता है।
303
तेरे बिना ये दिल एक खंडहर हो गया है,
बिरह की इस आग में सब कुछ जलकर राख हो गया है।
304
बिरह की तन्हाई ने मुझको भुला दिया,
तेरे बिना हर सुबह एक नया दुःख छुपा दिया।
305
तेरे बिना इस दिल को अब चैन कहाँ आता है,
बिरह के इस दर्द में हर ख़ुशी भी जाती है।
306
बिरह के इस दर्द से दिल अब थक चुका है,
तेरे बिना जीने की चाहत सब बिखर चुका है।
307
तेरे बिना हर सुबह की किरण भी फीकी लगती है,
बिरह के इस तले हर रात की चाँदनी बेकार लगती है।
308
बिरह का ये दर्द अब गहरा हो गया है,
तेरे बिना हर ख्वाब अब अधूरा हो गया है
309
।तेरे बिना हर ख्वाब अधूरा है,
बिरह का दर्द मेरा सबसे बड़ा सफर है।
310
मुझे तुझसे ही पड़ी है ये बिरह की बीमारी,
दिल को चीरकर जाती है तेरी यादों की धारा।
311
तेरे बिना हर सुबह होती है अंधेरी,
बिरह की ये घड़ी है बहुत ही मुश्किल की घड़ी।
312
तेरे बिना जीना है जैसे पंखहीन पर,
बिरह की इस आग में जलते हैं जख्म मेरे भर।
313
बिरह की चादर में लिपटी हैं यादें तेरी,
हर एक दिन जैसे सज़ा है बिन तेरे जीने की।
314
तेरी जुदाई में मिली है ये बिरह की सजा,
दिल के वीराने में हैं सिर्फ तेरे ही अंदाज़ा।
315
तेरे बिना दुनिया सुनी है, दिल भी बेज़ार है,
बिरह का ये साया हर पल बस यहीं का यार है।
316
तेरे बिना हर एक घड़ी बीती है जैसे सदियाँ,
बिरह की इस घुटन में जीना है मुश्किल, फिर भी रद्दियाँ।
317
तेरे बिना हर लम्हा है बेरंग सा,
बिरह की ये रुत है दिल को तोड़ती हर अंग से।
318
तेरे बिना दिल की धड़कन भी है अधूरी,
बिरह का ये दर्द है, जैसे हो दिल की मजबूरी।
309
तेरे बिना दिल की आवाज़ भी है सुनी,
बिरह के इस अंधकार में खो गई है जो रौशनी।
310
तेरे बिना हर तारा भी है मुरझाया,
बिरह की ये रातें हैं जीने को मजबूर किए जाया।
311
तेरे बिना रूह की तिश्नगी है ज्यादा,
बिरह की इस रात में ख्वाब भी हैं बेज़ा।
312
तेरे बिना दिल है जैसे वीरान से,
बिरह की इन राहों में खोया है मन मेरे।
313
तेरे बिना दिल का हर कोना है सूना,
बिरह की इस आग में जलती हैं ये हसरतें भी रुना।
314
तेरे बिना हर धड़कन है खामोश,
बिरह की इस दुनिया में जीना है जैसे हो एक धोखा।
315
तेरे बिना दिन भी है जैसे रात्रि,
बिरह की इस घड़ी में जीना है हर बारी।
316
तेरे बिना दिल का हर सपना है अधूरा,
बिरह की इस परछाई में खोया है हर एक ख्वाब का नज़ारा।
317
तेरे बिना जीना है जैसे बिन रंग की पेंटिंग,
बिरह की इस ठिठुरन में दिल की हर चीज़ है लापता।
318
तेरे बिना हर एक लम्हा है चुभन सी,
बिरह की इस दुनिया में खुद को ढूंढता हूँ मैं अभी।
319
तेरे बिना रातें हैं जैसे लंबी अनंत,
बिरह की इस कहानी में खोया हूँ मैं हर एक क्षण।
320
तेरे बिना दिल की हर आवाज़ है मौन,
बिरह की इस लहर में खो गया हूँ मैं खोया सा।
321
तेरे बिना जीवन का हर रंग है फीका,
बिरह की इस सजा में दिल की हर ख्वाहिश है जीका।
322
तेरे बिना दिल का हर स्वप्न है अधूरा,
बिरह की इस तपिश में खो गया है हर एक पुराना नज़ारा।
323
तेरे बिना हर दिन है जैसे अंधेरों से भरा,
बिरह की इस घड़ी में खोया है दिल मेरा।
324
तेरे बिना हर ख्वाब है अधूरा,
बिरह की इस आग में जलता है दिल मेरा।
325
तेरे बिना दुनिया है जैसे सूनी सूनी,
बिरह की इस पीड़ा में जीने की उम्मीद भी है ननी।
326
तेरे बिना दिल की धड़कन है धीमी,
बिरह की इस व्यथा में खो गया हूँ मैं कहीं।
327
तेरे बिना दिल की हर गूंज है खोई,
बिरह की इस रीत में खोया है मन भी रोई।
328
तेरे बिना हर सपना है अधूरा,
बिरह की इस आग में जलता है दिल मेरा।
329
तेरे बिना हर धड़कन है चुप सी,
बिरह की इस आग में जलती है हर एक ख्वाहिश भी।
330
तेरे बिना रातें हैं जैसे सुनी,
बिरह की इस घड़ी में खोया हूँ मैं बेमुरव्वत भी।
331
तेरे बिना हर एक पल है शून्य सा,
बिरह की इस पीड़ा में खो गया हूँ मैं यहीं।
332
तेरे बिना दिल का हर कोना है सूना,
बिरह की इस रात में खोया हूँ मैं सिर्फ अकेला।
333
तेरे बिना दुनिया का हर रंग है फीका,
बिरह की इस सजा में जीना है दिल की हर ख्वाहिश भी लिका।
334
तेरे बिना दिल की आवाज़ भी है खोई,
बिरह की इस लहर में खोया हूँ मैं, दिल भी है होई।
335
तेरे बिना हर एक दिन है लम्बा,
बिरह की इस रात में खोया हूँ मैं हर एक सपना।
336
तेरे बिना दिल की धड़कन भी है अधूरी,
बिरह की इस आग में जलता है दिल, और कुछ भी नहीं पूरी।
337
तेरे बिना हर सुबह है अधूरी,
बिरह की इस रुत में खोया हूँ मैं हर एक जोड़ी।
338
तेरे बिना दिल की हर धड़कन है खामोश,
बिरह की इस दुनिया में जीना है जैसे हो एक धोखा।
339
तेरे बिना रातों की चाँदनी भी है धुंधली,
बिरह की इस पीड़ा में खोया हूँ मैं दिल की हर जिद्दी।
340
तेरे बिना हर ख्वाब है अधूरा,
बिरह की इस आग में जलता है दिल मेरा।
341
तेरे बिना जीना है जैसे बिन रंग की पेंटिंग,
बिरह की इस ठिठुरन में दिल की हर चीज़ है लापता।
342
तेरे बिना रातों की चाँदनी भी है फीकी,
बिरह की इस पीड़ा में खोया हूँ मैं दिल की गहरी तकलीफी।
343
तेरे बिना दिल की हर आवाज़ है खोई,
बिरह की इस लहर में खोया हूँ मैं, मन भी है होई।
344
तेरे बिना हर लम्हा है चुभन सी,
बिरह की इस दुनिया में खुद को ढूंढता हूँ मैं अभी।
345
तेरे बिना दिल की धड़कन है धीमी,
बिरह की इस व्यथा में खो गया हूँ मैं कहीं।
346
तेरे बिना दिल की आवाज़ भी है मौन,
बिरह की इस लहर में खोया हूँ मैं खोया सा।
447
तेरे बिना रातों की चाँदनी भी है धुंधली,
बिरह की इस पीड़ा में खोया हूँ मैं दिल की हर जिद्दी।
348
तेरे बिना दिल की हर गूंज है खोई,
बिरह की इस रीत में खोया हूँ मैं, दिल भी है होई।
#तन्हाई
349
तन्हाई की शाम आई, दिल की धड़कन थम गई,
अकेलेपन के साए में, हर खुशी भी गुम हो गई।
350
जब से तन्हा हुआ हूँ, दिल की बात छुपाई है,
आँखों की ये नमी भी, खुद से छुपाई है।
351
तन्हाई के आलम में, यादें भी बेरंग लगें,
हर खुशी की तलाश में, बस अकेलेपन की सदा छुपी है।
352
रात की तन्हाई में, चाँद भी उदास दिखे,
दिल की वीरानी को, जैसे सब जग में फैले।
352
तन्हाई का दर्द दिल में, हर एक सांस में समाया है,
जिंदगी के हर सफर में, अकेलेपन का गीत गाया है।
353
तन्हाई की शाम आई, दिल की धड़कन थम गई,
अकेलेपन के साए में, हर खुशी भी गुम हो गई।
354
जब से तन्हा हुआ हूँ, दिल की बात छुपाई
आँखों के अश्क से चप्पे न गयी
355
तन्हाई के आलम में, यादें भी बेरंग लगें,
हर खुशी की तलाश में, बस अकेलेपन की सदा छुपी है।
356
रात की तन्हाई में, चाँद भी उदास दिखे,
दिल की वीरानी को, केसे बयाँ करें
357
तन्हाई का दर्द दिल में, हर एक सांस में समाया है,
जिंदगी के हर सफर में, अकेलेपन का गीत गाया है।
358
तन्हाई की राह पर, चाँद भी साथी बन गया,
कोई दिल के , हर सपना चुरा गया।
359
रात की सिसकियाँ, दिल की तन्हाई के संग,
ख्वाबों की इन हवाओं में, ढूँढता हूँ रंग ।
360
जब से तन्हा हुआ हूँ, हर रंग फीका सा लगता है,
दिल की इस चुप्प में, हर आवाज़ खो जाता है।
361
तन्हाई की गहराई में, खुद को खोया पाता हूँ,
हर एक लम्हे में, अपने ही ख्यालों से घिरा रहता हूँ।
362
सूरज की गर्मी से, दिल की ठंडक को समझा,
तन्हाई की शाम में, खुद से मिला था जो सपना।
363
दिल की तन्हाई में, हर ग़म का रंग बसा है,
खोए हुए ख्वाबों का, ये वीरान सा मंजर है।
364
रात की चुप्प में, खामोशी से बात होती है,
तन्हाई के अंधेरों में, हर याद सजग होती है।
365
तन्हाई की इन गलियों में, दिल की धड़कन धीमी है,
हर एक ख्वाब की छांव में, खुद की परछाईं है।
366
अकेलेपन के सफर में, हर याद एक साथी है,
तन्हाई के इस सफर में, हर लम्हा बहती है।
367
जबसे तन्हा हुआ हूँ, दिल की धड़कन बेताब है,
हर एक पल के दर्द में, तन्हाई का ही जज़्बा है।
368
तन्हाई की इस रात में, चाँद भी सुना कर जाए,
दिल की इस वीरानी को, हर सितारे से सजाए।
369
रात की तन्हाई में, ख्वाब भी हसरत बन जाते हैं,
दिल के वीराने में, हर चाहत चुप हो जाती है।
370
तन्हाई की राह पर, दिल का हर ख्वाब धूमिल हो गया,
हर एक अल्फाज़ में, तन्हाई का असर घुल गया।
371
सपनों की दुनिया में, तन्हाई का रंग छा गया,
दिल की गहराई में, हर ख्वाब भी खो गया।
372
अकेलेपन की इस दुनिया में, हर खुशी से मुँह मोड़ा है,
तन्हाई की इन राहों में, दिल ने खुद को खोड़ा है।
373
रात की तन्हाई में, दिल की चुप्प भी गहरी है,
हर याद की पन्नों में, तन्हाई की धड़कन भरी है।
374
तन्हाई की इस चुप्प में, दिल की बातें बेताब हैं,
हर ख्वाब की हसरत में, तन्हाई की राहें सवाल हैं।
375
अकेलेपन की इस दुनिया में, हर ख्वाब का सफर लंबा है,
तन्हाई के इस सफर में, दिल का हर लम्हा गहरा है।
376
जब से तन्हा हूँ, दिल की हर धड़कन शांत है,
हर खुशी की तलाश में, तन्हाई का साथ है।
377
तन्हाई की इस छांव में, हर ख्वाब धुंधला हो गया,
दिल की इस वीरानी में, हर पल अधूरा हो गया।
378
तन्हाई का आलम है, दिल में सूनापन छाया,
दिल चाहता है, कोई बातों का साथी बन जाये।
379
चाँद की चाँदनी भी अब मुझे अधूरी लगती है,
तेरे बिना तन्हाई की रातें भी जुदा लगती हैं।
380
तन्हाई में खुद से ही बाते की जाती हैं,
दर्द के हर लम्हे को घुट-घुट कर जी जाती हैं।
381
वो शामें भी अब तन्हा लगती हैं,
जिनमें तेरे साथ बिताए हुए लम्हे याद आते हैं।
382
सन्नाटे की तन्हाई में, गहरी बातें होती हैं,
चुपचाप आंसू भी, आखू से बहते हैं।
383
अकेलेपन की रातें, मेरी सबसे अच्छी दोस्त हैं,
तन्हाई की इस यात्रा में, बस ये ही मुझे मिलती है।
384
हर रोज़ तन्हाई में, एक नई कहानी बुनता हूँ,
तेरे बिना हर लम्हा, बस यहीं पर रुक जाता हूँ।
385
तन्हाई की राह में, सुलझे हुए अल्फाज़ खो जाते हैं,
दिल की गहराई में, गुमनाम से सवाल रह जाते हैं।
386
तन्हाई का ये रंग, अब मुझसे दिलचस्प लगने लगा है,
तेरे बिना दिल का हर कोना, सूनापन का एहसास बन गया है।
387
चाँद की चाँदनी से भी अब, तन्हाई का सुर मिल जाता है,
तेरे बिना हर लम्हा, दिल को बस उलझाता है।
388
तन्हाई में दिल की आवाज सुनाई देती है,
चुपके से एक लहर , यादों की उठती है।
389
अकेले में ही समझ आता है दिल की सच्चाई,
तन्हाई की धुंध में ही मिलता है हरजाई
390
तन्हाई में हर ग़म को गुनगुनाते हैं,
सुनने वाला कोई नहीं, बस खुद को ही सुनाते हैं।
391
जब भी तन्हाई से सामना होता है,
दिल हर बात खुद से ही कह पाता है।
392
रात की तन्हाई में आंसू छुपा लिए,
दिल को खुद से हम चुप क्र गए
393
तन्हाई की इस गहराई में खो जाना आसान है,
खुद से मिलना भी कभी-कभी दिल के लिए हानिकारक है।
394
तन्हाई का यह सफर कभी खत्म नहीं होता,
एक अकेला दिल सारे गम सह जाता।
395
तन्हाई की चुप्प में खुद को खो जाता हूँ,
सीनों में बसी यादें मुझे हर रोज़ परेशान कर जाती हैं।
396
हर रात की तन्हाई में दिल बहलाता हूँ,
खुद से बातें करता हूँ, खुद से ही मस्त रहता हूँ।
397
तन्हाई की रातों में खुद से मुलाकात होती है,
हर ख्वाब में खुद से ही बात होती है।
398
तन्हाई की राह पर दिल अकेला चलता है,
हर मोड़ पर यादें ही दिल को छलती हैं।
399
तन्हाई के सन्नाटे में दिल की आवाज सुनाई देती है,
यादों की चुप्प तन्हाई की चुप्प से बेतर लगती है।
400
जब तन्हाई का आलंब आता है, दिल से सब बातें बताता है,
हर ख्वाब में तन्हाई की गहराई से सुलझाता है।
401
तन्हाई की धुंध में खुद को पा जाता हूँ,
खुद के साथ रहकर खुद से ही लड़ता हूँ।
402
अकेला पन भी कभी-कभी सुकून देता है,
तन्हाई की रातों में दिल को कुछ तो चैन मिलता है।
403
तन्हाई में हर दर्द को महसूस करता हूँ,
खुद से बातें करके राहत की सांस लेता हूँ।
404
तन्हाई की ये अंधेरी रातें, खुद से मुलाकात करती हैं,
दिल की गहराईयों में छुपी कहानियाँ निकलती हैं।
405
तन्हाई का ये कोहरा कभी खत्म नहीं होता,
जिसे दिल चाहे वो हमसफर नही मिलता
406
तन्हाई की राह में खुद से ही बातें होती हैं,
हर याद में तन्हाई की शायरी बुनती हैं।
406
तन्हाई में खुद को समझने की कोशिश होती है,
दिल की धड़कनों की आवाज सुनाई देती है।
407
तन्हाई के गहरे अंधेरों में खुद को ढूंढता हूँ,
दिल की गहराई से हर एहसास को समझता हूँ।
408
तन्हाई की राह पर दिल अकेला चल रहा है,
यादों की आग में खुद जल रहा है
409
तन्हाई की चुप्प में खुद को सुनता हूँ,
दिल की आवाज से हर ग़म को बुनता हूँ।
410
तन्हाई की रातों में खुद को समझता हूँ,
दिल की धड़कनों में ही सुकून को ढूंढता हूँ।
411
तन्हाई की इस दुनिया में खुद को खोना है,
दिल की आवाज से हर ग़म को सहना है।
412
तन्हाई की गहराई में दिल खोजता है,
खुद से मिलकर दिल को सुकून पा जाता है।
413
तन्हाई में खुद से बातें करता हूँ,
दिल की धड़कनों को समझकर राहत पाता हूँ।
414
तन्हाई की गहरी रातें अकेली नहीं लगतीं,
दिल की आवाज खुद से गले मिलती हैं।
415
तन्हाई की धुंध में हर एहसास छुपा है,
दिल की गहराई से हर दर्द जुड़ा है।
416
तन्हाई की सर्दी में दिल गर्माहट खोजता है,
खुद की यादों में ही सुकून को ढूंढता है।
417
तन्हाई की रात में खुद को खोजता हूँ,
दिल की धड़कनों से खुद को जोड़ता हूँ।
418
तन्हाई के सफर में खुद को खोजता हूँ,
दिल की गहराई से हर दर्द को समझता हूँ।
419
तन्हाई की चुप्प में खुद को महसूस करता हूँ,
दिल की धड़कनों में खुद को ही सुनता हूँ।
420
तन्हाई की रातें खुद से मिलती हैं,
दिल की आवाज खुद से ही बतिया जाती है।
421
तन्हाई के अंधेरों में खुद को ढूंढता हूँ,
दिल की गहराई से हर दर्द को समझता हूँ।
423
तन्हाई की राह पर खुद से ही बातें होती हैं,
दिल की धड़कनों में हर याद बुनती है।
424
तन्हाई की चुप्प में खुद को खोजता हूँ,
दिल की आवाज में हर ख्वाब को बुनता हूँ।
425
तन्हाई की गहराई में खुद को पा जाता हूँ,
दिल की धड़कनों से हर एहसास को समझता हूँ।
426
तन्हाई की रातों में दिल को समझता हूँ,
खुद से ही हर ग़म को सुलझाता हूँ।
427
तन्हाई की सर्दी में दिल को गर्मी मिलती है,
खुद की यादों में ही राहत पाती है।
428
तन्हाई की इस दुनिया में खुद को खो देता हूँ,
दिल की धड़कनों से हर दर्द को भुला देता हूँ।
429
तन्हाई की राह में खुद से ही बातें होती हैं,
दिल की आवाज खुद को सुनाई देती है।
430
तन्हाई की रात में खुद को समझता हूँ,
दिल की गहराई में खुद को खोजता हूँ।
431
तन्हाई की खामोसी दिल जलाती है
ये याद बहुत दिल जलाती है
432
तन्हाई का दर्द मौत से कम नही
मौत एक बार आती है तन्हाई रोज जलाती है
433
तन्हाई के सफर में दिल खुद को समझाता है,
हर रात खुद से ही बातें करता है।
434
तन्हाई की रात में दिल अकेला रहता है,
खुद की यादों में सुकून पाता है।
435
तन्हाई की राह में खुद से मुलाकात होती है,
दिल की धड़कनों में हर एहसास छुपा होता है।
436
तन्हाई का दर्द तुझको केसे महसूस होगा
काश तूने भी किसी से इश्क किया होता
437
तन्हाई की सर्द रातों में तेरी यादें
दिल को सताती है वो मुलाकाते
438
तन्हाई की रातों में अकेले ही जलता हूँ
जाने क्यूँतुझे हर सह मे ढूढता हूँ
439
तन्हाई के सफर में दिल खुद से बातें करता है,
तेरी ही यादों सुकून ढूंढता है।
440
तन्हाई की राह में खुद को खो देता हूँ,
दिल की धड़कनों से हर दर्द को भुला देता हूँ।
441
तन्हाई की रातों में खुद को खोजता हूँ,
दिल की गहराई से हर दुनिया को समझता हूँ।
442
तन्हाई की की खामोसी में रो लेता हूँ
दिल का हर दर्द को छुपा लेता हूँ।
443
तन्हाई की गहराई में खुद को पा जाता हूँ,
दिल की धड़कनों से हर ग़म को भुला देता हूँ।
444
तन्हाई की रातों में खुद से बातें करता हूँ,
दिल की आवाज से हर एहसास को सुनता हूँ।
445
तन्हाई की इस दुनिया में खुद को खो देता हूँ,
दिल की धड़कनों से हर दर्द को समझता हूँ।
446
तन्हाई की दर्द में खुद को महसूस करता हूँ,
दिल की गहराई से हर ग़म को भुला देता हूँ।
447
तन्हाई की रातों में दिल को सुकून मिलता है,
खुद की यादों में जलने से राहत मिलती है।
448
तन्हाई की गहराई में दिल खुद को समझाता है,
हर बात पर में से बातें करता है।
449
तन्हाई की रातें खुद से मुलाकात कराती हैं,
दिल की धड़कनों में हर दर्द छुपाती हैं।
450
तन्हाई की चुप्पी में खुद को बुनता हूँ,
की कहानी दिल ही में सुनता हूँ
#दर्दएजुदाई
451
दिल को तस्सली दी है तेरी यादों ने,
वरना तन्हाई में कहाँ आराम मिलता है।
452
जुदाई की रातों में नींद कहाँ आती है,
तेरी यादें ही अब सुलाने आती हैं।
453
तू नहीं, पर तेरी खुशबू आज भी साथ है,
इस दिल का दर्द अब सिर्फ मेरे पास है।
454
तेरी जुदाई ने ऐसा दर्द दिया,
अब हर खुशी भी हमें रास नहीं आता।
455
बिछड़ के भी तेरा इंतजार करते हैं,
हम दिल को अब कैसे करार देते हैं?
456
तेरी यादों का सिलसिला थमता नहीं,
तेरे बिना ये दिल बस बहलता नहीं।
457
मिट्टी सा बिखर गया हूँ तेरे बाद,
तू नहीं, तो क्या ख्वाब अब कोई आस है?
458
तेरी जुदाई का असर है दिल पर,
हर धड़कन अब सिसकियों में बदल जाती है।
459
तू ना सही, पर तेरा एहसास तो है,
जुदाई का भी एक अलग अंदाज तो है।
460
तेरी तस्वीर से बातें करते हैं,
जुदाई में खुद से शिकायते करते हैं।
461
चाहत की हर हद तक गए थे हम,
पर जुदाई के गम में बिखर गए हम।
462
दिल की वीरानी में तेरा नाम है,
जुदाई का यह दर्द ही तो पहचान है।
463
जुदाई में तन्हा हूँ, पर यादें बहुत हैं,
दिल बेचारा है, लेकिन बातें बहुत ह
464
दिल से दिल का फासला इतना बढ़ गया,
तेरे बिना ये जिंदगी एक बोझ बन गया।
465
यादों के लम्हे अब तीर सा चुभते हैं,
तेरे बिना मेरे हालात भी रूठते हैं।
466
तू नहीं है साथ, पर दिल रोता है,
तेरी यादों में ये वक्त भी खोता है।
467
तेरी जुदाई का दर्द सहा नहीं जाता,
अब ये गम दिल से कहा नहीं जाता।
468
तेरी यादें ही मेरी साथी बन गईं,
जुदाई की तन्हाइयाँ दिल को जला गईं।
469
तू मिला भी नहीं, पर खोया सा लगता है,
जुदाई का यह सिलसिला अब कभी नहीं रुकता है।
470
तेरे बिना हर पल उदासी सी रहती है,
जुदाई का ये आलम जीने नहीं देती है।
#दिल से
471
तेरे बिना इस दिल का जीना मुश्किल है,
हर लम्हा तेरी यादों में ही डूबा है।
472
दिल से चाहा था तुझे कभी खोने नहीं,देंगे
जिन्केदगी किसी मोड़ पर रोने नही देंगे
473
दिल से दिल का रिश्ता टूट जाता है,
जब प्यार में कोई झूठा बन जाता है।
474
दिल से जो निकले वो सच्चाई होती है,
हर बात में अब तेरी ही अच्छाई होती है।
475
दिल से पूछा जब तेरा हाल-ए-दिल,
उसने कहा तुझसे मिलने की राहहै मुश्किल।
476
दिल से हर बात कह नहीं पाते,
तेरी यादों में चुप रह जाते।
477
दिल से चाहा था तुझे अपना बनाना,
पर खो दिया उसने मुझे समझा बेगाना।
478
दिल से निकली दुआ सी लगती है,
तू हर पल मेरे पास है, ये ख्वाब सी लगती है।
479
दिल से तुझको चाहा, दिल से तुझको माना,
अब दिल से ही तुझसे जुदा होने का अफसाना।
480
दिल से निभाया हर रिश्ता हमने,
पर दिल से ही टूट गईं सारी कसमें।
481
तेरे बिना हर खुशी अधूरी है,
दिल में बस तेरी ही कमी है।
482
तेरी जुदाई में ये दिल सिसकता है,
तेरी यादों में हर पल ये तड़पता है।
483
तेरी जुदाई का दर्द हर रोज बढ़ता है,
तेरे बिना अब कोई सहारा नहीं मिलता है।
484
जुदाई का असर दिल पर छा गया,
तेरे बिना हर रास्ता तन्हा सा हो गया।
485
तेरी जुदाई का गम कभी नहीं मिटेगा,
तेरी यादों का असर कभी नहीं घटेगा।
487
तेरी यादों में ये दिल खो गया,
जुदाई के इस दर्द में सब कुछ सो गया।
488
तेरे बिना हर लम्हा जुदाई का लगता है,
तेरी यादों में दिल अब कभी नहीं रुकता है।
489
तेरी जुदाई ने मेरा सब कुछ छीन लिया,
अब तेरी यादों का साया भी दिल से नहीं जाता।
490
दिल से निकली आहों में तेरा नाम है,
जुदाई का ये दर्द भी एक गुमनाम सा है।
491
तेरी जुदाई का दर्द दिल से सहा नहीं जाता,
अब तेरे बिना कोई खुशी दिल को भा नहीं जाता।
492
तेरे बिना अब कोई सपना अधूरा सा लगता है,
जुदाई की ये राह भी अब कभी नहीं कटती है।
493
तेरी यादें हर पल दिल को जलाती हैं,
जुदाई की ये राहें अब हमें रुलाती हैं।
494
तेरे बिना अब कोई रंग नहीं है जिंदगी में,
जुदाई का ये दर्द तड़पाता है हर घड़ी में।
495
तेरे बिना ये दिल हर रोज तन्हा सा लगता है,
जुदाई का ये दर्द अब कभी नहीं थमता है।
496
तेरी यादों में हर रात गुमनाम सा होता है,
जुदाई के इस दर्द में दिल अब कभी नहीं खोता है।
497
तेरी जुदाई का असर दिल पर गहरा है,
तेरे बिना हर खुशी अब बेवजह सा है।
498
तेरी यादों के सहारे जीना सीख लिया है,
जुदाई के इस दर्द को अब दिल ने अपना लिया है।
499
तेरी जुदाई में दिल अब कभी नहीं हंसता,
तेरी यादों में हर रोज ये दिल तड़पता।
500
तेरी जुदाई का असर दिल पर गहरा है,
तेरे बिना अब कोई खुशी हमें प्यारा नहीं है।
तेरी यादों में ये दिल खो गया है,
जुदाई के इस दर्द में अब सब कुछ सो गया है।
तेरी जुदाई का असर दिल से सहा नहीं जाता,
तेरे बिना कोई और चेहरा भाया नहीं जाता।
तेरी यादें हर रोज दिल को रुलाती हैं,
जुदाई के इस दर्द में अब हर खुशी खो जाती है।
तेरी जुदाई का दर्द दिल पर भारी है,
तेरे बिना हर खुशी अब खाली है।
तेरी यादों में हर रोज दिल तड़पता है,
जुदाई का ये गम कभी नहीं घटता है।
तेरे बिना ये दिल हर रोज तन्हा सा होता है,
जुदाई का ये दर्द अब कभी नहीं सोता है।
तेरी जुदाई का असर दिल पर छा गया है,
तेरे बिना हर खुशी अब रुक सा गया है।
तेरी यादों में ये दिल खोया है,
जुदाई के इस दर्द ने सब कुछ तोड़ दिया है।
तेरी जुदाई का गम दिल से सहा नहीं जाता,
अब तेरे बिना कोई खुशी दिल को भाती नहीं जाती।
तेरी यादों में हर पल ये दिल खो जाता है,
जुदाई के इस दर्द में अब सब कुछ सो जाता है।
तेरी जुदाई का असर दिल पर छा गया है,
अब तेरे बिना हर खुशी भी तन्हा सा हो गया है।