r 500+जुदाई पर दर्द भरी शायरी/Judaee Par Dard Bharee Shaayaree » Dard E Jazbaat 500+जुदाई पर दर्द भरी शायरी/Judaee Par Dard Bharee Shaayaree 500+जुदाई पर दर्द भरी शायरी/Judaee Par Dard Bharee Shaayaree

500+जुदाई पर दर्द भरी शायरी/Judaee Par Dard Bharee Shaayaree

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500+जुदाई पर दर्द भरी शायरी/Judaee Par Dard Bharee Shaayaree-आज हम आपके लिए जुदाई की दर्द भरी शायरी पोस्ट लेकर आए हैं जुदाई का दर्द शब्दों में बयान करना आसान नहीं होता। जब हम किसी अपने से दूर होते हैं, तब हर पल एक दर्एद का अहसास जलाता है । ऐसे में शायरी हमें उन भावनाओं को शब्दों में व्यक्त करने का एक माध्यम देती है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम 1000 जुदाई की दर्द भरी शायरी दिल को छू लेने वाली शायरियों का संग्रह प्रस्तुत कर रहे हैं, जो जुदाई के दर्द को बखूबी बयान करती हैं। इन शायरियों को पढ़कर आपको अपनी भावनाओं को समझने और साझा करने का मौका मिलेगा।जुदाई पर दर्द भरी शायरी: दिल से निकली पुकार है जुदाई का दर्द हर किसी के दिल को छू जाता है।ये शायरी आपके जज्बातों को बयां करने में मदद करेंगी। आइए, इन शायरियों के साथ अपने दिल की बातें कहें।उम्मीद करते है आपको ये शायरी जरुर पसंद आएंगी

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500+जुदाई पर दर्द भरी शायरी/Judaee Par Dard Bharee Shaayaree
500+जुदाई पर दर्द भरी शायरी/Judaee Par Dard Bharee Shaayaree

1.


दिल के टूटने की आवाज़ नहीं होती,
जुदाई कभी बेवजह नहीं होती।

2.


तेरी जुदाई में हम जीना तो सीख गए,
पर खुश रहने का हुनर न सिख पाए ।

500+जुदाई पर दर्द भरी शायरी/Judaee Par
500+जुदाई पर दर्द भरी शायरी/Judaee Par

3.


कभी सोचा ना था कि यूँ जुदा हो जाओगे,
तुम मेरी जिन्दगी बनकर चले जाओगे।

4.
जुदा होकर भी तुझसे मोहब्बत करेंगे,
तू चाहे हमें कभी याद ना करे।हम तुझे चाहेंगे

5.


अब तो हर पल बस तेरा ही ख्याल आता है,
जुदा होकर भी तू मेरी सांसों में समाता है।

6

.
तेरे बिना ये रातें बहुत उदास हैं,
तू जो साथ हो, तो रत दिन खास है।

7.


दूरियों ने हमें जुदा कर दिया,
पर तेरी यादों ने मुझे रुला दिया।

500+जुदाई पर दर्द भरी शायरी/Judaee Par
500+जुदाई पर दर्द भरी शायरी/Judaee Par

8


तू नहीं है तो ज़िन्दगी वीरान है,
तेरे बिना जिन्दगी बेईमान है।

9.


तेरी जुदाई ने दिल को तड़पा दिया,
भरी दुनियां में तन्हा कर दिया

10.


तू दूर है तो क्या हुआ, तू फिर भी पास है
दिल में तेरी मौजूदगी का एहसास है।

11.


वो जुदा हो गए हमसे,
हम तन्हाई के हो गए तबसे

12.


जुदा हो कर भी तेरा प्यार जिन्दा है,
दिल की गहराइयों में तू आज भी जिंदा है।

13.


तेरी जुदाई का असर है यही ,
अब कोई और दिल को भाता नहीं।

14.


तेरी यादों का सहारा फखत मेरे पास,है
वरना जुदाई का दर्द सहना नही आसान है

16

तेरी मोहब्बत में खो कर,
मैंने खुद को ही पा लिया।

17.


जुदाई का दर्द आँखों में साफ झलकता है,
तेरे बिना दिल बेहिसाब तड़पता है।

500+जुदाई पर दर्द भरी शायरी/Judaee Par
500+जुदाई पर दर्द भरी शायरी/Judaee Par

18.


तेरी जुदाई में हमने जीना छोड़ दिया,
जबसे जुदा हुए सबसे नाता तोड़ दिया

19.


तेरी जुदाई ने मुझे बदल दिया,
तेरी मोहबत्त का अहसास करा दिया

20.


तेरी यादों ने मेरे दिल को घर बना लिया,
तेरे सिवा किसी का ख्याल नही रहा

21.


तेरे बिना जिंदगी इस तरह अधूरी है,
जैसे कोई किताब बिना पन्नों अधूरी है

500+जुदाई पर दर्द भरी शायरी/Judaee Par
500+जुदाई पर दर्द भरी शायरी/Judaee Par

22.


जुदाई का दर्द जब हद से बढ़ जाता है,
दिल तेरी याद में भुत रोता है

23.


तेरी जुदाई का गम इस दिल से कभी जाएगा नहीं,
तू मेरी यादों से कभी दूर होगा नही

24.


तेरी जुदाई ने मेरी दुनिया को वीरान कर दिया,
अब बस तेरी यादों का ही सहारा है।

25.


तेरी जुदाई का असर ऐसा है,
जीवन मेरा बियाँबान सा है

26.


दिल ने तुझसे प्यार किया,
फिर क्यूँ तन्हा तूने छोड़ दिया

27

.
तेरी जुदाई में दिल ऐसा टूटा है,
जेसे मेरा रब मुझसे रूठा है

28

.
तेरी जुदाई का दर्द ऐसा है,
जो कभी कम नहीं हो सफर एसा है

29.


तेरे बिना ये दुनिया अधूरी सी लगती है,
जिन्दगी जीना एक मजबूरी सी लगती है

30.


जुदाई के लम्हे दिल में दर्द बनकर छा गए,
आज फिर तुम मुझे बेहद याद आ गए

31


तेरी यादों में हम खोए-खोए से रहते हैं,
तुझ बिन जेसे हम नीं सोए रहते हैं

32.


तेरी जुदाई का गम सहन नहीं होता,
]तेरी मोहबत्त का दर्द कम नही होता

33

वो चला गया कुछ इस तरह छोड़कर,
जैसे मैं उसकी जिंदगी में कभी था ही नहीं।

34

तू जुदा हुआ ऐसे जैसे हवा से खुशबू बिछड़ जाती है,
मेरे दिल में दर्द के बादल हमेशा के लिए छा जाते हैं।

35

जुदाई का हर पल एक सदी जैसा लगता है,
तेरे बिना हर लम्हा दर्द से भरा लगता है।

36

सिर्फ तेरा नाम ही काफी है तड़पाने के लिए,
तेरे बिना जिंदगी कुछ नही बचा जीने के लिए ।

500+जुदाई पर दर्द भरी शायरी/Judaee Par
500+जुदाई पर दर्द भरी शायरी/Judaee Par

37

दिल की चाहत में तुम्हें ही पाया था,
अब जुदाई में तुम्हें ही खो दिया।

38

जिन रास्तों पर साथ चला था तू,
आज उन्हीं रास्तों पर अकेला हूँ मैं।

39

तेरी जुदाई में मैंने खुद को खो दिया,
अब दिल में सिर्फ दर्द ही रह गया।

40

तेरे बिना ये रातें भी अजनबी सी हैं,
तू साथ हो तो हर अंधेरा रोशन हो जाता है।

41

वो अलविदा कह गया ऐसे,
जैसे कभी मिलना ही नहीं था।

42

तेरी यादें, तेरी बातें, सब कुछ तो है मेरे पास,
बस तू नहीं है।

43

हर सुबह तेरे बगैर अधूरी लगती है,
तेरे बिना हर लम्हा अजनबी लगता है।

44

तेरे बिना ये दिल वीरान सा है,
जैसे खुशबू बिना कोई फूल।

45

कभी-कभी तुझे देखने की तमन्ना इतनी बढ़ जाती है,
कि तेरा ना होना भी दर्द की इंतिहा की हद कर देती है।

46

तेरी जुदाई में हम ऐसे खो गए,
जैसे बिना चाँद रात के हो गए।

47

जुदाई का दर्द ऐसा, कह भी नहीं सकते,
तुझे भुला भी नहीं सकते, सह भी नहीं सकते।

48

तुमसे बिछड़ कर जीने का ग़म है,
यह दिल आज भी तुझसे ही बंधा है।

49

सांसों में बसी थी जो तेरी ख़ुशबू,
अब तेरे बिना सांस भी बेवजह सी लगती है।

50

वो जा चुका है मुझे छोड़कर,
और मैं अब तक उससे मिलने की राह तकता हूं।

51

तेरे जाने का ग़म दिल में बसाए बैठे हैं,
हम आज भी उस प्यार की राह में खड़े हैं।

52

जुदाई का सिलसिला कुछ यूं चला,
दिल रोया नहीं, पर आँखें नम हो गईं।

53

तू नहीं, पर तेरी यादें हैं मेरे पास,
जो हर पल तेरे होने का एहसास दिलाती हैं।

54

जुदाई के पल आंखों में यूं बसे हैं,
जैसे कोई चुपके से आंसू छुपा कर गया हो।

55

वो दूर हो गया, दिल से भी और नज़रों से भी,
पर उसकी बातें अब भी दिल को रुलाती हैं।

56

वो तो दूर चला गया, पर ये दिल नहीं माना,
उसे हर पल, हर घड़ी, पास महसूस करता है।

57

वो कह कर गया था कि लौटूंगा जरूर,
अब उसकी वापसी का इंतजार हमसे कहां सहा जाता है।

58

दिल में दर्द की चुभन अब भी बाकी है,
जुदाई की वो रात आज भी याद आती है।

59

तेरे बिना ये दिल बेजान सा है,
जैसे बिना धड़कन के शरीर हो कोई।

60

वो यादें अब भी आंखों में छिपी हैं,
जो कभी तेरे साथ हंसते हुए बिताई थीं।

61

तेरे जाने से दिल को जो सूनापन मिला,
वो आज भी चुपके से मुझे आकर रुला जाता है।

62

वो छोड़ कर गया, पर दिल ने उसे छोड़ा नहीं,
हर रोज़ उसकी याद में जीता हूं।

#इश्ककादर्द

63

इश्क का दर्द जब महसूस किया,
आँखों ने अश्क़ों का जाम पिया

#इश्ककादर्द
#इश्ककादर्द

64

दिल के ज़ख्मों का हिसाब कौन करे
इश्क़ ने हर घड़ी बेहिसाब दर्द दिए

65

इश्क़ का दर्द बेहद सताता है
और दिल को बेपनाह रुलाता है।

67

मोहब्बत में दर्द का रिश्ता पुराना है
, जहाँ इश्क़ है, वहां दर्द का ठिकाना है।

68

तेरे इश्क़ का ये कैसा सितम है,
दिल जले और खामोश हैं लब

69

इश्क़ का दर्द एक अजीब दास्तान है, जिसका हर पन्ने पर
आँसू से लिखी हुई दास्ताँ है।💔💔💔💔

70

जब इश्क़ में दर्द होता है,
दिल से खुशी का रास्ता खो जाता है।

71

इश्क़ का दर्द वो जख्म है, जो नजर नहीं आता है
पर दिल में घर कर कर के तबाह कर जाता है।

72

इश्क़ का दर्द क्या कहें तुझसे, कितना सताता है
हर धड़कन में सिर्फ़ तेरा ही नाम आता है।

74

दिल ने इश्क़ का दर्द जब सहा,
आँखों से मोहब्बत का समंदर बहा।

75

इश्क का दर्द ऐसा अनमोल है,
दिल के हर कोने में तू अनमोल है।

76

चाहा था जिसे उम्रभर साथ रहे,
वो ही जख्म दे कर दूर हो गए

77

हर ख़ुशी के पीछे दर्द है,
इश्क़ में दर्द का अलग ही मज़ा है।

78

दिल को तोड़कर भी उसने मुस्कान छीन लि
यही दर्द मोहब्बत की पहचान बनी

79

तू जो नहीं, फिर भी तेरा एहसास है,
इश्क़ का दर्द ही अब मेरी प्यास है।

80

हंसते-हंसते रोने का हुनर सिखा गया,
इश्क़ का दर्द हमको जीना सीखा गया।

#इश्ककादर्द
#इश्ककादर्द

81

कभी मीठा, कभी खारा ये इश्क का सफर,
पर इसके दर्द में ही छिपा है दिल का असल सफर।

82

इश्क का दर्द छुपाना मुश्किल होता है,
हर ख़ुशी में भी आंसू का किस्सा होता है।

83

वो लफ़्ज़ों से कुछ कह नहीं पाया,
पर उसकी खामोशी में दर्द नजर आया

84

दिल लगाया था हमने बड़े शौक़ से,
जबसे हुआ इसक हम गए काम से

85

इश्क़ की राह में कांटे ही कांटे मिले,
फिर भी दिल उसी के दीवाने हो गए

86

जितना चाहा था उसे, उतना खोया है,
इश्क़ के दर्द में दिल बर्बाद किया है

87

हर रात उसकी यादों में डूबा हूँ,
इस दर्द में ही अब जीता मरता हूँ

88

इश्क़ के दर्द का कोई इलाज नहीं है,
दिल तो टूटा है, फिर भी म जीना होता है।

89

इश्क़ का दर्द दिल में छुपाना मुश्किल है,
इस दर्द को ब्यान करना मुश्किल है।

90

दिल के कोने में बस गया है दर्द इश्क़ का,
हर लफ्ज़ में छिपा है जिक्र, उसका

91

तुमसे मिलने की ख़्वाहिश में, दिल दर्द से भरा,
इश्क़ का ये सफर ही है, दर्द से भरा

92

इश्क़ में का हर रंग अनोखा है,
दिल की हर धड़कन में उसी का जिक्र होता है।

93

तेरे बिना हर लम्हा दर्द का प्याला,पिया
इश्क़ की राह में दर्द ही दर्द दिया

94

इश्क़ की दुनिया में दर्द ही सच्चा साथी,है
हर आंसू के पीछे छिपी कहानी बेवफाई है

95

दिल का दर्द इश्क़ का घर बन गया,
तेरे बिना जीना अब एक बड़ा इम्तिहान बन गया।

96

इश्क़ का हर दर्द दिल के आंगन में बसा,
तू दूर है लेकिन तेरी यादें दे रही हर पल सजा।

97

इश्क़ का दर्द जब छुपाया नहीं जाता,है
दिल से निकलकर लफ्ज़ों में उतर आता है।

98

हर आँसू में इश्क़ का दर्द झलकता है,
तेरे बिना दिल का हर कोना खाली लगता है।

99

इश्क़ का दर्द दिल की गहराई में समा गया,
तेरे बिना ये दिल अधूरा और तन्हा हो गया।

100

दर्द की ये सच्चाई दिल के हर कोने में,
इश्क़ के हर पल की कहानी बसी है इन लफ्ज़ों में।

101

दिल के टूटे टुकड़े इश्क़ की आह बन गए हैं,
तेरे बिना हम कांच की तरह टूट के बिखर गए हैं

#इश्ककादर्द
#इश्ककादर्द

102

इश्क़ का दर्द दिल के जख्मों में बस गया,
तेरे बिना हर ख्वाब भी अब अधूरा रह गया।

103

इश्क़ का दर्द कुछ ऐसे बयां होता है,
दिल के हर कोने में तू ही बसा होता है।

104

तेरे बिना ये दिल अब बस दर्द का मूरत है,
इश्क़ के हर दर्द को लफ्ज़ों में कहने की जूरत है।

105

इश्क़ के दर्द को लफ्ज़ों में कैसे समेटें,
हर आंसू और हर चुप्प इस दर्द को बयां करते हैं।

106

दिल का दर्द इश्क़ की किताबों में लिखा है,
तेरे बिना ये दिल हर शब्द में खुद को खोता है।

107

इश्क़ का दर्द दिल में ही सुलगता रहता है,
तेरे बिना ये दिल सच्चा प्यार ही खोजता रहता है।

108

दर्द के इश्क़ को लफ्ज़ों में कैसे कहूँ,
दिल की गहराई में तेरे बिना कैसे रहूँ।

109

इश्क़ का दर्द हमेशा दिल को झकझोरता है,
तेरे बिना हर पल का अहसास चुभता है।

110

दिल के हर कोने में इश्क़ का दर्द बस गया,
तेरे बिना हर ख्वाब अधूरा सा रह गया।11

111

इश्क़ की राह में दर्द ही सबसे सच्चा साथी,
दिल की हर धड़कन में तेरे बिना की गहराई।

112

इश्क़ का दर्द लफ्ज़ों से बयां करूं कैसे,
दिल के हर कोने में तेरी यादों का क़िस्सा है।

113

दिल की धड़कन इश्क़ के दर्द से तड़पती है,
तेरे बिना ये दिल हर दिन की जंग लड़ती है।

114

इश्क़ का दर्द दिल की गहराई में बसा है,
तेरे बिना हर खुशी भी अब सूना सा लगता है।

115

दिल के दर्द को इश्क़ का नाम दे दिया,
तेरे बिना हर लम्हा अब चुप्प सी हो गया।

116

इश्क़ का दर्द लफ्ज़ों में समेटना मुश्किल है,
हर आंसू की क़ीमत अब दिल को ही समझनी है।

117

तेरे बिना ये दिल अब बस दर्द की तस्वीर है,
इश्क़ की राह में हर ख्वाब अधूरी सी है।

118

दिल का हर दर्द इश्क़ की गहराई में बसा है,
तेरे बिना हर लम्हा अब अधूरा सा लगता है।

119

इश्क़ का दर्द दिल की धड़कन में समाया है,
तेरे बिना हर सुबह और शाम सुनी सी लगती है।

120

इश्क़ के दर्द को छुपाना मुश्किल है,
दिल के हर कोने में इसका असर बसा है।

121

तेरे बिना ये दिल अब बस दर्द का घर है,
इश्क़ की राह में हर ख्वाब अब अधूरा सा है।

122

इश्क़ का दर्द हर लफ्ज़ में छिपा है,
तेरे बिना हर एहसास अब फीका सा लगता है।

123

दिल के जख्मों में इश्क़ का दर्द बसा है,
तेरे बिना ये दिल हर ख्वाब में खोया है।

124

इश्क़ का दर्द लफ्ज़ों में कैसे कहूँ,
तेरे बिना हर पल अब अधूरा सा लगता है।

125

दिल का दर्द इश्क़ के साये में समाया है,
तेरे बिना हर ख्वाब और हर लम्हा सुना सा है।

126

इश्क़ का दर्द दिल की गहराई में छुपा है,
तेरे बिना हर खुशी अब अधूरी सी है।

127

दिल के टूटे टुकड़े इश्क़ की कहानियाँ बने हैं,
तेरे बिना हर एहसास अब दर्द में खोया है।

128

इश्क़ का दर्द लफ्ज़ों में कैसे बयां करूँ,
दिल की गहराई में तेरे बिना कैसे रहूँ।

129

दिल के दर्द को इश्क़ का नाम दे दिया,
तेरे बिना हर लम्हा अब अधूरा सा हो गया।130

130

इश्क़ का दर्द दिल की गहराई में बसा है,
तेरे बिना हर ख्वाब अब अधूरा सा लगता है।

131

दिल की हर धड़कन इश्क़ के दर्द से भरी है,
तेरे बिना हर सुबह और शाम सुनी सी लगती है।

132

इश्क़ का दर्द दिल की गहराई में छुपा है,
तेरे बिना हर ख्वाब और हर लम्हा अधूरा है।

133

दिल का हर दर्द इश्क़ की कहानियों में बसा है,
तेरे बिना हर लम्हा अब अधूरा सा लगता है।

134

इश्क़ का दर्द लफ्ज़ों में कैसे बयां करूँ,
दिल की गहराई में छुपा है तू

135

दिल के जख्मों में इश्क़ का दर्द बसा है,
तेरे बिना हर खुशी अब सब अधूरा सा है।

136

इश्क़ का दर्द दिल की गहराई में समाया है,
तेरे बिना हर ख्वाब और हर लम्हा अधूरा सा लगता है।

137

दिल का दर्द इश्क़ के साये में बसा है,
तेरे बिना हर लम्हा और हर ख्वाब अधूरा सा है।

138

इश्क में चोट खाकर जब हम तन्हा हुए,
इस इश्क के पीछे दर्द के अफसाने हुए।

139

जिसे अपना समझा था, वो पराया निकला,
दिल में रहने वाला दिल का कातिल निकला

140

रातें अब नींद से नहीं, आहों से कटती हैं,
तेरे ख्यालों में दिन की तरह जलती हैं।

141

वफ़ा का नाम अब किताबों में मिलता है,
दिल जुदाई तड़प की आग जलता है

142

ये दर्द अब हमारी पहचान बन गया,
इश्क़ की गलियों में अकेला सफर बन गया।

143

जिसने दिल तोड़ा, उसे इल्म नहीं,
कि उसकी हर याद, ज़हर बन गया।

144


इश्क में चोट खाकर जब हम तन्हा हुए,
हर हंसी के पीछे दर्द के अफसाने हुए।

145


जिसे अपना समझा था, वो पराया निकला,
दिल के हर टुकड़े से खून के फ़व्वारे हुए।

146

रातें अब नींद से नहीं, आहों से कटती हैं,
तेरे ख्यालों में दिन की तरह जलती हैं।

147


वफ़ा का नाम अब किताबों में मिलता है,
दिल की तड़प से दिल जलता है

148

ये दर्द अब हमारी पहचान बन गया,
इश्क़ की गलियों में अकेला हमसफर बन गया।

149


जिसने दिल तोड़ा, उसे इल्म नहीं,
उसके दिए धोखे से हम जिन्दा नहीं

150

इश्क़ में चोट खाकर हंसना भूल गए,
दिल के अरमान आंसुओं में बह गए।

151

वो जिस पर हमने जान निछावर की
उसी ने हमें जख्मों की सौगात दी

152

इश्क़ में मिला दर्द कभी कम नहीं होता,
ये ऐसा जख्म है जिसका मरहम नहीं होता।

#इश्ककादर्द
#इश्ककादर्द

153

टूटे दिल की आवाज़ कौन सुनता है,
यहां हर कोई सिर्फ़ अपने में मसरूफ़ रहता है।

154

दिल की गहराई में छिपा इक ज़ख़्म पुराना है,
इश्क में डूबा , हर सख्स का अफसाना है।

155

तेरे इश्क़ का ये आलम है, क्या कहें,
आंखें बंद हो या खुली तेरा ही चेहरा देखते है।

156

इश्क़ का सफर था,तेरी जुल्फों में खो गया,
दिल भी टूटा, पर तेरे प्यार में फना हो गया।

157

तू जो मिला तो दर्द मिला,
हर साँस इश्क डूबा मिला ।

158

दर्द-ए-इश्क़ ने दिल को यूँ झुलसाया,
हँसते हुए आँसू का , चेहरा छुपाया।

159

इश्क़ की गलियों में ख़ुशी नहीं मिलती,
बस दर्द और ग़म की दास्तां है लिखी।

160

तेरे जाने का दर्द आज भी जिंदा है,
दिल में बसा हर लम्हा, अभी भी जख्मी है।

161

इश्क़ में दर्द था पर फिर भी सुकून था,
तेरे नाम से हर घाव महकता हुआ जुनून था।

162

इश्क़ की राह में हमने खाई, हर कदम पर चोट,
जिसे समझा था हमसफ़र, उसने दी दिल पर चोट

163

दिल की गहराई में छिपा इक ज़ख़्म पुराना है,
इश्क़ ने सिखाया, हर दर्द बस अफसाना है।

164

तेरे इश्क़ का ये आलम है, क्या कहें,
आंखें बंद कीं तो तेरा ही चेहरा देखते है।

165

इश्क़ का सफर था, पर रास्ते में खो गया,
दिल भी टूटा, पर तुझसे प्यार और हो गया।

166

तू जो मिला तो दर्द मिला,
अब हर साँस में इश्क़ का ही ज़हर मिला।

167

दर्द-ए-इश्क़ ने दिल को यूँ झुलसाया,
हँसते हुए भी आँसू हैं, चेहरा छुपाया।

178

इश्क़ की गलियों में ख़ुशी नहीं मिलती,
बस दर्द और ग़म की दास्तां है लिखी।

179

तेरे जाने का दर्द आज भी जिंदा है,
दिल में बसा हर लम्हा, अभी भी जख्मी है।

180

तेरी यादों का साया दिल पे यूँ छा गया,
इश्क़ का दर्द फिर से हंसने लगा।

181

इश्क़ में दर्द था पर फिर भी सुकून था,
तेरे नाम से हर घाव महकता हुआ जुनून था।

182

तेरा इश्क़ ही था जो मुझे तन्हाई सिखा गया,
दिल तो बचा था, पर ज़ख्म गहरा छोड़ गया।

183

दिल टूटा है, पर आवाज़ नहीं आती,
तेरे बगैर अब कोई सुबह नहीं आती।

184

इश्क़ का दर्द है, जो समझ न पाएगा,
जिसने सहा नहीं, वो क्या बताएगा।

185

तेरे जाने का ग़म है, जीने नहीं देता,
दिल से दर्द है, जो सीने से नहीं जाता।

186

चाहा था तुझे, पर तूने ठुकरा दिया,
अब तेरा नाम ही दर्द को मिटा दिया।

187

इश्क़ में मिला दर्द, अब सांसें रोकता है,
दिल अब बस तुझे भूलने को कहता है।

188

तेरी यादों का साया मुझे हर रोज़ सताता है,
दिल टूटा है, पर चेहरा हंसता नज़र आता है।

189

जो मिला इश्क़ में, वो दर्द का तोहफा था,
हर लम्हा बस तेरी जुदाई का किस्सा था।

190

आँखें नम हैं, पर दिल पत्थर सा हो गया,
तेरे इश्क़ में ये दिल बर्बाद हो गया।

191

तेरी राहों में बिछे थे, पर तूने कुचल दिया,
इश्क़ का ये हाल, तन्हाई में बदल दिया।

192

जख़्म दे गए हो, अब मलहम भी नहीं देते,
तेरा ये प्यार बस दर्द देके चला जाता है।

193

इश्क़ का हर दर्द, अब दिल से चिपका है,
तेरी याद का हर आंसू आँखों में रुक गया।

194

इश्क का दर्द सहा नहीं जाता,
दिल की हाल बताया नहीं जाता

195

चोट खाया हूं इश्क के सफर में,
अब तो ये दुनिया से हूँ बेखबर मैं

196

राह-ए-मोहब्बत में बस चोटें ही पाई,
अब इस दिल ने ख्वाहिशें भी गंवाई।

197

हर जख्म ने दिया नया सबक मुझे
पर ये दुनिया मेरी रुसवाई ना भुलाई।

198

कैसा ये दर्द है, जो कह ना सकूं,
रातों की नींद गई दिन का सकूं।

199

इश्क की राहों में सिर्फ बेचैन हूँ
दिल से निकाला पर दूर रह ना सकूं।

200

दिल के दर्द को लफ़्ज़ों में कहूँ, तो रो पड़ेगी रात,
इश्क़ की राह पर चले थे, मिले सिर्फ़ चोट के साथ।

201


चाहत की आग में जले, पर हासिल हुआ न कोई सवेरा,
इश्क़ ने बस दर्द दिया, ना कोई दिलासा, ना कोई बसेरा।

203

.
दिल से खेल गए वो, जैसे ये कोई खिलौना हो,
इश्क़ की दुनिया में मेरा दिल, बस एक बिखरा सपना हो।

203


आँखों में अश्क़, दिल में टीसें, ये ही तोहफ़ा है इश्क़ का,
जिससे किया वफ़ा का वादा, वही बन गया दर्द का वास्ता।

204


इश्क़ में चोट खाई, अब दिल में कोई उमंग नहीं,
जिसने दर्द दिया, उसे दिल भूलता नहीं।

#विरहकीशायरी

#विरहकीशायरी
#विरहकीशायरी

205

तेरे बिना दिल है वीरान,
बिरह की चादर ओढ़े हुई है शाम।

206

बिरह की आग में जलते हैं अंग
तेरी यादें ही हैं जैसे दर्द में संग।

207

चाँदनी रातों में भी है वीरान दिल मेरा
बिरह के दर्द में खो गया मेरा बसेरा।

208

तेरे बिना हर लम्हा जैसे सूना सा लगता,
बिरह के गीत से मन मेरा बहलता

209

बिरह के इस सफर में क्या रंग भरूँ,
तेरे बिना खुद को किस तरह सम्भालूं

210

सपनों में भी दिल का ये हाल,
बिरह की ये कहानी, बन गयी सवाल।

211

तेरे बिना ये ज़िन्दगी अधूरी सी लगती,
बिरह की आग हमेशा दिल में जलती।213

212

रात की चुप्पियों में ही बसी है तुझसे दूरियाँ,
बिरह के दर्द से भरी हैं ये जिन्दगी की मजबूरियां

213

बिरह की रातें अब दिन से भी लंबी लगतीं,
तेरे बिना हर सुबह भी अब बेकार सी लगतीं।

214

तेरे बिना दिल की धड़कनें भी बेताब हैं,
बिरह की आग में हर लम्हा दर्द से भरा है।

215

तेरे बिना ये दिल का वीरान मंजर,
बिरह के दर्द में सब कुछ गया जल

216

रातों की नींद भी अब पूरी नहीं होती,
बिरह की आग में दिल की धड़कन खो दी ।

217

तेरे बिना अधूरी है हर एक बात,
बिरह का ये दर्द अब मेरी सच्ची सौगात।

218

बिरह की कातिल धड़कनें
तेरे बिना ये दिल मेरा चैन छीने

219

तुझसे बिछड़ने के बाद हर चीज़ में है कमी,
बिरह की इस आग से आखों में नमि है ।

210

रात के अंधेरों में भी अब ढूँढें तेरा नाम,
बिरह के दर्द ने कर दिया है मुझे बदनाम

211

तेरे बिना तो दिन भी बीत जाता है,
बिरह की इस आग में दिल बस जलता जाता है।

212

तेरे बिना दिल का हर कोना है वीरान,
बिरह की इस आग में हर सुबह बेजान।

213

सपनों में भी तेरे बिना दिल है मायूस,
बिरह की आग ने छीन लिया सकूंन

214

तेरे बिना ये दिल है जैसे बियाबान,
बिरह की चुप्पी में गुम है हर एक अरमान।

215

तेरे बिना दिल की दुनिया है वीरान,
बिरह के इस दर्द ने किया है बेजान

216

तेरे बिना हर घड़ी जैसे सदी सी लगती,
बिरह की आग में दिल की धड़कनें बेताब लगतीं।

217

तेरे बिना हर सुबह भी अब चुप है,
बिरह की आग में दिल की धड़कनें बेताब हैं।

218

तेरे बिना दिल की धड़कनें भी खो गईं,
बिरह के दर्द में हर सुबह सर्दी सी हो गईं।

219

तेरे बिना हर लम्हा जैसे है थका-थका,
बिरह की आग ने किया है दिल को तना।

220

सपनों में भी अब दिल की आवाज़ है सुनी,
बिरह की इस आग ने सब कुछ किया है खोई।

221

तेरे बिना दिल का हर पल है बेजान,
बिरह की चुप्पी में खोया हर एक अरमान।

222

रात की चाँदनी भी अब है बेमीत,
बिरह के दर्द में दिल हर पल है जीता।

223

तेरे बिना दिल की धड़कनें भी नहीं हैं साफ,
बिरह की आग ने किया है सबको आधा-आधा।

223

तेरे बिना हर शाम भी अब हो गई है दूर,
बिरह की आग में दिल को सब कुछ है मूर।

224

रात की तन्हाई में दिल है बस खोया,
बिरह के दर्द ने सब कुछ है लूटा।

225

तेरे बिना दिल की धड़कनें हैं वीरान,
बिरह की चुप्पी में खोया हर एक अरमान।

226

तेरे बिना हर सुबह भी जैसे सांझ,
बिरह की आग में दिल हमेशा बेजान।

227

तेरे बिना दिल की धड़कनें भी बेताब हैं,
बिरह की आग में सब कुछ बेकार है।

228

रातों की खामोशी भी अब है बिना तेरे,खामोस
बिरह की में दिल ने खोया होश

229

तेरे बिना दिल की हर खुशी को छोड़ा
बिरह की आग ने हर अरमान को तोड़ा।

230

सपनों में भी अब दिल की आवाज़ है बेजान,
बिरह के दर्द में खोया हर एक अरमान।

231

तेरे बिना दिल का वीरान मंजर,
बिरह के इस दर्द में सब कुछ है बेतरह।

232

रात की खामोशी भी अब तेरे बिना है अधूरी,
बिरह की आग में दिल हर पल बस बेजान हुई।

233

तेरे बिना दिल की धड़कनें भी खो गईं,
बिरह के दर्द में सब कुछ बेधड़क हो गया।

234

सपनों में भी अब दिल की आवाज़ है खोई,
बिरह की आग ने सब कुछ किया है सोई।

235

तेरे बिना दिल की दुनिया है सूनी,
बिरह की आग ने कर दी है सारी खुशियाँ पूरी।

236

वीरानियों में खोया, ये दिल तेरा आदी है,
बिरह की इस कहानी में, सब कुछ दिल की बर्बादी है

237

तुझसे दूर रहकर, दिल में विरह में जलता है
हर घड़ी तेरी याद में, दिल रोता है ।

238

विरह की रातें, चाँदनी में दिल जलाए
तेरी यादों के आँचल के साए में, दर्द सिमट जाएँ।

238

बिरह की आग में जलता दिलमेरा,
हर लम्हा तुझसे मिलना है सपना मेरा।

239

आँखों से बहते अश्क, दिल की बात बताते हैं,
विरह के इस सफर में, केवल दर्द ही मिलते हैं।

240

तेरे बिना ये दिल, वीरान सा लगता है,
बिरह की इस घड़ी में, सब कुछ बेजान सा लगता है।

241

विरह की धारा में, सब कुछ बह जाता है,
तेरे बिना जीवन में कुछ नहीं रहता है

242

दिल के वीराने में, तेरे बिना सूनापन है,
बिरह की इस साजिश में, हर खुशी का गुम है।

243

विरह की धुंध में, गुम हो गया हूँ
तेरी यादों के बगैर, खुद को खो देता हूँ।

244

बिछड़ने की उस रात, दिलरोया,
विरह के इस दर्द में, सब कुछ खो गया।

245

विरह के समंदर में, डूबता हर दिन,
जीवन का सफर है सूना है तेरे बिन

246

चले गए तुम, विरह की आग में जला कर
तेरे बिना रह गए तन्हा होकर

247

विरह की राहों पर, हर कदम पर है दर्द,
तेरे बिना जीना, जैसे है एक बेरंग सर्द।

248

तेरे बिन हर सुबह, विरह की चुप्प है,
जैसे हर सुबह, तुझसे मुलाकात की प्यास है।

249

विरह की तपिश में, दिल का हर कोना झुलस गया,
तेरे बिना जीना, जैसे कोई अधूरा ख्वाब बन गया।

250

हर पल तेरा इंतजार, विरह की अनदेखी राह,
तेरे बिना दिल की धड़कन, मानो हो एक ख़ामोश साज।

251

तेरे बिना सजीव, विरह की दुनिया अजनबी,
हर खुशी में बस, तेरे जाने की लहर लहराती है।

252

विरह की गली में, कोई भी राह नहीं मिलती,
तेरे बिना हर मंजिल, अधूरी सी लगती।

253

विरह की तपिश से, जलता है दिल मेरा,
तेरे बिना ज़िंदगी, जैसे कोई बेजान सबेरा।

254

तेरे बिना विरह की, गहरी खाई में गिरा,
हर पल तेरी यादें, मेरे दिल को चीरती हैं।

255

विरह के वीराने में, हर आह बेमानी सी है,
तेरे बिना ये जिंदगी, जैसे एक रेत की झील है।

256

तेरे बिना हर लम्हा, विरह का काला पर्दा,
दिल के कोने-कोने में, बस तेरा ही हर दर्द छुपा।

257

विरह की रातें, मेरी चाँदनी से बेतर,
तेरे बिना मेरा दिल, जैसे हो बिखर-बिखर।

258

तेरे बिना हर सवेरा, विरह का संदूर है,
तेरे आने की आस में, हर खुशी का दरवाज़ा बंद है।

259

विरह की जंजीरों में, दिल कैद हो गया,
तेरे बिना हर ख्वाब, जैसे अधूरी सी रह गई।

260

तेरे बिना विरह की धुंध में, सब खो गया,
तेरे बिना दिल की दुनिया, जैसे सूनी हो गई।

261

विरह की आंधी में, दिल झूल रहा है,
तेरे बिना हर खुशी, जैसे खो गई है।

262

तेरे बिना जीवन की हर राह, विरह की बियाबान,
तेरे आने की आस में, मन मेरा है परेशान।

263

विरह की तपिश में, दिल का हर अंग जलता,
तेरे बिना हर सपना, जैसे जलकर बुझता।

264

तेरे बिना हर दिन, विरह की चुप्प है भारी,
दिल की हर धड़कन, तेरे बिना मुझसे ही बारी।

265

विरह की तपिश से, दिल हो गया है जला,
तेरे बिना जीवन में, बस एक ही सवाल खड़ा है।

266

तेरे बिना हर लम्हा, विरह की गहराई में डूबा,
दिल की धड़कनें भी, तेरे बिना बेजान सी सूनी हैं।

267

विरह की रातों में, तेरा न होना बुरा लगता,
तेरे बिना जीवन का हर पल, अधूरा सा लगता।

268

तेरे बिना विरह की, गहरी गुफा में खोया,
दिल की हर धड़कन, बस तेरे नाम को बुनता।

269

विरह की पीड़ा में, दिल की हर धड़कन झलकी,
तेरे बिना जीवन की धड़कन, जैसे एक शैल बंधी।

270

तेरे बिना हर क्षण, विरह का दर्द बढ़ता,
दिल की हर धड़कन, तुझसे मिलने की राह तरसती।

271

विरह के गहरे सागर में, दिल तन्हा सा बहता,
तेरे बिना हर लम्हा, जैसे सहरा में खोया।

272

तेरे बिना विरह की रातें, अंधेरों से भरी,
दिल की हर धड़कन, बस तुझे ही पुकारे।

273

विरह की चुप्प में, दिल का हर कोना तड़पता,
तेरे बिना जीवन की राहें, जैसे एक भटकता।

274

तेरे बिना हर सुबह, विरह की धुंध में खोई,
दिल की हर धड़कन, तेरे बिना सूनी सी रोई।

275

विरह की आग में, दिल पूरा जल गया,
तेरे बिना हर ख्वाब, अधूरा सा रह गया।

276

तेरे बिना विरह की, सर्द रातें बेताब हैं,
दिल की हर धड़कन, तुझसे मिलने की प्यासी।

277

विरह की तन्हाई में, हर पल है अजनबी,
तेरे बिना दिल की हर खुशी, जैसे खो गई।

279

तेरे बिना हर दिन, विरह का तम साया,
दिल की हर धड़कन, तुझसे मिलने की माया।

280

विरह की रातों में, हर ख्वाब अधूरा सा लगता,
तेरे बिना दिल का हर कोना, सूना सा लगता।

281

तेरे बिना विरह की, गहरी खाई में गिरे,
दिल की हर धड़कन, बस तेरे बिना सिसकती।

282

विरह की राहों में, दिल हर दिन बिखरता,
तेरे बिना हर सपना, जैसे छूट गया।

283

तेरे बिना हर पल, विरह की छाँव में ढला,
दिल की हर धड़कन, बस तुझसे ही जड़ा।

284

विरह की चुप्प में, हर दिन गुजरता है,
तेरे बिना दिल की धड़कन, बस तुझे ही तरसता है।

285

तेरे बिना विरह की, काली रातों में बसा,
दिल की हर धड़कन, तेरे बिना अब अधूरा।

286

विरह की तपिश में, दिल हर दिन जलता,
तेरे बिना जीवन का हर सपना, जैसे बिखरता।

287

तेरे बिना हर सुबह, विरह का सूना अंधकार,
दिल की हर धड़कन, बस तुझसे ही लाचार।

288

विरह की रातों में, हर सपना बेतर,
तेरे बिना दिल का हर कोना, सूना सा लगता।

289

तेरे बिना विरह की, लंबी राहें ढूंढता,
दिल की हर धड़कन, बस तुझसे ही जुड़ता।

290

विरह की आग में, दिल पूरी तरह जलता,
तेरे बिना हर ख्वाब, जैसे एक सपना सा ढलता।

291

तेरे बिना हर पल, विरह की चुप्प गहरी,
दिल की हर धड़कन, तेरे बिना बेतर सी।

293

विरह के समंदर में, दिल रोज डूबता,
तेरे बिना हर दिन, जैसे एक अजनबी सा लगता।

294

तेरे बिना विरह की,गहराई में खोया,
दिल की हर धड़कन, हर पल तेरा नाम लिया

295

बिरह की चिंगारी दिल में सुलग रही है,
तेरे बिना हर ख़ुशी अब धुंआ बन गई है।

296

तेरे बिना दिल की धड़कन भी सूनी लगती है,
बिरह की इस आग में हर रात जलती है।

297

बिरह की इस रात में तन्हाई का राज है,
तेरे बिना ये दिल बस एक वीरान साज है।

298

तेरे बिना इस दिल की धड़कन थम गई है,
बिरह की इस आग में हर खुशी मुरझा गई है।

299

कहाँ से लाऊँ वो मोहब्बत, जो तेरे बिना छूट गई,
बिरह के इस दर्द में हर एक सांस टूट गई।

300

तेरे बिना जिन्दगी का हर दिन वीरान सा लगता है,
बिरह के इस साये में हर पल बेमायरा लगता है।

301

बिरह की तपिश ने दिल को जला डाला है,
तेरे बिना तो जैसे पूरा संसार ही सूना लगने लगा है।

302

तेरे बिना जीना अब एक सजा सा लगता है,
बिरह की इस चुप्पी में हर एक लम्हा तड़पता है।

303

तेरे बिना ये दिल एक खंडहर हो गया है,
बिरह की इस आग में सब कुछ जलकर राख हो गया है।

304

बिरह की तन्हाई ने मुझको भुला दिया,
तेरे बिना हर सुबह एक नया दुःख छुपा दिया।

305

तेरे बिना इस दिल को अब चैन कहाँ आता है,
बिरह के इस दर्द में हर ख़ुशी भी जाती है।

306

बिरह के इस दर्द से दिल अब थक चुका है,
तेरे बिना जीने की चाहत सब बिखर चुका है।

307

तेरे बिना हर सुबह की किरण भी फीकी लगती है,
बिरह के इस तले हर रात की चाँदनी बेकार लगती है।

308

बिरह का ये दर्द अब गहरा हो गया है,
तेरे बिना हर ख्वाब अब अधूरा हो गया है

309

।तेरे बिना हर ख्वाब अधूरा है,
बिरह का दर्द मेरा सबसे बड़ा सफर है।

310

मुझे तुझसे ही पड़ी है ये बिरह की बीमारी,
दिल को चीरकर जाती है तेरी यादों की धारा।

311

तेरे बिना हर सुबह होती है अंधेरी,
बिरह की ये घड़ी है बहुत ही मुश्किल की घड़ी।

312

तेरे बिना जीना है जैसे पंखहीन पर,
बिरह की इस आग में जलते हैं जख्म मेरे भर।

313

बिरह की चादर में लिपटी हैं यादें तेरी,
हर एक दिन जैसे सज़ा है बिन तेरे जीने की।

314

तेरी जुदाई में मिली है ये बिरह की सजा,
दिल के वीराने में हैं सिर्फ तेरे ही अंदाज़ा।

315

तेरे बिना दुनिया सुनी है, दिल भी बेज़ार है,
बिरह का ये साया हर पल बस यहीं का यार है।

316

तेरे बिना हर एक घड़ी बीती है जैसे सदियाँ,
बिरह की इस घुटन में जीना है मुश्किल, फिर भी रद्दियाँ।

317

तेरे बिना हर लम्हा है बेरंग सा,
बिरह की ये रुत है दिल को तोड़ती हर अंग से।

318

तेरे बिना दिल की धड़कन भी है अधूरी,
बिरह का ये दर्द है, जैसे हो दिल की मजबूरी।

309

तेरे बिना दिल की आवाज़ भी है सुनी,
बिरह के इस अंधकार में खो गई है जो रौशनी।

310

तेरे बिना हर तारा भी है मुरझाया,
बिरह की ये रातें हैं जीने को मजबूर किए जाया।

311

तेरे बिना रूह की तिश्नगी है ज्यादा,
बिरह की इस रात में ख्वाब भी हैं बेज़ा।

312

तेरे बिना दिल है जैसे वीरान से,
बिरह की इन राहों में खोया है मन मेरे।

313

तेरे बिना दिल का हर कोना है सूना,
बिरह की इस आग में जलती हैं ये हसरतें भी रुना।

314

तेरे बिना हर धड़कन है खामोश,
बिरह की इस दुनिया में जीना है जैसे हो एक धोखा।

315

तेरे बिना दिन भी है जैसे रात्रि,
बिरह की इस घड़ी में जीना है हर बारी।

316

तेरे बिना दिल का हर सपना है अधूरा,
बिरह की इस परछाई में खोया है हर एक ख्वाब का नज़ारा।

317

तेरे बिना जीना है जैसे बिन रंग की पेंटिंग,
बिरह की इस ठिठुरन में दिल की हर चीज़ है लापता।

318

तेरे बिना हर एक लम्हा है चुभन सी,
बिरह की इस दुनिया में खुद को ढूंढता हूँ मैं अभी।

319

तेरे बिना रातें हैं जैसे लंबी अनंत,
बिरह की इस कहानी में खोया हूँ मैं हर एक क्षण।

320

तेरे बिना दिल की हर आवाज़ है मौन,
बिरह की इस लहर में खो गया हूँ मैं खोया सा।

321

तेरे बिना जीवन का हर रंग है फीका,
बिरह की इस सजा में दिल की हर ख्वाहिश है जीका।

322

तेरे बिना दिल का हर स्वप्न है अधूरा,
बिरह की इस तपिश में खो गया है हर एक पुराना नज़ारा।

323

तेरे बिना हर दिन है जैसे अंधेरों से भरा,
बिरह की इस घड़ी में खोया है दिल मेरा।

324

तेरे बिना हर ख्वाब है अधूरा,
बिरह की इस आग में जलता है दिल मेरा।

325

तेरे बिना दुनिया है जैसे सूनी सूनी,
बिरह की इस पीड़ा में जीने की उम्मीद भी है ननी।

326

तेरे बिना दिल की धड़कन है धीमी,
बिरह की इस व्यथा में खो गया हूँ मैं कहीं।

327

तेरे बिना दिल की हर गूंज है खोई,
बिरह की इस रीत में खोया है मन भी रोई।

328

तेरे बिना हर सपना है अधूरा,
बिरह की इस आग में जलता है दिल मेरा।

329

तेरे बिना हर धड़कन है चुप सी,
बिरह की इस आग में जलती है हर एक ख्वाहिश भी।

330

तेरे बिना रातें हैं जैसे सुनी,
बिरह की इस घड़ी में खोया हूँ मैं बेमुरव्वत भी।

331

तेरे बिना हर एक पल है शून्य सा,
बिरह की इस पीड़ा में खो गया हूँ मैं यहीं।

332

तेरे बिना दिल का हर कोना है सूना,
बिरह की इस रात में खोया हूँ मैं सिर्फ अकेला।

333

तेरे बिना दुनिया का हर रंग है फीका,
बिरह की इस सजा में जीना है दिल की हर ख्वाहिश भी लिका।

334

तेरे बिना दिल की आवाज़ भी है खोई,
बिरह की इस लहर में खोया हूँ मैं, दिल भी है होई।

335

तेरे बिना हर एक दिन है लम्बा,
बिरह की इस रात में खोया हूँ मैं हर एक सपना।

336

तेरे बिना दिल की धड़कन भी है अधूरी,
बिरह की इस आग में जलता है दिल, और कुछ भी नहीं पूरी।

337

तेरे बिना हर सुबह है अधूरी,
बिरह की इस रुत में खोया हूँ मैं हर एक जोड़ी।

338

तेरे बिना दिल की हर धड़कन है खामोश,
बिरह की इस दुनिया में जीना है जैसे हो एक धोखा।

339

तेरे बिना रातों की चाँदनी भी है धुंधली,
बिरह की इस पीड़ा में खोया हूँ मैं दिल की हर जिद्दी।

340

तेरे बिना हर ख्वाब है अधूरा,
बिरह की इस आग में जलता है दिल मेरा।

341

तेरे बिना जीना है जैसे बिन रंग की पेंटिंग,
बिरह की इस ठिठुरन में दिल की हर चीज़ है लापता।

342

तेरे बिना रातों की चाँदनी भी है फीकी,
बिरह की इस पीड़ा में खोया हूँ मैं दिल की गहरी तकलीफी।

343

तेरे बिना दिल की हर आवाज़ है खोई,
बिरह की इस लहर में खोया हूँ मैं, मन भी है होई।

344

तेरे बिना हर लम्हा है चुभन सी,
बिरह की इस दुनिया में खुद को ढूंढता हूँ मैं अभी।

345

तेरे बिना दिल की धड़कन है धीमी,
बिरह की इस व्यथा में खो गया हूँ मैं कहीं।

346

तेरे बिना दिल की आवाज़ भी है मौन,
बिरह की इस लहर में खोया हूँ मैं खोया सा।

447

तेरे बिना रातों की चाँदनी भी है धुंधली,
बिरह की इस पीड़ा में खोया हूँ मैं दिल की हर जिद्दी।

348

तेरे बिना दिल की हर गूंज है खोई,
बिरह की इस रीत में खोया हूँ मैं, दिल भी है होई।

#तन्हाई

349

तन्हाई की शाम आई, दिल की धड़कन थम गई,
अकेलेपन के साए में, हर खुशी भी गुम हो गई।

#तन्हाई
#तन्हाई

350

जब से तन्हा हुआ हूँ, दिल की बात छुपाई है,
आँखों की ये नमी भी, खुद से छुपाई है।

351

तन्हाई के आलम में, यादें भी बेरंग लगें,
हर खुशी की तलाश में, बस अकेलेपन की सदा छुपी है।

352

रात की तन्हाई में, चाँद भी उदास दिखे,
दिल की वीरानी को, जैसे सब जग में फैले।

352

तन्हाई का दर्द दिल में, हर एक सांस में समाया है,
जिंदगी के हर सफर में, अकेलेपन का गीत गाया है।

353

तन्हाई की शाम आई, दिल की धड़कन थम गई,
अकेलेपन के साए में, हर खुशी भी गुम हो गई।

354

जब से तन्हा हुआ हूँ, दिल की बात छुपाई
आँखों के अश्क से चप्पे न गयी

355

तन्हाई के आलम में, यादें भी बेरंग लगें,
हर खुशी की तलाश में, बस अकेलेपन की सदा छुपी है।

356

रात की तन्हाई में, चाँद भी उदास दिखे,
दिल की वीरानी को, केसे बयाँ करें

357

तन्हाई का दर्द दिल में, हर एक सांस में समाया है,
जिंदगी के हर सफर में, अकेलेपन का गीत गाया है।

358

तन्हाई की राह पर, चाँद भी साथी बन गया,
कोई दिल के , हर सपना चुरा गया।

359

रात की सिसकियाँ, दिल की तन्हाई के संग,
ख्वाबों की इन हवाओं में, ढूँढता हूँ रंग ।

360

जब से तन्हा हुआ हूँ, हर रंग फीका सा लगता है,
दिल की इस चुप्प में, हर आवाज़ खो जाता है।

361

तन्हाई की गहराई में, खुद को खोया पाता हूँ,
हर एक लम्हे में, अपने ही ख्यालों से घिरा रहता हूँ।

362

सूरज की गर्मी से, दिल की ठंडक को समझा,
तन्हाई की शाम में, खुद से मिला था जो सपना।

363

दिल की तन्हाई में, हर ग़म का रंग बसा है,
खोए हुए ख्वाबों का, ये वीरान सा मंजर है।

364

रात की चुप्प में, खामोशी से बात होती है,
तन्हाई के अंधेरों में, हर याद सजग होती है।

365

तन्हाई की इन गलियों में, दिल की धड़कन धीमी है,
हर एक ख्वाब की छांव में, खुद की परछाईं है।

366

अकेलेपन के सफर में, हर याद एक साथी है,
तन्हाई के इस सफर में, हर लम्हा बहती है।

367

जबसे तन्हा हुआ हूँ, दिल की धड़कन बेताब है,
हर एक पल के दर्द में, तन्हाई का ही जज़्बा है।

368

तन्हाई की इस रात में, चाँद भी सुना कर जाए,
दिल की इस वीरानी को, हर सितारे से सजाए।

369

रात की तन्हाई में, ख्वाब भी हसरत बन जाते हैं,
दिल के वीराने में, हर चाहत चुप हो जाती है।

370

तन्हाई की राह पर, दिल का हर ख्वाब धूमिल हो गया,
हर एक अल्फाज़ में, तन्हाई का असर घुल गया।

371

सपनों की दुनिया में, तन्हाई का रंग छा गया,
दिल की गहराई में, हर ख्वाब भी खो गया।

372

अकेलेपन की इस दुनिया में, हर खुशी से मुँह मोड़ा है,
तन्हाई की इन राहों में, दिल ने खुद को खोड़ा है।

373

रात की तन्हाई में, दिल की चुप्प भी गहरी है,
हर याद की पन्नों में, तन्हाई की धड़कन भरी है।

374

तन्हाई की इस चुप्प में, दिल की बातें बेताब हैं,
हर ख्वाब की हसरत में, तन्हाई की राहें सवाल हैं।

375

अकेलेपन की इस दुनिया में, हर ख्वाब का सफर लंबा है,
तन्हाई के इस सफर में, दिल का हर लम्हा गहरा है।

376

जब से तन्हा हूँ, दिल की हर धड़कन शांत है,
हर खुशी की तलाश में, तन्हाई का साथ है।

377

तन्हाई की इस छांव में, हर ख्वाब धुंधला हो गया,
दिल की इस वीरानी में, हर पल अधूरा हो गया।

378

तन्हाई का आलम है, दिल में सूनापन छाया,
दिल चाहता है, कोई बातों का साथी बन जाये।

379

चाँद की चाँदनी भी अब मुझे अधूरी लगती है,
तेरे बिना तन्हाई की रातें भी जुदा लगती हैं।

380

तन्हाई में खुद से ही बाते की जाती हैं,
दर्द के हर लम्हे को घुट-घुट कर जी जाती हैं।

381

वो शामें भी अब तन्हा लगती हैं,
जिनमें तेरे साथ बिताए हुए लम्हे याद आते हैं।

382

सन्नाटे की तन्हाई में, गहरी बातें होती हैं,
चुपचाप आंसू भी, आखू से बहते हैं।

383

अकेलेपन की रातें, मेरी सबसे अच्छी दोस्त हैं,
तन्हाई की इस यात्रा में, बस ये ही मुझे मिलती है।

384

हर रोज़ तन्हाई में, एक नई कहानी बुनता हूँ,
तेरे बिना हर लम्हा, बस यहीं पर रुक जाता हूँ।

385

तन्हाई की राह में, सुलझे हुए अल्फाज़ खो जाते हैं,
दिल की गहराई में, गुमनाम से सवाल रह जाते हैं।

386

तन्हाई का ये रंग, अब मुझसे दिलचस्प लगने लगा है,
तेरे बिना दिल का हर कोना, सूनापन का एहसास बन गया है।

387

चाँद की चाँदनी से भी अब, तन्हाई का सुर मिल जाता है,
तेरे बिना हर लम्हा, दिल को बस उलझाता है।

388

तन्हाई में दिल की आवाज सुनाई देती है,
चुपके से एक लहर , यादों की उठती है।

#तन्हाई
#तन्हाई

389

अकेले में ही समझ आता है दिल की सच्चाई,
तन्हाई की धुंध में ही मिलता है हरजाई

390

तन्हाई में हर ग़म को गुनगुनाते हैं,
सुनने वाला कोई नहीं, बस खुद को ही सुनाते हैं।

391

जब भी तन्हाई से सामना होता है,
दिल हर बात खुद से ही कह पाता है।

392

रात की तन्हाई में आंसू छुपा लिए,
दिल को खुद से हम चुप क्र गए

393

तन्हाई की इस गहराई में खो जाना आसान है,
खुद से मिलना भी कभी-कभी दिल के लिए हानिकारक है।

394

तन्हाई का यह सफर कभी खत्म नहीं होता,
एक अकेला दिल सारे गम सह जाता।

395

तन्हाई की चुप्प में खुद को खो जाता हूँ,
सीनों में बसी यादें मुझे हर रोज़ परेशान कर जाती हैं।

396

हर रात की तन्हाई में दिल बहलाता हूँ,
खुद से बातें करता हूँ, खुद से ही मस्त रहता हूँ।

397

तन्हाई की रातों में खुद से मुलाकात होती है,
हर ख्वाब में खुद से ही बात होती है।

398

तन्हाई की राह पर दिल अकेला चलता है,
हर मोड़ पर यादें ही दिल को छलती हैं।

399

तन्हाई के सन्नाटे में दिल की आवाज सुनाई देती है,
यादों की चुप्प तन्हाई की चुप्प से बेतर लगती है।

400

जब तन्हाई का आलंब आता है, दिल से सब बातें बताता है,
हर ख्वाब में तन्हाई की गहराई से सुलझाता है।

401

तन्हाई की धुंध में खुद को पा जाता हूँ,
खुद के साथ रहकर खुद से ही लड़ता हूँ।

402

अकेला पन भी कभी-कभी सुकून देता है,
तन्हाई की रातों में दिल को कुछ तो चैन मिलता है।

403

तन्हाई में हर दर्द को महसूस करता हूँ,
खुद से बातें करके राहत की सांस लेता हूँ।

404

तन्हाई की ये अंधेरी रातें, खुद से मुलाकात करती हैं,
दिल की गहराईयों में छुपी कहानियाँ निकलती हैं।

405

तन्हाई का ये कोहरा कभी खत्म नहीं होता,
जिसे दिल चाहे वो हमसफर नही मिलता

406

तन्हाई की राह में खुद से ही बातें होती हैं,
हर याद में तन्हाई की शायरी बुनती हैं।

406

तन्हाई में खुद को समझने की कोशिश होती है,
दिल की धड़कनों की आवाज सुनाई देती है।

407

तन्हाई के गहरे अंधेरों में खुद को ढूंढता हूँ,
दिल की गहराई से हर एहसास को समझता हूँ।

408

तन्हाई की राह पर दिल अकेला चल रहा है,
यादों की आग में खुद जल रहा है

409

तन्हाई की चुप्प में खुद को सुनता हूँ,
दिल की आवाज से हर ग़म को बुनता हूँ।

410

तन्हाई की रातों में खुद को समझता हूँ,
दिल की धड़कनों में ही सुकून को ढूंढता हूँ।

411

तन्हाई की इस दुनिया में खुद को खोना है,
दिल की आवाज से हर ग़म को सहना है।

412

तन्हाई की गहराई में दिल खोजता है,
खुद से मिलकर दिल को सुकून पा जाता है।

413

तन्हाई में खुद से बातें करता हूँ,
दिल की धड़कनों को समझकर राहत पाता हूँ।

414

तन्हाई की गहरी रातें अकेली नहीं लगतीं,
दिल की आवाज खुद से गले मिलती हैं।

415

तन्हाई की धुंध में हर एहसास छुपा है,
दिल की गहराई से हर दर्द जुड़ा है।

416

तन्हाई की सर्दी में दिल गर्माहट खोजता है,
खुद की यादों में ही सुकून को ढूंढता है।

417

तन्हाई की रात में खुद को खोजता हूँ,
दिल की धड़कनों से खुद को जोड़ता हूँ।

418

तन्हाई के सफर में खुद को खोजता हूँ,
दिल की गहराई से हर दर्द को समझता हूँ।

419

तन्हाई की चुप्प में खुद को महसूस करता हूँ,
दिल की धड़कनों में खुद को ही सुनता हूँ।

420

तन्हाई की रातें खुद से मिलती हैं,
दिल की आवाज खुद से ही बतिया जाती है।

421

तन्हाई के अंधेरों में खुद को ढूंढता हूँ,
दिल की गहराई से हर दर्द को समझता हूँ।

423

तन्हाई की राह पर खुद से ही बातें होती हैं,
दिल की धड़कनों में हर याद बुनती है।

424

तन्हाई की चुप्प में खुद को खोजता हूँ,
दिल की आवाज में हर ख्वाब को बुनता हूँ।

425

तन्हाई की गहराई में खुद को पा जाता हूँ,
दिल की धड़कनों से हर एहसास को समझता हूँ।

426

तन्हाई की रातों में दिल को समझता हूँ,
खुद से ही हर ग़म को सुलझाता हूँ।

427

तन्हाई की सर्दी में दिल को गर्मी मिलती है,
खुद की यादों में ही राहत पाती है।

428

तन्हाई की इस दुनिया में खुद को खो देता हूँ,
दिल की धड़कनों से हर दर्द को भुला देता हूँ।

429

तन्हाई की राह में खुद से ही बातें होती हैं,
दिल की आवाज खुद को सुनाई देती है।

430

तन्हाई की रात में खुद को समझता हूँ,
दिल की गहराई में खुद को खोजता हूँ।

431

तन्हाई की खामोसी दिल जलाती है
ये याद बहुत दिल जलाती है

432

तन्हाई का दर्द मौत से कम नही
मौत एक बार आती है तन्हाई रोज जलाती है

433

तन्हाई के सफर में दिल खुद को समझाता है,
हर रात खुद से ही बातें करता है।

434

तन्हाई की रात में दिल अकेला रहता है,
खुद की यादों में सुकून पाता है।

435

तन्हाई की राह में खुद से मुलाकात होती है,
दिल की धड़कनों में हर एहसास छुपा होता है।

436

तन्हाई का दर्द तुझको केसे महसूस होगा
काश तूने भी किसी से इश्क किया होता

437

तन्हाई की सर्द रातों में तेरी यादें
दिल को सताती है वो मुलाकाते

438

तन्हाई की रातों में अकेले ही जलता हूँ
जाने क्यूँतुझे हर सह मे ढूढता हूँ

439

तन्हाई के सफर में दिल खुद से बातें करता है,
तेरी ही यादों सुकून ढूंढता है।

440

तन्हाई की राह में खुद को खो देता हूँ,
दिल की धड़कनों से हर दर्द को भुला देता हूँ।

441

तन्हाई की रातों में खुद को खोजता हूँ,
दिल की गहराई से हर दुनिया को समझता हूँ।

442

तन्हाई की की खामोसी में रो लेता हूँ
दिल का हर दर्द को छुपा लेता हूँ।

443

तन्हाई की गहराई में खुद को पा जाता हूँ,
दिल की धड़कनों से हर ग़म को भुला देता हूँ।

444

तन्हाई की रातों में खुद से बातें करता हूँ,
दिल की आवाज से हर एहसास को सुनता हूँ।

445

तन्हाई की इस दुनिया में खुद को खो देता हूँ,
दिल की धड़कनों से हर दर्द को समझता हूँ।

446

तन्हाई की दर्द में खुद को महसूस करता हूँ,
दिल की गहराई से हर ग़म को भुला देता हूँ।

447

तन्हाई की रातों में दिल को सुकून मिलता है,
खुद की यादों में जलने से राहत मिलती है।

448

तन्हाई की गहराई में दिल खुद को समझाता है,
हर बात पर में से बातें करता है।

449

तन्हाई की रातें खुद से मुलाकात कराती हैं,
दिल की धड़कनों में हर दर्द छुपाती हैं।

450

तन्हाई की चुप्पी में खुद को बुनता हूँ,
की कहानी दिल ही में सुनता हूँ


#दर्दएजुदाई

#दर्दएजुदाई
#दर्दएजुदाई

451

दिल को तस्सली दी है तेरी यादों ने,
वरना तन्हाई में कहाँ आराम मिलता है।

452

जुदाई की रातों में नींद कहाँ आती है,
तेरी यादें ही अब सुलाने आती हैं।

453

तू नहीं, पर तेरी खुशबू आज भी साथ है,
इस दिल का दर्द अब सिर्फ मेरे पास है।

454

तेरी जुदाई ने ऐसा दर्द दिया,
अब हर खुशी भी हमें रास नहीं आता।

455

बिछड़ के भी तेरा इंतजार करते हैं,
हम दिल को अब कैसे करार देते हैं?

456

तेरी यादों का सिलसिला थमता नहीं,
तेरे बिना ये दिल बस बहलता नहीं।

457

मिट्टी सा बिखर गया हूँ तेरे बाद,
तू नहीं, तो क्या ख्वाब अब कोई आस है?

458

तेरी जुदाई का असर है दिल पर,
हर धड़कन अब सिसकियों में बदल जाती है।

459

तू ना सही, पर तेरा एहसास तो है,
जुदाई का भी एक अलग अंदाज तो है।

460

तेरी तस्वीर से बातें करते हैं,
जुदाई में खुद से शिकायते करते हैं।

461

चाहत की हर हद तक गए थे हम,
पर जुदाई के गम में बिखर गए हम।

462

दिल की वीरानी में तेरा नाम है,
जुदाई का यह दर्द ही तो पहचान है।

463

जुदाई में तन्हा हूँ, पर यादें बहुत हैं,
दिल बेचारा है, लेकिन बातें बहुत ह

464

दिल से दिल का फासला इतना बढ़ गया,
तेरे बिना ये जिंदगी एक बोझ बन गया।

465

यादों के लम्हे अब तीर सा चुभते हैं,
तेरे बिना मेरे हालात भी रूठते हैं।

466

तू नहीं है साथ, पर दिल रोता है,
तेरी यादों में ये वक्त भी खोता है।

467

तेरी जुदाई का दर्द सहा नहीं जाता,
अब ये गम दिल से कहा नहीं जाता।

468

तेरी यादें ही मेरी साथी बन गईं,
जुदाई की तन्हाइयाँ दिल को जला गईं।

469

तू मिला भी नहीं, पर खोया सा लगता है,
जुदाई का यह सिलसिला अब कभी नहीं रुकता है।

470

तेरे बिना हर पल उदासी सी रहती है,
जुदाई का ये आलम जीने नहीं देती है।

#दिल से

#दिल से
#दिल से

471

तेरे बिना इस दिल का जीना मुश्किल है,
हर लम्हा तेरी यादों में ही डूबा है।

472

दिल से चाहा था तुझे कभी खोने नहीं,देंगे
जिन्केदगी किसी मोड़ पर रोने नही देंगे

473

दिल से दिल का रिश्ता टूट जाता है,
जब प्यार में कोई झूठा बन जाता है।

474

दिल से जो निकले वो सच्चाई होती है,
हर बात में अब तेरी ही अच्छाई होती है।

475

दिल से पूछा जब तेरा हाल-ए-दिल,
उसने कहा तुझसे मिलने की राहहै मुश्किल।

476

दिल से हर बात कह नहीं पाते,
तेरी यादों में चुप रह जाते।

477

दिल से चाहा था तुझे अपना बनाना,
पर खो दिया उसने मुझे समझा बेगाना।

478

दिल से निकली दुआ सी लगती है,
तू हर पल मेरे पास है, ये ख्वाब सी लगती है।

479

दिल से तुझको चाहा, दिल से तुझको माना,
अब दिल से ही तुझसे जुदा होने का अफसाना।

480

दिल से निभाया हर रिश्ता हमने,
पर दिल से ही टूट गईं सारी कसमें।

#बिछड़ना
#बिछड़ना

481

तेरे बिना हर खुशी अधूरी है,
दिल में बस तेरी ही कमी है।

482

तेरी जुदाई में ये दिल सिसकता है,
तेरी यादों में हर पल ये तड़पता है।

483

तेरी जुदाई का दर्द हर रोज बढ़ता है,
तेरे बिना अब कोई सहारा नहीं मिलता है।

484

जुदाई का असर दिल पर छा गया,
तेरे बिना हर रास्ता तन्हा सा हो गया।

485

तेरी जुदाई का गम कभी नहीं मिटेगा,
तेरी यादों का असर कभी नहीं घटेगा।

487

तेरी यादों में ये दिल खो गया,
जुदाई के इस दर्द में सब कुछ सो गया।

488

तेरे बिना हर लम्हा जुदाई का लगता है,
तेरी यादों में दिल अब कभी नहीं रुकता है।

489

तेरी जुदाई ने मेरा सब कुछ छीन लिया,
अब तेरी यादों का साया भी दिल से नहीं जाता।

490

दिल से निकली आहों में तेरा नाम है,
जुदाई का ये दर्द भी एक गुमनाम सा है।

491

तेरी जुदाई का दर्द दिल से सहा नहीं जाता,
अब तेरे बिना कोई खुशी दिल को भा नहीं जाता।

492

तेरे बिना अब कोई सपना अधूरा सा लगता है,
जुदाई की ये राह भी अब कभी नहीं कटती है।

493

तेरी यादें हर पल दिल को जलाती हैं,
जुदाई की ये राहें अब हमें रुलाती हैं।

494

तेरे बिना अब कोई रंग नहीं है जिंदगी में,
जुदाई का ये दर्द तड़पाता है हर घड़ी में।

495

तेरे बिना ये दिल हर रोज तन्हा सा लगता है,
जुदाई का ये दर्द अब कभी नहीं थमता है।

496

तेरी यादों में हर रात गुमनाम सा होता है,
जुदाई के इस दर्द में दिल अब कभी नहीं खोता है।

497

तेरी जुदाई का असर दिल पर गहरा है,
तेरे बिना हर खुशी अब बेवजह सा है।

498

तेरी यादों के सहारे जीना सीख लिया है,
जुदाई के इस दर्द को अब दिल ने अपना लिया है।

499

तेरी जुदाई में दिल अब कभी नहीं हंसता,
तेरी यादों में हर रोज ये दिल तड़पता।

500

तेरी जुदाई का असर दिल पर गहरा है,
तेरे बिना अब कोई खुशी हमें प्यारा नहीं है।

तेरी यादों में ये दिल खो गया है,
जुदाई के इस दर्द में अब सब कुछ सो गया है।

तेरी जुदाई का असर दिल से सहा नहीं जाता,
तेरे बिना कोई और चेहरा भाया नहीं जाता।

तेरी यादें हर रोज दिल को रुलाती हैं,
जुदाई के इस दर्द में अब हर खुशी खो जाती है।

तेरी जुदाई का दर्द दिल पर भारी है,
तेरे बिना हर खुशी अब खाली है।

तेरी यादों में हर रोज दिल तड़पता है,
जुदाई का ये गम कभी नहीं घटता है।

तेरे बिना ये दिल हर रोज तन्हा सा होता है,
जुदाई का ये दर्द अब कभी नहीं सोता है।

तेरी जुदाई का असर दिल पर छा गया है,
तेरे बिना हर खुशी अब रुक सा गया है।

तेरी यादों में ये दिल खोया है,
जुदाई के इस दर्द ने सब कुछ तोड़ दिया है।

तेरी जुदाई का गम दिल से सहा नहीं जाता,
अब तेरे बिना कोई खुशी दिल को भाती नहीं जाती।

तेरी यादों में हर पल ये दिल खो जाता है,
जुदाई के इस दर्द में अब सब कुछ सो जाता है।

तेरी जुदाई का असर दिल पर छा गया है,
अब तेरे बिना हर खुशी भी तन्हा सा हो गया है।

जुदाई पर शेर

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