शिकायत शायरी इन हिंदी-शिकायत और शिकवा हमारी भावनाओं का एक अभिन्न हिस्सा हैं। ये केवल नाराजगी या दुख की अभिव्यक्ति नहीं हैं, बल्कि एक ऐसी गहराई हैं, जिसमें हमारी जिंदगियों के अनुभव छिपे हैं। इस पोस्ट में हम जीवन की कठिनाइयों, ईश्वर से की गई शिकायतों और खुदा के प्रति भावनाओं को व्यक्त करने वाली शायरी प्रस्तुत कर रहे हैं। यहाँ दी गई शायरी में गम, दर्द और मोहब्बत की गहराई है, जो हर दिल को छू लेगी।
शिकायत शायरी इन हिंदी
जिंदगी से शिकायत शायरी
शिकायत शायरी
ईश्वर से शिकायत शायरी
शिकवा शिकायत शायरी इन हिंदी
शिकवा शिकायत शायरी
दो लाइन शिकायत शायरी
भगवान से शिकायत शायरी
हिंदी शिकायत शायरी
खुदा से शिकायत शायरी
शिकायत शायरी इन हिंदी
जिंदगी से शिकायत शायरी
1
ज़िंदगी से की थी मैंने एक शिकायत,
हर ख्वाब में क्यों छिपाअंधेरा सा साया।
2
हर सुबह एक नया दर्द लेकर आती है,
ज़िंदगी तु क्यों इतना दर्द देती है ?
3
चाहा था सुकून में जीना, हर मोड़ पर,
ज़िंदगी, तूने बस रंजो ग़म दिए जिन्दगी भर
4
रास्ते मेंकांटों की बाड़ लगी,
ज़िंदगी, क्या तूने नहीं समझा मेरी आरज़ू को?
5
दर्द की चादर ओढ़े हैं दिन रात,
ख़ुशी की चाहत में हो रही बर्बाद
6
राहों में कितनी मुश्किलें हैं
ज़िंदगी, तेरे साथ चलते-चलते थक गई मैं।
7
कभी-कभी सोचती हूँ, क्या ये सब सही है?
ज़िंदगी, तुझे शिकायत करने का कोई हक है क्या?
8
जिंदगी से चाहा था सुकून, मिला दर्द का कारवां,
सपनों जैसी हंसी थी,जिन्दगी हकीकत में वीरान।
9
अधूरी ख्वाहिशें जिंदगी की किताब में, पन्ने रह गए कोरे,
कोशिशें पूरी कीं, फिर भी रह गए अधूरे।
10
अनकही बातें लबों पर हंसी, दिल में सन्नाटा,
पूछे जो कोई, कह दूं ‘सब ठीक’ का बहाना।
11
उम्मीदों का सफर सूरज की किरनों में भी, गहरा अंधेरा पाया,
सोचा था खुशी जिन्वदगी से दर्द का मिला साया।
12
बेवजह सवाल कभी सोचा, किससे है ये शिकवा,
खुद से ही नाराज़ हूं, जवाब भी मैं ही हूं।
13
रास्तों की उलझन मंजिल की तलाश में, राहें थीं अंजानी,
सोचता रहा हर मोड़ पर, ये कैसी नादानी।
14
सपनों का बोझ आंखों में थी चमक, पर मन में घुटन,
जिंदगी से सिखाय्त है कब मिटेगी ये जलन
15
तिनका-तिनका जोड़ा, सपनों का महल,
एक पल की आंधी, और सब कुछ हुआ विफल।
16
इंतजार का दर्द सुकून के पल का इंतजार किया हर घड़ी,
जिंदगी ने दिए जवाब, पर सुकून ना मिला कभी।
ईश्वर से शिकायत शायरी
17
ऐ ईश्वर, क्या मैंने कुछ गलत किया?
तेरे दर पर आकर भी खड़ा हूँ बस यूँ ही।
18
मन की बात कहूँ, दिल का दर्द बताऊँ,
ऐ भगवान, तेरा शुक्रिया भी तो नहीं भुला हूँ
19
क्या तेरा हाथ मुझसे हमेशा रहा दूर?
ऐ खुदा, तुझे मेरी पुकार सुनाई नहीं दी?
20
आँसुओं की एक नदी है मेरे पास,
ईश्वर, क्या तुझे मेरी दुआओं की खबर नहीं है?
21
खोई हैं खुशियाँ मेरे जीवन की राह में,
भगवान, क्या तुझे मेरी चिंता नहीं है?
22
कितने सवाल हैं, पर जवाब नहीं मिले,
ईश्वर, क्या तूने मेरी क़िस्मत से मुंह मोड़ लिया?
23
जब भी तुम्हें याद किया, मेरा दिल रोया,
ऐ खुदा, क्या तूने मुझे भूलने की कसम खाई?
24
हर बात में तेरी छाया महसूस होती है,
ईश्वर, क्या तुम सिर्फ देख रहे हो, सुन नहीं रहे?
25
किसी ने कहा कि तुम मुझसे दूर नहीं हो,
लेकिन ईश्वर, ये दर्द क्यूँ है।
26
उम्मीद की एक किरण, जो कभी ना मिली,
खुदा, अब तो मेरी आस्था भी दर्द बन गई।
शिकायत शायरी
27
शिकायतें अब मेरे दिल का हिस्सा बन गईं,
प्यार की मिठास में कड़वाहट मिल गई।
28
हर हंसी के पीछे छिपा है एक ग़म,
शिकायतों ने दिल को कर दिया है बेदम
29
वक्त ने किया बेवफाई यही शिकायत है,
पल- पल जिन्दगी तुझसे शिकायत है।
30
जब भी तुझे याद किया, मेरी आंखें भर आईं,
शिकायत मेरी खुद से है, तुझे भूल ना पाई।
31
तेरे बिना ये जिंदगी अधूरी है,
शिकायत तो है, पर तुमसे बहुत प्यार भी है।
32
तन्हाई में जब भी सोचा मैंने,
शिकायतें और ग़म सब तुझसे ही जुड़े हैं।
33
जिंदगी की थकान चाहा था सुकून, मिला दर्द का कारवां,
सपनों में हंसी थी, हकीकत में था वीरान।
34
अधूरी ख्वाहिशें जिंदगी की किताब में, पन्ने रह गए कोरे,
कोशिशें पूरी कीं, फिर भी रह गए अधूरे।
35
अनकही बातें लबों पर हंसी, दिल में सन्नाटा,
पूछे जो कोई, कह दूं ‘सब ठीक’ का बहाना।।।
36
बेवजह की फ़िक्र कभी सोचा, किससे है ये शिकवा,?
खुद से ही नाराज़ हूं, जवाब भी मैं ही हूं।
37
मंजिल की तलाश में, राहें थीं अंजानी,
सोचता रहा हर मोड़ पर, ये कैसी नादानी।?
38
सपनों का बोझ आंखों में चमक, मन में घुटन,
जिंदगी से शिकवे, फिर भी अपनापन।
39
ख्वाबों का बिखराव तिनका-तिनका जोड़ा, सपनों का महल,
एक पल की आंधी, और सब कुछ हुआ विफल।
40
इंतजार का दर्द सुकून के पल का इंतजार किया हर घड़ी,
जिंदगी ने दिए जवाब, पर सुकून ना मिला कभी।
भगवान से शिकायत शायरी
41
प्रभु, तेरा दर ना छोड़ा मैंने कभी,
पर मेरी दुआओं का फल कब मिलेगा मुझे?
42
क्या तुझे पता है मेरे दिल की धड़कनें,
भगवान, क्या तुमने मेरी रूह को भूला दिया?
43
खुशियों का वो जश्न कब होगा,
तुझसे की गई मेरी शिकायत अब तो खत्म नहीं होगी।
44
मेरी कहानी में हर मोड़ पर दर्द ही दर्द है,
भगवान, क्या तूने मेरी सुनवाई खो दी है?
45
ज़िंदगी की राह में जब-जब थका,
खुदा, तेरे दर पर ही मैंने सर रखा।
46
उम्मीदों का ये जाल क्या होगा,
भगवान, अब तो बस शिकायतें ही बची हैं।
47
जब भी माँगा तुझसे मैंने प्यार,
खुदा, क्या तूने मेरा दिल तोड़ा नहीं?
48
हर एक आंसू की वजह तुम हो,
भगवान, क्या तुमने मुझे कभी चाहा नहीं?
49
कितनी बार तुझे पुकारा मैंने,
पर खुदा, तेरी आवाज़ तो कभी आई नहीं।
50
तेरे दर पर खड़ा होकर ही समझा मैंने,
शिकायतों का ये सिलसिला अब भी जारी है।
शिकवा शिकायत शायरी इन हिंदी
51
हर दिन की शुरुआत शिकायतों से होती है,
तन्हाई में खुद से ही बातें होती हैं।
52
सुकून की तलाश में निकला था जब,
ज़िंदगी ने दी शिकायतों की एक गहरी झील।
53
प्यार में मिले थे तुझसे, अब तो बस दूरियाँ हैं,
शिकवा है मेरे दिल का, क्यूँ तुझसे फासले हैं।
54
तेरी यादों ने कर दिया बेबस मुझे,
शिकवा है तुझसे क्यूँ किया बेबस मुझे
55
जब से तुझसे जुदा हुआ, गम का ये साया है,
शिकवा है तुझसे क्यों मुझे तन्हा छोड़ा है
56
कुछ तो कर जवाब देने के लिए,
इस दुनिया में कोई तो हो मेरा।
57
कभी मुस्कुराया करते थे, अब तो बस ग़म हैं,
शिकवा है मोहब्बत से, तन्हा क्यूँ हम हैं
58
तेरे बिना हर लम्हा खामोश सा है,
किसे सिखायत करें तेरी यादें तड़पा रही हैं,
59
दिल की आवाज़ सुन, क्या तूने नहीं जाना?
शिकवा तो है तुझसे, पर प्यार तुझसे मेरी जाना ।
दो लाइन शिकायत शायरी
60
शिकायतें दिल की गहराई से निकली हैं,
जो दर्द है वो सब तेरी यादों से मिली हैं।
61
तन्हाई की रातों में, शिकायतें गूंजती हैं,
मोहब्बत की राहों में, यादें ही रहती हें
62
कभी तेरा नाम लूँ, कभी शिकायत करूँ,
फिर भी इस दिल से , तुझसे बेइंतहा प्यार करूँ।
63
तेरे बिना हर लम्हा अधूरा सा लगता है,
सिखाय्मत है तुझसे क्यूँ मोहबत्त है।
64
जब भी तेरा चेहरा याद आता है,
तुझसे सिखाय्त है आखिर क्यूँ तू बेवफा है।?
65
तेरे साथ बिताए हर लम्हे की खुशबू है,
खुद से सिखवा है आखिर क्यूँ तू ही इस दिल में है
66
आंसुओं की कहानी, तन्हाई की चादर ओढ़े,
शिकायतें करते-करते खुद से ही करते हैं बातें।
67
मोहब्बत की राह पर, ख्वाबों की बातें
लेकिन शिकाय है तूने दी दर्द की सौगातें
खुदा से शिकायत शायरी
68
खुदा क्यूँ जिन्दगी में इतना दर्द देता है
जिन्दगी का पल पल बैचेन करता है
69
तेरा घर तो बस एक आस है,
तेरे दर पर कब तक यह तड़पती सांस है।?
70
तेरी राहों में जो मिले थे, वो सब खो गए,7
खुदा, क्या तुमने मेरी खुशियों को भी दफन कर दिया?
71
दुआ की थी मैंने, पर तुझसे जो मिला वो ग़म
खुदा, तेरी दया से गम भूल जाएं हम
72
एक बार तो सुन लो मेरी दास्तान,
खुदा, क्या तुझसे नहीं है मेरे दर्द की पहचान?
73
आँसुओं की गहराई में छुपा है मेरा हाल,
खुदा, क्या तुमने कभी मेरी पुकार का किया है भाल?
74
मेरी दुनिया में तन्हाई के साये हैं,
खुदा, तेरे बिना हर एक पल में केवल शिकायतें हैं।
75
दिल से निकली है ये क़सम, तुझे कभी ना भूलूँगा,
खुदा, इस शिकवे का क्या करूँ, जब मैं तन्हा रहूँगा।
76
खुदा, क्या तूने मेरी रोने की आवाज़ नहीं सुनी?
इस दिल की चीत्कार में क्यों नहीं मिली कोई सुमधुर धुन?
77
हर एक ग़म की परछाई में तेरा ही साया है,
खुदा, मेरी शिकायतें अब एक नई क़िस्मत की दुआ है।
शिकायत शायरी
78
तन्हाई की हर रात में शिकायतें हैं बसी,
क्या तुम समझोगे, इस दिल की खामोश दास्तान।
79
मोहब्बत के रास्ते पर जब ठोकर लगी,
शिकायतें मोहब्बत के नाम से होने लगी
80
हर बार जब तुम्हें याद किया, दिल में दर्द हुआ,
शिकायतें उन यादों की, जिसने किसी और का होने न दिया
81
गुजरे हुए लम्हे की याद अब तक दिल में बसी हैं,
लेकिन शिकाय में स्वान्सें सिसकती हैं।
82
मोहब्बत का चाँद छुप गया जब से,
शिकायतें अब तो हैं खुद से
83
हर ग़म की कहानी में तेरा ही चेहरा है,
शिकायतों के साए में, तन्हाई का ये सफर है।
84
हर दिन की शुरुआत एक नई शिकायत से होती है,
पर इस दिल की धड़कन तेरा ही नाम लेती है।
भगवान से शिकायत शायरी
85
ज़िंदगी की मुश्किलों में तेरा ही सहारा चाहा,
पर तेरे दर पर आकर भी खुद को खोया
86
क्या तेरा भी दिल कभी तड़पता है?
भगवान, क्या तूने मुझे तन्हाई में छोड़ दिया?
87
हर एक आंसू में छिपा है एक सवाल,
खुदा, क्या तुझसे मिलना बस एक ख्वाब है?
88
हर दर्द की कहानी में तेरी ही छवि है,
भगवान, क्या तुझे मेरे दुखों की खबर नहीं है?
89
तन्हाई की चादर ओढ़े मैंने खुद से बात की,
भगवान, क्या तुमने मेरी पुकार नहीं सुनी?
90
तेरे नाम की दुआ में मेरी सिसकियाँ हैं,
खुदा, क्या तुझे मेरी ये शिकायतें पसंद हैं?
91
कभी पास आकर मेरी सुन तो सही,
भगवान, क्या तुझे मेरी फ़िक्र नहीं ?
92
खुदा, क्या तूने मेरी खुशियों को चुरा लिया?
तेरी हर दुआ में मेरी दिल की हर शिकायत छुपी है।
93
खुशियों का इंतज़ार करते-करते थक गई,
जिंदगी, क्यों तूने हर पल मुझसे खेला है?
94
तन्हाई में गूंजती है तेरी यादों की आवाज़,
ज़िंदगी, क्या तूने मेरे दर्द को नहीं समझा?
95
हर मुश्किल में तेरा ही साथ माँगा था,
ज़िंदगी, क्या तूने मेरी कोशिशों को नहीं देखा?
96
जज़्बात की गहराई में छिपा है मेरा दर्द,
ज़िंदगी, तुझसे हर पल शिकायत का सिलसिला है।
97
आज भी तुझसे मिलकर, सब कुछ भूल जाना चाहता हूँ,
क्या तूने मेरी मोहब्बत की गहराई नहीं समझी?
98
खुदा, तूने मुझे एक दर्द भरी ज़िंदगी दी,
हर खुशी से पहले एक ग़म की कहानी दी।
99
मेरे हर आंसू में तेरा ही नाम लिखा है,
खुदा, क्या तूने मेरी दुआओं को कभी सुना है
100
तुझसे उम्मीदें रखकर, अब थक चुका हूँ,
, तेरा इंतज़ार करते-करते बर्बाद हो गया हूँ।
101
तन्हाई में ढूंढता हूँ तेरा ही साया,
खुदा, क्या तूने मुझे कभी नहीं अपनाया?
102
कभी तो आ, मेरे दिल की आवाज़ सुन,
खुदा, क्या तेरा दिल भी मुझ पर नहीं पिघलता?
103
तुझसे मिले ख्वाब अब खो गए हैं,
खुदा, क्या तूने मेरी दुआओं का कुछ भी ध्यान नहीं दिया?
104
हर दर्द की कहानी में तेरी ही कमी है,
खुदा, तुझे मेरी हर शिकायत का अहसास नहीं है?