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Ajnabi Shayari In Hindi /अजनबी शायरी हिंदी में2024

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Ajnabi Shayari In Hindi /अजनबी शायरी हिंदी में– दोस्तों जिंदगी एक सफर है , और इस सफर में सिर्फ अपने आस पास रहने वालों से ही जिंन्दगी बसर नहीं होती है ,बल्कि यहाँ जिंदगी आपको हर पल अजनबियों से भी मुलाकात होनी लाजमी है , पर जब कभी हमारी अजनबियों से मुलाकात होती है तो हमें उनसे बात करने में झिझक होती है ,फिर वही अजनबी हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन जाते हैं , कभी कभी हम अजनबियों से मिलते हैं तो हमको अचानक से लगता की क्या हम इस अजनबी से पहले भी मिल चुके हैं ?? फिर वही अजनबी हमारा अपना बन जाता है | आज आपके लिए मैं अपने आर्टिकल में अजनबी पर शायरी पोस्ट लाइ हूँ तो सुरु करते हैं आर्टिकल Ajnabi Shayari In Hindi /अजनबी शायरी हिंदी में-2024,

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Ajnabi Shayari In Hindi /अजनबी शायरी हिंदी में2024
Ajnabi Shayari In Hindi /अजनबी शायरी हिंदी में2024

1

मिली पहली बार अजनबी से नजर
न होश रहा न खुद की कोई खबर
होश ले गयी उसकी पहली नजर
छाया दिल पर ऐसे की दिल में गया उत्तर
milee pahalee baar ajanabee se najar
na hosh raha na khud kee koee khabar
hosh le gayee usakee pahalee najar
chhaaya dil par aise kee dil mein gaya uttar

2

ऐसा ये पहली बार मिरे दिल के साथ हुआ
किसी अजनबी पर दिल मिरा फना हुआ
देखा था पहली बार जिसे वो अपना सा लगा
रिश्ता उससे मिरा जाने क्यों जन्मो सा लगा ??
aisa ye pahalee baar mire dil ke saath hua
kisee ajanabee par dil mira phana hua
dekha tha pahalee baar jise vo apana sa laga
rishta usase mira jaane kyon janmo sa laga ??

Ajnabi Shayari In Hindi /अजनबी शायरी हिंदी में2024
Ajnabi Shayari In Hindi /अजनबी शायरी हिंदी में2024

3

“किसी अजनबी से यूँ मुलाकात हुई
आँखों आँखों में दिल की बात हुई
जाने कब क्यों उससे मोहबत्त हुई
मोहबत्त में सभी हदें पार हुई “

“kisee ajanabee se yoon mulaakaat huee
aankhon aankhon mein dil kee baat huee
jaane kab kyon usase mohabatt huee
mohabatt mein sabhee haden paar huee “

4

” मिले तो थे हम अजनबी की तरह
जाने कब एक हुए अपनों की तरह
चाहने लगे है तुझे जिंन्दगी की तरह
बस गए हो दिल में धड़कन की तरह”
” mile to the ham ajanabee kee tarah
jaane kab ek hue apanon kee tarah
chaahane lage hai tujhe jinndagee kee tarah
bas gae ho dil mein dhadakan kee tarah”

5

” किसी अजनबी से यूँ मुलाकात हुई
कब दिल उसका हुआ कब्र न हुई
सोचतें हैं दिल की ऐसी हालत क्यों हुई
मोहबत्त में जाने अंबी से बेपनाह हुई “
” kisee ajanabee se yoon mulaakaat huee
kab dil usaka hua kabr na huee
sochaten hain dil kee aisee haalat kyon huee
mohabatt mein jaane ambee se bepanaah huee “

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Ajnabi Shayari In Hindi /अजनबी शायरी हिंदी में2024
Ajnabi Shayari In Hindi /अजनबी शायरी हिंदी में2024

6

” कौन जाने कब अजनबी से वो अपने हो गए
अजनबी के प्यार में जाने कब खो गए “
kaun jaane kab ajanabee se vo apane ho gae
ajanabee ke pyaar mein jaane kab kho gae

7

” मुलकात जब से उस अजनबी से हुई
फिर न खुद का होश रहा न कब्र दुनियां की रही “
” mulakaat jab se us ajanabee se huee
phir na khud ka hosh raha na kabr duniyaan kee rahee “

8

“जाने कब वो अजनबी इस दिल में समाया
चाहत में उसकी दिल मिरा खो गया “
“jaane kab vo ajanabee is dil mein samaaya
chaahat mein usakee dil mira kho gaya “

9

” मिलते यहां लोग अपनों की तरह
मतलब निकलते ही पेश आते हैं अजनबी की तरह”
” milate yahaan log apanon kee tarah
matalab nikalate hee pesh aate hain ajanabee kee tarah”

10

” किसी अजनबी से मोहबत्त हो जाए तो इजहार मत करना
छोड़ जाएगा एक रोज तुमको तन्हा ऐतबार मत करना “
” kisee ajanabee se mohabatt ho jae to ijahaar mat karana
chhod jaega ek roj tumako tanha aitabaar mat karana “

Ajnabi Shayari In Hindi /अजनबी शायरी हिंदी में2024
Ajnabi Shayari In Hindi /अजनबी शायरी हिंदी में2024

11

” तुमसे कैसी सिखयात ?जाने दो
तुम कौनसे अपने थे तुम तुम अजनबी हो “
” tumase kaisee sikhayaat ?jaane do
tum kaunase apane the tum tum ajanabee ho “

12

” शिकायत तो अपनों से होती है
अजनबी से भला क्या गिला करें ?”
” shikaayat to apanon se hotee hai
ajanabee se bhala kya gila karen ?”

13

” जिंदगी है यहां खता हो ही जाती है
दिल है अजनबी से मोहबत्त हो ही जाती है “
]” jindagee hai yahaan khata ho hee jaatee hai
dil hai ajanabee se mohabatt ho hee jaatee hai “

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14

किसी अजनबी से मोहबत्त करने की खता कर बैठे
अपना सब्रो करार भुला बैठे

15

जब से अजनबी से मुलाकात हुई
होश नहीं हमें कब दिन हुआ कब रात हुई

16

जाने क्या राब्ता है उस अजनबी से
जाता नहीं है मिरे दिल से

17

कभी किसी अजनबी से मोहबत्त न करना
जिंन्दगी इंतजार बन जाएगी वरना

18

अजनबी से मोहबत्त करने की खता हो गयी
जिंदगी जैसे एक सजा बन गई

19

कल तक हमसे मोहबत्त जताते थे जो
आज अजनबी की तरह पेश आते हैं वो
20
तू अजनबी है ये जानते हैं हम
मगर इस दिल को कैसे समझाएं हम


21
जिंदगी का सफर तन्हा गुजरा है

कभी अपनों ने तो कभी अजनबी ने दिल तोडा है

22

किसे अपना कहें ए मिरे दिल बता
हर चेहरा यहां हमें अजनबी सा लगा
23
जब से मुझसे बिछड़ा वो अजनबी
पल भर को भी सुकून आया न कभी
24
आया न कभी फिर लौट के अजनबी
मोहबत्त में तन्हा छोड़ गया वो अजनबी

तुम जब जब मिले जाने क्यूँ अपने लगे
जबकि हमें मालूम है तुम अजनबी हो

💭 अजनबी रिश्ते शायरी 

65.

कभी इस रिश्ते में जान बसती थी,
अब वही रिश्ता अजनबी लगने लगा है।

66.

हमने हर लम्हा तेरे नाम किया,
अब वही रिश्ता बेनाम लगता है।

67.

तेरी खामोशी ने सब कुछ कह दिया,
अब ये रिश्ता बस नाम का रह गया।

68.

जो रिश्ता कभी सुकून देता था,
अब वही दर्द का सबब बन गया।

69.

तेरे संग चलने की थी चाहत हमें,
पर तू राहों में अजनबी बन गया।

70.

रिश्तों की दुनिया में अजनबी हो गए,
जो कभी हमसफ़र थे अब बेगाने हो गए।

71.

तेरी बातों में अब वो मिठास नहीं,
इस रिश्ते में अब वो एहसास नहीं।

72.

हमने निभाया हर वादा तेरा,
पर तू बन गया अजनबी सवेरा।

73.

वो रिश्ता जो दिल के करीब था,
अब बस एक दूरी का नसीब था।

74.

तेरे बिना ये रिश्ता अधूरा है,
तेरे साथ भी अब कुछ सूना है।

75.

कभी अपनापन था इस बंधन में,
अब बस खामोशी है इस जीवन में।

76.

रिश्ते टूटते नहीं बस बदल जाते हैं,
अपनापन खोकर अजनबी बन जाते हैं।

77.

कभी ये रिश्ता हमारी जान था,
अब वो बस यादों का एक सामान है।

78.

हमने चाहा था साथ निभाना तेरा,
पर तूने चुना अजनबी सवेरा।

79.

तेरी नज़रों में अब वो प्यार नहीं,
इस रिश्ते में अब कोई इकरार नहीं।

80.

जो रिश्ता कभी रूह को सुकून देता था,
अब वही जख्म दे रहा है बेपनाह।

81.

तेरे साथ थी कभी ज़िंदगी हमारी,
अब तुझसे दूर है हमारी सारी ख़ुशहाली।

82.

तेरी बेख़बरियों ने हमें तोड़ दिया,
रिश्ते को अजनबी बना छोड़ दिया।

83.

कभी दिल में था तू, अब आँखों से ओझल है,
रिश्ता अब बस एक बीता हुआ पल है।

84.

वो बंधन जो कभी हमारी पहचान था,
अब अजनबी होकर दिल से अनजान है।

💬 अजनबी दोस्त शायरी

85.

जो कभी दोस्त था मेरी जान से बढ़कर,
अब अजनबी बनकर भीड़ में खो गया।

86.

तेरी मुस्कान कभी मेरी पहचान थी,
अब तेरा चेहरा भी अजनबी जान है।

87.

कभी तेरे बिना दिन नहीं कटते थे,
अब तेरा ज़िक्र भी अजनबी लगता है।

88.

दोस्ती की राहों में जो साथ था,
अब तन्हाई में भी वो याद नहीं आता।

89.

तेरी यादें अब भी दिल में बसती हैं,
पर तू अब अजनबी सा दिखता है।

90.

कभी हर राज़ का हमसफ़र था तू,
अब तो बात भी अजनबी सी लगती है।

91.

दोस्ती का मतलब ही तू था मेरे लिए,
अब अजनबी है, पर दर्द वही है।

92.

तेरे बिना अब हर महफ़िल सूनी है,
तेरी दोस्ती अब बस एक कहानी है।

93.

हमने चाहा तेरा साथ उम्रभर,
पर तू अजनबी बन गया इस सफ़र।

94.

कभी हर ख़ुशी तेरे संग थी जुड़ी,
अब तेरी यादों से है ज़िंदगी मुड़ी।

95.

तेरी बातें अब भी गूंजती हैं कानों में,
पर तू खो गया है अजनबी रास्तों में।

96.

दोस्ती की वो मिठास कहाँ गई,
अब तो हर मुलाक़ात अजनबी सी लगती है।

97.

तेरे बिना अब कोई मुस्कुराहट नहीं,
तेरी जगह अब कोई राहत नहीं।

98.

कभी तू मेरी दुनिया का हिस्सा था,
अब बस यादों में अजनबी जैसा है।

99.

तेरी दोस्ती अब भी दिल में बसी है,
पर अब तेरा चेहरा पहचान से परे है।

100.

दोस्त बनकर तू दिल में उतरा,
अब अजनबी बनकर दर्द दे गया।

101.

कभी तेरे संग हँसते थे बेहिसाब,
अब तेरी यादें देती हैं सिर्फ़ जवाब।

102.

तेरी खामोश नज़रों में अब वो बात नहीं,
इस दोस्ती में अब वो सौगात नहीं।

103.

हमने निभाई थी दोस्ती सच्चे दिल से,
पर तू चला गया अजनबी बनके हल्के सिलसिले से।

104.

तेरे बिना अब हर महफ़िल वीरान है,
तेरा अजनबीपन अब हमारी पहचान है।

💔 अजनबी रिश्ते शायरी 
45.
कभी अपनों सा लगा था, अब बेगाना हो गया,
जो रिश्ता दिल में था, वो अब अफसाना हो गया।

46.
हमने समझा था ये रिश्ता कुछ खास होगा,
पर वक्त ने दिखा दिया, सब आसाँ होगा।

47.
रिश्ते जो दिल से जुड़े थे कभी,
अब अजनबी चेहरों में खो गए सभी।

48.
वो हँसी, वो बात अब यादें बन गई,
अजनबी सी खामोशियाँ अब साथी बन गई।

49.
दिल ने चाहा था अपनापन,
मिला सिर्फ अजनबीपन।

50.
कभी रिश्ता था, अब बस नाम है,
पहचान वही, पर एहसास गुमनाम है।

51.
वो जो कहते थे “हमेशा साथ देंगे”,
आज अजनबी बनकर राहें बदल गए।

52.
रिश्ते टूटे नहीं, बस बदल गए हैं,
अब जो थे अपने, अजनबी लगने लगे हैं।

53.
कभी मुस्कुराकर बातें करते थे,
अब नज़रों में भी नज़र नहीं आती।

54.
हमने चाहा रिश्ता निभाना,
उन्होंने चुना दूरियां बढ़ाना।

55.
दिल की दुनिया उजड़ गई,
जब अपनों में अजनबी की झलक आई।

56.
रिश्ते में गर्माहट थी कभी,
अब बस ठंडी खामोशियाँ रह गई।

57.
वो जो अपना था, अब अजनबी बना,
रिश्तों का ये रंग क्यों बदल गया?

58.
पहले बातें दिल से होती थीं,
अब बस औपचारिक मुस्कानें रह गईं।

59.
एक वक्त था जब हम साथ थे,
अब अजनबी बनके भी पास हैं।

60.
कभी मोहब्बत थी इस रिश्ते में,
अब बस यादों की परछाई है।

61.
रिश्तों का सफर अजनबी मोड़ पर रुक गया,
दिल रोया, पर लफ्ज़ कुछ न कह पाया।

62.
कभी दिल में बसी थी उनकी तस्वीर,
अब चेहरा भी पहचान में नहीं आता।

63.
वो रिश्ता जो कभी अपनापन था,
आज अजनबीपन की मिसाल बन गया।

64.
जो कभी हर पल साथ थे हमारे,
अब बस यादों के मेहमान हैं।

अब अगले टॉपिक पर चलते हैं:

🤝 अजनबी दोस्त शायरी (Ajnabi Dost Shayari)
(65 से आगे नंबरिंग जारी)

65.
कभी दोस्त थे, अब अजनबी हो गए,
बातें अधूरी, एहसास खो गए।

66.
वो दोस्त जो कभी साया था मेरे साथ,
अब अजनबी बनकर खड़ा है अलग राह।

67.
दोस्ती की राहों में मोड़ ऐसे आए,
जहाँ दोस्त अपने ही अजनबी लगने लगे।

68.
कभी चाय के प्यालों में हँसी साझा थी,
अब खामोशी में बस यादें बची हैं।

69.
वो दोस्त जो हर ग़म में साथ था,
अब अजनबी बनकर दूर चला गया।

70.
हमने चाहा दोस्ती निभाना,
उन्होंने चुना हमें भूल जाना।

71.
कभी दोस्ती थी दिल की पहचान,
अब अजनबीपन बन गया निशान।

72.
दोस्तों की महफ़िल अब सूनी लगती है,
जब कोई अपना अजनबी हो जाता है।

73.
हँसी ठिठोली की वो शामें गईं,
अब बस अजनबी नज़रों के सलाम हैं।

74.
कभी दोस्त थे दिल के क़रीब,
अब अजनबी बन गए अजीब।

75.
दोस्ती का रिश्ता भी कब अजनबीपन में बदल गया,
पता ही नहीं चला कब दिल तन्हा हो गया।

76.
हमने दोस्ती में रूह तक लगा दी,
उन्होंने अजनबी कहकर जुदा कर दी।

77.
कभी कंधे पर सिर रखकर रो लेते थे,
अब उस अजनबी से नज़रें भी नहीं मिलतीं।

78.
वो दोस्त अब बस यादों में बसते हैं,
अजनबी चेहरों में ढूँढे नहीं मिलते हैं।

79.
कभी दोस्ती थी जो जान थी,
अब अजनबीपन की पहचान है।

80.
वो जो कहते थे साथ हैं सदा,
अब अजनबी बनके हो गए जुदा।

81.
दोस्ती की कहानी अब अधूरी लगती है,
जब अपना ही दोस्त अजनबी दिखता है।

82.
हमने चाहा दोस्ती की राह पर रहना,
उन्होंने चुना अजनबी बनके सहना।

83.
वो दोस्त अब मुस्कान नहीं देते,
बस अजनबी बनके गुजर जाते हैं।

84.
कभी दिल में बसते थे वो,
अब अजनबी होकर भी सताते हैं।

✍️ अजनबी Quotes

85.
कभी जो दिल के क़रीब थे,
आज अजनबी लगने लगे हैं।

86.
रिश्ते बदलते देर नहीं लगती,
अपना भी अजनबी हो जाता है।

87.
अजनबी वो नहीं जो दूर हैं,
अजनबी वो हैं जो पास होकर भी पराए हैं।

88.
कभी दोस्ती थी, अब पहचान तक नहीं,
यही तो ज़िंदगी का सबसे बड़ा तंज़ है।

89.
वक़्त और हालात इंसान को बदल देते हैं,
और अपने को अजनबी बना देते हैं।

90.
सबसे ज़्यादा दर्द तब होता है,
जब अपना ही अजनबी बन जाए।

91.
कभी किसी की यादों में जीते थे,
अब वही अजनबी बन गए हैं।

92.
रिश्ते जब फासले बढ़ाते हैं,
चेहरे अजनबी लगने लगते हैं।

93.
कभी वो हँसी का कारण थे,
आज अजनबी की तरह गुज़र जाते हैं।

94.
अजनबी बन जाने का ग़म नहीं,
दर्द इस बात का है, कि कभी अपना था।

95.
कभी जिनसे मुलाकात में सुकून था,
अब उनसे मिलने में डर लगता है।

96.
कभी अपनी पहचान थे वो,
आज एक अजनबी चेहरा हैं।

97.
अजनबीपन का एहसास तब गहराता है,
जब सामने अपना हो और दिल खाली लगे।

98.
कभी एक लफ़्ज़ पर मुस्कुराते थे,
अब वही लफ़्ज़ चुभने लगे हैं।

99.
अजनबी बनकर भी वो नज़र आते हैं,
हर याद में वो असर छोड़ जाते हैं।

100.
रिश्तों की कहानी बस इतनी सी है,
कभी अपने थे, अब अजनबी हैं।

101.
अजनबी वो नहीं जो अंजान हैं,
अजनबी वो हैं जिनसे अब बात नहीं होती।

102.
कभी मुस्कुराकर दिल जीत लिया था,
अब अजनबी बनकर दिल तोड़ दिया।

103.
कभी जो साथ थे हर कदम,
अब अजनबी होकर राह बदल गए।

104.
अजनबी चेहरों में अपना अक्स ढूँढते हैं,
शायद कहीं वो खोए हुए पल मिल जाएँ।

💭 अजनबी पर कविता
कभी जो दिल के क़रीब थे, अब अजनबी लगते हैं,
वो लम्हे जो मुस्कुराहट थे, अब दर्द बनके रहते हैं।
नज़रों में अब कोई पहचान बाकी नहीं,
हर सवाल में अब कोई जवाब बाकी नहीं।

वक़्त ने रिश्तों के रंग बदल दिए हैं,
जो अपने थे, वो अंजान बन गए हैं।
दिल की गलियों में अब सन्नाटा बसता है,
हर मोड़ पर कोई अजनबी चेहरा दिखता है।

कभी जिनसे बातें दिनभर होती थीं,
अब नज़रें भी मिलाने से डरती हैं।
कभी साथ चलने की कसमें खाई थीं,
अब वही राहें अजनबी सी लगती हैं।

हमने चाहा उनका साथ हमेशा,
उन्होंने चुना खामोशी का बसेरा।
रिश्तों की इस दुनिया में बस यही हकीकत है,
जो अपना था, अब अजनबी बन गया है।

चेहरे वही हैं, पर एहसास बदल गए,
लम्हे वही हैं, पर जज़्बात ढल गए।
अजनबीपन की ये चुप्पी कुछ कहती है,
दिल में दर्द की परतें गहराती रहती हैं।

अब हर मुलाकात में अंजानपन है,
हर बात में कुछ खो जाने का ग़म है।
वो जो कभी मुस्कुराकर दिल जीत लेते थे,
आज खामोश नज़रों से दिल तोड़ जाते हैं।

“मुसाफ़िर शायरी”

104.
मुसाफ़िर हूँ मैं, मंज़िल नहीं ठहरी कहीं,
हर राह में कुछ नए किस्से मिल गए यहीं।

105.
ज़िंदगी की राहों में चला जा रहा हूँ,
हर ठोकर से कुछ नया सिखा जा रहा हूँ।

106.
कभी मुस्कुराहट, कभी आँसू का सफ़र,
मुसाफ़िर हूँ मैं, हर दर्द है हमसफ़र।

107.
न कोई मंज़िल का ठिकाना, न किसी का नाम,
बस चल रहा हूँ मैं लेकर दिल का पैग़ाम।

108.
हर मोड़ पे नया तजुर्बा, नई कहानी है,
मुसाफ़िर हूँ मैं, ये दुनिया मेरी निशानी है।

109.
कभी राहों ने अपनाया, कभी ठोकरों ने सिखाया,
पर मुसाफ़िर दिल ने हर ग़म को अपनाया।

110.
राहों में बिखरे कुछ अरमान मिले,
मुसाफ़िर हूँ, फिर भी दिल में सुकून मिले।

111.
चलते-चलते खो गया कुछ अपना,
पर हर मोड़ पे मिला कुछ नया सपना।

112.
सफर लंबा है, मंज़िल अनजान,
पर दिल कहता है चलते रहो, यही है पहचान।

113.
कभी हवा ने सहलाया, कभी तूफ़ान ने रोका,
पर मुसाफ़िर दिल न थमा, न झुका, न रोया।

114.
रास्तों ने सिखाया है सब्र का मतलब,
हर सफर ने दिया है दिल को नया सबक।

115.
मुसाफ़िर हूँ, चलना ही मेरी कहानी है,
हर दर्द, हर खुशी मेरी निशानी है।

116.
थकान भरे कदम भी अब चलते रहते हैं,
क्योंकि उम्मीदें दिल में पलते रहते हैं।

117.
हर मंज़िल के बाद नई राहें बुलाती हैं,
मुसाफ़िर हूँ मैं, नई कहानियाँ सुनाती हैं।

118.
राहों ने ही दिया है जीने का हुनर,
हर कदम ने सिखाया कुछ बेहतर।

119.
कभी तन्हाई में सफर पूरा किया,
कभी यादों को साथी बना लिया।

120.
मुसाफ़िर हूँ मैं, सफर से ही पहचान है,
हर कदम पर छुपी कोई नई दास्तान है।

121.
कभी राहें मुस्कुराईं, कभी आँसू बहे,
पर मैं चलता रहा, दर्द भी संग रहे।

122.
हर मोड़ पे कुछ भूले-बिसरे चेहरे मिले,
कभी अपनापन, कभी अजनबीपन के सिलसिले।

123.
ज़िंदगी का सफर है एक अधूरी कहानी,
मुसाफ़िर हूँ मैं, तलाश अभी बाकी है जानी।

124.
हर ठोकर में मिला सबक नया,
हर रुकावट ने सिखाया रास्ता सच्चा।

125.
मंज़िल चाहे मिले या न मिले,
मुसाफ़िर हूँ मैं, सफर ही मेरा दिलचस्प है।

126.
कभी मंज़िल के करीब, कभी दूर बहुत,
मुसाफ़िर हूँ, दिल में बस है कुछ सोच।

127.
हर सफर ने कुछ खोया, कुछ पाया,
पर जीना क्या है, ये सफर ने सिखाया।

128.
रास्तों की धूल में कुछ सपने छिपे हैं,
मुसाफ़िर हूँ, कदमों में अरमान सिमटे हैं।

129.
न मंज़िल की जल्दी, न रुकने का डर,
बस चलना है अब, यही है सफर।

130.
हर मोड़ ने दिया कोई नया सबक,
मुसाफ़िर हूँ, हर ग़म में सुकून का हक़।

ajnbi pr

आरजू शायरी हिंदी में

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