World Nature Day Quotes/विश्व प्रकृति दिवस-आज प्रकृति दिवस है 3 अक्टूबर- विश्व प्रकृति दिवस: के रूप में मनाया जाता है यह दिन प्रकृति के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और लोगों को इसकी रक्षा के लिए प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है. हम सभी प्रकृति पर निर्भर हैं , प्रकृति में ,जल, जमीन,पेड़ पौधे, पहाड़,नदी , जंगल शामिल हैं इनसबके बिना इंसान का जीवन अधूरा है प्रकृति के ये सभी निधियों की रक्षा का दायित्व इंसानों पर है ,परन्तु आज के समय में इंसान ही इन प्राकृतिक संसाधनों का दुरूपयोग करने में लगा हुआ है ,आइये हम सभीमिलजुलकर अपनी प्रकृति की रक्षा करने की कसम उठानी चाहिए क्युकी प्रकृति बचेगी तभी इंसानका अस्तित्व
बचेगा |
World Nature Day Quotes
विश्व प्रकृति दिवस
hindi kavita on prakriti
विश्व प्रकृति दिवस पर कोट्स हिंदी में
World Nature Day Quotes in English
World Nature Day Quotes/विश्व प्रकृति दिवस
1-
प्रकर्ति हमारी अनमोल धरोहर है
इसका संरक्षण हमारा लक्ष्य है
Nature is our precious heritage
Its conservation is our goal
2-
जल, जमीन जंगल बचाओ
धरा को खुशहाल मनाओ
खतरे में है प्रकर्ति ह्म्मारी
इसको प्र्दुष्ण से मुक्त कराओ
save water land forest
make the earth happy
Nature is in danger
free it from pollution
3-
तितली भवरे और पसु पक्षी
सभी इश्वर की हैं संतान
सोचो अगर जल जंगल नही बचेंगे
कैसे ये पशु पक्षी बचेंगे????
butterfly and bird
All are children of God
Imagine if there would be no water and forests left.
How will these animals and birds survive????
4-
हरी भरी धरा बनी कंक्रीट का जंगल
भला कैसे होगा इन्सान का मंगल
नदियाँ सुखी जंगल काट बने महल
केसे अब जंगल में मनाओगे मंगल ???
Green land becomes concrete jungle
How will man be blessed?
Rivers, dry forests, carved palaces
How will you celebrate Tuesday in the forest now???
5-
सोचो अगर पेड़ पोधे और प्रक्रति नही होगी ?
जिन्दगी फिर केसे बचेगी ?
स्वांस लेने को फिर हवा न होगी |
जल बिन जीवन की कल्पना न होगी|
Imagine if there are no trees and nature?
How will life be saved again?
There will be no air to breathe again.
Life without water cannot be imagined.
6-
विकास के नाम पर मनुष्य ने
जाने म कितने जंगल और प्रजाति नष्ट की
जाने कितनी नदियाँ नालों में बदली
पहाड़ काटकर खाई बना दी ???
In the name of development man
Who knows how many forests and species have been destroyed?
Who knows how many rivers turned into drains?
Cut the mountain and made a ditch???
7-
पहाड़ को काटकर मैदान मत बनाओ
अडिग खड़े हैं इनको मत गिराओ
गहने हैं धरती के ये पहाड़
स्वार्थ में अँधा होकर धरती का संतुलन मत बिगाड़
Don’t make a plain by cutting a mountain
They are standing firm, don’t let them fall
These mountains of the earth are jewels
Don’t spoil the balance of the earth by being blinded by selfishness.
8-
नन्ही गौरेय्या अपना आंगन ढूढ़ती
पशु पक्षी पेड़ों से फल और छांव मांगते
न पेड़ बचे न बचे हैं आंगन
खो गई गौरया और पशु पक्षी रह गए सुने आंगन
Little sparrow searching for its courtyard
Animals and birds ask for fruits and shade from trees.
There are no trees left, no courtyards left
The sparrows and animals and birds were lost and
only the courtyard was heard.
9-
रे मानव तू कितना नादान ???
करता विनास विकास के नाम
जंगल काट के किए मैदान
स्वार्थ में बन बैठा तू सैतान
Hey human, how innocent are you???
Destroys in the name of development
fields carved out of forests
You became a devil out of selfishness
10-
प्रकृति बचेगी तो धरती बचेगी
पशु पक्षी बचेंगे तो जंगल बचेंगे
पेड़ बचेंगे तो हवा बचेगी
हवा रहेगी तो मानव की जिंदगी बचेगी
If nature is saved then the earth will be saved
If animals and birds survive, forests will survive.
If trees are saved then air will be saved
If there is air then human life will be saved
11-
पेड़ पौधे पशु पक्षी बचाओ
पर्यावरण को शुद्ध बनाओ
आओ सब प्रकृति दिवस मनाओ
12
धरती को हरा भरा बनाओ
पेड़ पौधे खूब लगाओ
जल जंगल पहाड़ बचाओ
धरती पर जीवन बचाओ
13
प्रकृति हमारी माता है
सबकी जीवन दाता है
करता जो प्रकृति का समान्न
वो कहलाता ज्ञानवान
14
धरती पर जब पेड़ पौधे पक्षी बचेंगे
फिर भला हम मानव भी कैसे बचेंगे ???
15
नदी नाले जंगल पहाड़
प्रकृति माता की हैं पहचान
इनको बचाकर दें समान्न
प्रकृति है धरती की जान
16
प्रकृति है तो धरती है
धरती है तो हम हैं
प्रकृति का रक्षण हमारा धर्म है
हरी भरी धरती है तो जीवन है
17
जो भी अन्न तुम खाते हो
प्रकृति से ही पाते हो
फिर क्यों प्रकृति दुःख देते हो??
18
धरती को हरा भरा बनाओ
जल जमीन जंगल बचाओ
जंगलों को कटने से बचाओ
प्रकृति संरक्षण करपृथ्वी बचाओ
19
नदियां बहती रहें निर्मंल
पहाड़ सदा रहें अविचल
हरे भरे रहें जंगल
बचे रहें पशु पक्षी के निवासस्थल
20
प्रकृति संरक्षण का चलाओ अभियान
सबको मिलेगा जीवन दान
21
प्रकृति कितनी प्यारी है
सुंदरता इसकी न्यारी है
प्रकृति की रक्षा करें
प्रकृती धरोहर हमारी है
22
सदा रहे ह्री भरी धरती हमारी
प्रकृति की रक्षा हम करें
जीव जंतु की रक्षा करें
22.
प्रकृति का सम्मान करें, उसका कर्ज़ चुकाना है,
धरती को प्रदूषण से, अब हमें बचाना है।
हरियाली में जीवन है, ये समझना होगा,
पेड़ों को कटने से, अब हमें रोकना होगा।
23.
प्रकृति की गोद में, सुकून का जहां बसा है,
पेड़, नदियाँ और पर्वत, हर जगह हरा-भरा सा है।
संरक्षण हमारा धर्म, जिम्मेदारी भी हमारी,
हर कण में जीवन है, सबकी रक्षा करनी है सारी।
24.
धरती का श्रृंगार है, फूल, पेड़ और नदी,
प्रकृति की हिफ़ाज़त में, है दुनिया की खुशी।
पेड़ों को बचाना है, और जल को सहेजना,
प्रकृति की रक्षा में, हर कदम हमें बढ़ाना है।
25.
प्रकृति की लहरों में, जीवन की धारा बहती,
पर्यावरण की सुरक्षा, हमारी ताकत कहती।
धरती का आंचल, हरियाली से भरना है,
आओ हम सब मिलकर, इसे संवारना है।
26.
धरती मां की पुकार है, सुनना हमें ज़रूरी है,
प्रकृति की रक्षा में, कदम उठाना जरूरी है।
हर पेड़, हर नदी, हर जीव को संवारना है,
विश्व को हरा-भरा, और सुरक्षित बनाना है।
27.
प्रकृति हमें देती है, अनगिनत आशीर्वाद,
धरती का सारा संसाधन, है सबसे बड़ा खज़ाना।
संरक्षण ही उपाय है, इसे संजीवनी देना,
प्रकृति की रक्षा का, अब हमें उठाना है जिम्मा।
28.
हरी-भरी इस धरती को, हमें सहेज कर रखना है,
प्रकृति के हर उपहार को, आदर से अपनाना है।
पेड़, पहाड़, नदियों की धारा, सबको बचाना है,
प्रकृति का सम्मान कर, हमें जीवन को संवारना है।
29.
पानी, हवा, मिट्टी, सबका है कर्ज़ हमारे सिर पर,
प्रकृति का खजाना हमें, मिले सहेज कर।
संरक्षण का दीप जलाना, अब समय का है इशारा,
धरती को हरा-भरा बनाना, है सबसे बड़ा सहारा।
30.
पेड़-पौधे, जंगल, पानी, सब जीवन का आधार,
प्रकृति के इन वरदानों से, सजी है दुनिया हमारी।
संरक्षण के बीज अब हमें, अपने मन में बोने हैं,
प्रकृति के इस अमृत को, सदा सहेजते रहना है।
31.
धरती का हर जीव, प्रकृति की अद्भुत रचना है,
उसके बिना जीवन का कोई मूल्य नहीं बचा है।
पेड़ों की छांव में ही, शांति हमें मिलेगी,
प्रकृति का संतुलन बनाए रखना, अब ज़रूरी है।
32.
हर कण में बसा है जीवन, हर घास में हरियाली,
प्रकृति की इस संपदा से, सजी है दुनिया निराली।
संरक्षण ही समाधान है, इसे हमें अपनाना है,
प्रकृति के संतुलन को, सदा बनाए रखना है।
33.
धरती की मिट्टी में, जीवन की एक रचना है,
इस अनमोल धरोहर को, सुरक्षित करना हमारा सपना है।
पेड़-पौधों की छांव में, हर कोई सुकून पाता है,
प्रकृति को संरक्षित रखना, जीवन को साकार बनाता है।
34.
प्रकृति की गोद में, जीवन का संचार है,
धरती के हर कोने में, उसका उपहार है।
संरक्षण का बीज हम, हर दिल में बोएंगे,
प्रकृति का संतुलन हम, मिलकर बनाएंगे।
35.
हर पेड़, हर पौधा, एक जीवन का प्रतीक है,
प्रकृति का संरक्षण ही, मानव का संगीत है।
धरती को बचाना है, प्रदूषण से दूर रखना,
हरी-भरी दुनिया में, हर सपना साकार करना।
36.
प्रकृति की रक्षा में, हम सबका योगदान है,
धरती के कण-कण में, जीवन का सम्मान है।
संरक्षण ही शक्ति है, जो दुनिया को बचाएगी,
धरती को हरा-भरा, फिर से लौटाएगी।
37.
धरती मां के आंचल में, सुकून की गाथा छिपी है,
प्रकृति की छांव में, जीवन की आशा बसी है।
संरक्षण का दीप जलाकर, हम आगे बढ़ें,
हर जीव, हर पेड़ को, जीवन का अधिकार दें।
38.
धरती का श्रृंगार हैं, पेड़, पहाड़, नदियां सारी,
प्रकृति की इस धरोहर को, सहेजना है जिम्मेदारी हमारी।
संरक्षण का संदेश फैलाना, अब हम सबका धर्म है,
प्रकृति से ही जीवन है, और इसका हर कण कर्म है।
39.
हर बूंद, हर कण में, प्रकृति का स्पंदन है,
संरक्षण से ही बनेगा, धरती पर जीवन का वंदन है।
प्रकृति से प्रेम करो, इसे सहेजना सीखो,
धरती को हरा-भरा, जीवन को पूर्ण करना सीखो।
40.
पेड़ों का हर पत्ता, जीवन का प्रतीक है,
प्रकृति के हर अंग में, मानव का संगीत है।
संरक्षण ही हमारा लक्ष्य हो, हरियाली का विस्तार,
प्रकृति के आशीर्वाद से ही, संपूर्ण होगा संसार।
41.
पेड़ों की जड़ें धरती को थामती हैं,
हरियाली से ही जीवन की राह चलती है।
संरक्षण में ही है सच्चा विकास,
प्रकृति का सम्मान कर बनाएं अपना इतिहास।
42.
धरती की धड़कनें हैं पेड़ और नदियां,
प्रकृति से सजी है हर एक बस्तियां।
संरक्षण से ही बनेगा जीवन साकार,
प्रकृति के हर रूप से करो प्यार।
43.
हरियाली की छांव में, जीवन की राह मिलेगी,
प्रकृति से ही शांति और सुकून की चाह मिलेगी।
संरक्षण को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं,
धरती को संवारें, इसे हरा-भरा सजाएं।
44.
प्रकृति के हर आशीर्वाद में है जीवन का उपहार,
धरती पर हरियाली से होता है संसार।
संरक्षण से ही है जीवन की सच्चाई,
प्रकृति को बचाना है, इसमें है हमारी भलाई।
45.
धरती मां की सेवा में है सच्चा सुख और आनंद,
प्रकृति की रक्षा में है हमारा हर एक बंधन।
संरक्षण को प्राथमिकता देना अब हमारा कर्म है,
प्रकृति को सहेजकर ही मिलेगा जीवन का धर्म है।
प्रकृति पर कविता
प्रकृति और मनुष्य पर कविता
हेल्लो फ्रेंड्स आज मैं आपके लिए अपनी एक कविता लाइ हूँ जिसका शीर्षक है प्रकृति और मनुष्य
धुंध बहुत हो गई
अब रौशनी चाहिए
विकास के नाम से
विनाश रुकना चाहिए
धरती अकास और नदी को
मनुष्य के भीड़ से रास्ता तो दो
साथ इनके खिलवाड़ करना छोड़ दो
स्वार्थ के लिए इनका दोहन करना छोड़ दो
धन बैभव की चाह में
स्वांस लेना छोडकर
बढ़ रहा जाने किस राह पर
बन गया दांव मानवता छोड़कर
सोचो तुमको की तुमको क्यूँ मानव कहें ??
क्यूँ न निरा पशु तुमको कहें
नष्ट करता उस धरती को जिसे माँकहता
फिर थक कर उसी के आंचल में सोता
सुरु विनाश किया तूने
अब प्रक्रति का प्रकोप भी देख ले
विअसिता के लिए
जाने तूने क्या क्या जतन किए
खाने के लिए निरीह पशु मारता
महल आते के लिए निरे पेड़ कटता
एक घर काफी नही तेरे रहने के लिए
रे मानव धरती भी कम है तेरे लिए
स्वार्थ के वश होके एकाधिकार चाहा तूने
नदियाँ बाँधी पशु पक्षी के आशियाने छीने
कर्म का फल निश्चित है
कैसे भुला दिया तूने ?
अब देख के प्रक्रति की तबाही
रे मानव हैरान न हो
फल तेरी करनी का है
देख के परेशान न हो | चंपा
poem on nature and man
there is a lot of fog
need light now
in the name of development
the destruction must stop
earth, sky and river
give way to the crowd of humans
stop messing with them
stop exploiting them for selfish reasons
in search of wealth and glory
except breathing
Who knows which way it is moving?
The stake has become, leaving humanity aside
Think why should you be called a human??
Why can’t a mere animal call you?
destroys the earth that we call mother
Then I would get tired and sleep in his embrace.
you started destruction
Now see the wrath of nature also
for viasita
I wonder what efforts you made
kills innocent animals for food
Trees were cut to reach the palace.
One house is not enough for you to live
O human, even the earth is too small for you.
You sought monopoly out of selfishness.
Rivers were dammed and birds and animals lost their homes.
the result of karma is certain
How did you forget?
Now look at the destruction of nature
O human, don’t be surprised
this is the result of your actions
Don’t be upset after seeing. Champa