महात्माँ गांधी – मोहनदास करमचन्द गांधी जन्म: 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था – जिन्हें महात्मा गांधी के नाम से भी जाना जाता है[ वे सत्य पर
चलने वाले अहिंसा की राह पर चलने वाले महान व्यक्तित्व थे, उनकी इस धारणा की नींव सम्पूर्ण अहिंसा के सिद्धान्त पर रखी गयी थी जिसने भारत को भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम दिलाकर पूरे विश्व में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता के प्रति आन्दोलन के लिये प्रेरित किया। उन्हें संसार में साधारण जनता महात्मा गांधी के नाम से जानती है। संस्कृत भाषा में महात्मा अथवा महान आत्मा एक सम्मान सूचक शब्द है। उन्हें महात्मा की उपाधि गुरु रविंद्रनाथ टैगोर ने प्रदान की थी। उन्हें देश बापू के नाम से सम्बोधित करता है एक मत के अनुसार गांधीजी को बापू सम्बोधित करने वाले प्रथम व्यक्ति उनके साबरमती आश्रम के शिष्य थे सुभाष चन्द्र बोस ने 6 जुलाई 1944 को रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित करते हुए आज़ाद हिन्द फौज के सैनिकों के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएँ माँगीं थीं।प्रति वर्ष 2 अक्टूबर को उनका जन्म दिन भारत में गांधी जयन्ती के रूप में और पूरे विश्व में अन्तरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है आओ आज उन्हीं महान व्यक्तित्व के जन्म दिवस को मनाते हुए , उनके महाँन विचारों से रूबरू होते हैं
महात्माँ गांधीMahatma Gandhi
महात्माँ गांधीMahatma Gandhi जी के अनमोल विचार
1-
अगर एक व्यक्ति समाज सेवा में कार्यरत है तो
उसे साधारण जीवन (simple life) की ओर ही बढ़ना चाहिए
महात्मा गांधी
2-
हिंदू धर्म, इसे जैसा मैंने समझा है, मेरी आत्मा को पूरी तरह तृप्त करता है,
मेरे प्राणों को आप्लावित कर देता है,
महात्मा गांधी
3-
.जब संदेह मुझे घेर लेता है, जब निराशा मेरे सम्मुख आ खड़ी होती है,
जब क्षितिज पर प्रकाश की एक किरण भी दिखाई नहीं देती, तब मैं
‘भगवद्गीता’ की शरण में जाता हूँ-
महात्मा गांधी
4-
मैं मानता हूं कि जहां डरपोक और हिंसा में से किसी एक को चुनना हो
तो मैं हिंसा के पक्ष में अपनी राय दूंगा– महात्मां गाँधी
5-मरने के लिए मैरे पास बहुत से कारण है किंतु मेरे पास किसी को मारने का कोई भी कारण नहीं है “महात्मां गाँधी
6-“मेरे पास दुनियावालों को सिखाने के लिए कुछ भी नया नहीं है। सत्य एवं अहिंसा तो दुनिया में उतने ही पुराने हैं जितने हमारे पर्वत हैं- महात्मां गाँधी
7-“मेरी कोई गोपनीय शवशधयां नहींहैं| सत्य के अलावा और कोई कूट्नीशत मैं नहीं जानता -महात्मां गाँधी
8-– प्रत्येक युद् से पहले आत्मत्याग आवश्यक है-महात्मां गाँधी
9-“अहिंसा का धर्म केवल ऋषियों संतों के लिए नहीं है यह साधारण लोगों के लिए भी है-महात्मां गाँधी
10-
मैंअहिंसा विज्ञान का एक अदना-सा खोजी हं | इसकी अतल गहराइयों को देखकर मैं भी कभी-कभी उतना ही डगमगा जाता हूँ जितना की मेरेसाथी कार्यकर्ता-महात्मां गाँधी
11-
मेरा धर्म मुझे सिखाता है की जब-जब आप ऐसे कष्ट् में हों जिसका
निवारण न कर सकें तो उपवास और प्रार्थना करें-महात्मां गाँधी
12-सच्चा उपवास शरीर, मन और आत्मा – तीनोंकी शुद्धी करता ह-महात्मां गाँधी
13-मेरे लिए सत्य सवोच्च सिद्धांत है -महात्मां गाँधी
14-
सत्य की खोज में क्रोध, स्वार्थ , घृणा आदि विकार स्वभावत: छूट्ते जातेहै-महात्मां गाँधी
15-मैंएक ही ईश्वर का दास हं और वह है सत्य–महात्मां गाँधी
16-” सबसे महत्वपूर्ण लड़ाई लड़ने के लिए अपने दुष्टात्माओं , भय और असुरक्षा जैसे तत्वों पर विजय पाना है। “
17″-हम जो करना चाहते हैं वह अंग्रेजों को सजा देने के लिए नहीं करें, बल्कि इसलिए करें कि ऐसा करना हमारा कर्तव्य है-महात्मां गाँधी”
18″-किसी भी मनुष्य को अस्पृश्य मानना एक भयंकर पाप है। मनुष्य का अहंकार ही उससे ऐसा कहता है कि वह अन्य लोगों से श्रेष्ठ है”
19
” जब तक गलती करने की स्वतंत्रता न हो तब तक स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है | “महात्मां गाँधी
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” अहिंसा ही धर्म है वही जिंदगी का रास्ता है “महात्मां गाँधी
21
“हम जिसकी पूजा करते हैं उसी के समान हो जाते हैं “महात्मां गाँधी
22
“प्रेम की शक्ति दंड की शक्ति से हजार गुनी प्रभावशाली और स्थाई है “महात्मां गाँधी
23
” कुछ लोग सफलता के लिए केवल सपने देखते हैं जबकि अन्य लोग जागते हैं और कड़ी मेहनत करते हैं “
24
“व्यक्ति अपने विचारों के सिवाय कुछ नहीं है. वह जो सोचता है, वह बन जाता है.”महात्मां गाँधी
25
“कमजोर कभी क्षमाशील नहीं हो सकता है. क्षमाशीलता ताकतवर की निशानी है.”महात्मां गाँधी
26
“ताकत शारीरिक शक्ति से नहीं आती है. यह अदम्य इच्छाशक्ति से आती है.”महात्मां गाँधी
27
“धैर्य का छोटा हिस्सा भी एक टन उपदेश से बेहतर है”महात्मां गाँधी
28
“गौरव लक्ष्य पाने के लिए कोशिश करने में हैं, न कि लक्ष्य तक पहुंचने में.”महात्मां गाँधी
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“आप जो करते हैं वह नगण्य होगा. लेकिन आपके लिए वह करना बहुत अहम है.”महात्मां गाँधी
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“हम जो करते हैं और हम जो कर सकते हैं, इसके बीच का अंतर दुनिया की ज्यादातर समस्याओं के समाधान के लिए पर्याप्त होगा.”महात्मां गाँधी
31
“किसी देश की महानता और उसकी नैतिक उन्नति का अंदाजा हम वहां जानवरों के साथ होने वाले व्यवहार से लगा सकते हैं.”महात्मां गाँधी