r ZAKHM SHAYARI|जख्म शायरी हिंदी में 2023 » Dard E Jazbaat ZAKHM SHAYARI|जख्म शायरी हिंदी में 2023 ZAKHM SHAYARI|जख्म शायरी हिंदी में 2023

ZAKHM SHAYARI|जख्म शायरी हिंदी में 2023

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ZAKHM SHAYARI|जख्म शायरी हिंदी में2023— हेलो फ्रेंड्स आज के आर्टिकल में आपके लिए जख्म शायरी हिंदी में लाइ हूँ। जख्म यानि चोट वो भी दिल पर जब दिल पर जख्म लगते हैं तो हमेशा के लिए नासूर बन जाते हैं , जो अक्सर कभी तन्हाई में , कभी यादों में कभी किसी को देख क्र हमारा दिल दुखा जाते हैं दोस्तों आगे आपको शायरी अच्छलगी हों तो राय जरूर दीजिए धन्यबाद

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जख्म दर्द शायरी 2 Line
अपनों के जख्म शायरी
पुराने जख्म शायरी
शब्दों के घाव शायरी
जख्म कविता

1-

एक कहानी इश्क किअधूरी रह गई
छोड़ कर दर्द की निसानी
जख्म मेरे दिल को दे गई

ZAKHM SHAYARI|जख्म शायरी हिंदी में 2023

2-

वो दिल को एक जख्म देगया
महोंबत्त के बदले सौ गम दे गया
एक तेरा झूठ मेरी जान ले गया

3–

सीसा ए दिल जब टूट के बिखर जाता है
ऐसे में फिर चैन किसे आता है आता ह
टूटा हुआ सीसा बस जख्म देता है
मत पूछिए टूटा दिल कितना तड़फाता है

ZAKHM SHAYARI|जख्म शायरी हिंदी में 2023

4-

बड़ी बैचेन हैं धड़कन मेरी जख्म ताजा है अभी
इक वेवफ़ा का दिया जख्म गहरा है अभी💔💔

5–

हसरतें रहीं दिल ही दिल में
उसके दिए जख्म की कहानी क्या कहते
लफ्ज उस बेगैरत के आगे जाया क्यूँ करते
अच्छा होता हम उससे न मिलते

6–

पल पल का यहाँ हिसाब क्या करू मैं
इस दिल के जख्मों का किस्सा क्या कहूँ मैं
ये सब से जागते सितारों से पूछ ले
दर्द ए जुदाई का गम क्या कहूँ अपने लबों से

7-

काश यादों पर कोई पहरा होता
दिल का जख्म न गहरा होता💔💔

8–

मत पूछ दर्द कितना है
बेइंतिहां दर्द है जख्म बहुत गहरा है

9-

दिल के जख्मो का हिसाब लेंगे किसी रोज
तुझसे तेरी बेवफाई का इंतकाम लेंगे इक रोज

10-

भूलना कहते हैं जब भी उसे
इक नया जख्म दे जाता है मुझे

11–

अभी मत कहो भूल जाने को
जख्म हरा है अभी 💔💔

12-

जख्म देकर मेरे दिल का रकीब
मीरे हाल ए दिल पूछता है 💔💔

13-

दिल उसे भूलता नहीं
जख्म भरता नहीं 💔💔

14-

हम जख्म खाकर भी जिन्दा है 💔
सच कहते हैं इश्क़ कर शर्मिंदा हैं 💔

15-

मोहबत्त वो ता उम्र याद रहती है
जो दिल को जख्म गहरा देती है 💔💔

16

जख्मो से कहाँ दीवाने डरते हैं 💔💔💔
मोहबत्त में कब जख्मो का हिसाब रखते हैं 💔

17-

मुझे दर्द इ दिल की दवा नहीं चाहिए
ये जख्म मुझे हरा चाहिए 💔💔

ZAKHM SHAYARI|जख्म शायरी हिंदी में 2023

18-

तेरे दिए दर्द पल पल याद आते हैं
नं तेरे दिए जख्म अभी भी ताजे हैं
तेरी जुदाई दे गई गहरा जख्म 💔💔
फिर भी तेरे बिन अधूरी है मेरी नज्म

19-

आखिर तेरी मोहब्त में जख्म
के सिवा मिला क्या मुझे 💔💔
क्यों अब तक भुला न सके तुझे

20

जख्म दिल पर लगे दिखाऊं किसे
हाल ए दिल सुनाऊँ किसे 💔💔💔

21

इक और साल गुजर गया
तेरा दिया जख्म न भर सका

22-

जुस्तजू तेरी करूं ये हसरत नहीं मेरी
फिर न्य जख्म खाने की हिमतत नहीं मेरी

23-

तुझसे मिलकर हर गम हम भूल चुके थे
फिर तेरी मोहब्बत ने ऐसे जख्म मिले
दिल कहता है हम तन्हा अच्छे थे 💔💔

ZAKHM SHAYARI|जख्म शायरी हिंदी में 2023

24-

क्यों चाहते हो पहली सी मोहबत्त मुझसे
क्या फिर कोई नया जख्म देने का इरादा है मुझे

25-

ये जख्म मोहबत्त में मिले भरते क्यों नहीं
आखिर उस बेवफा को दिल भूलता क्यों नहीं

26

मेरी उदासी तन्हाई में शामिल था जो
मेरे हर बात से वाकिफ था वो
जख्म कहाँ गहर्रा है जानता था वो
उसी जख्म पर चोट कर गया वो

27

ये जो तूने दर्द मोहबत्त में दिए मुझको
कसम से जीने नहीं देते मुझको 💔💔

28-

इश्क़ के जख्म ताजा हो गए फिर से
आज फिर महफ़िल में नजरें मिलीं उनसे

29-

फिर क्यूँ उलझ गया दिल
कुछ और सुलझाने को
फिर कोई नया जख्म खाने को

30

हर साल की तरह ये साल भी गुजर गया
पर तेरा दिया जख्म भर न सका 💔💔💔

31

हर मर्ज की दवा होती है💔💔💔
दर्द इ दिल के जख्म की दवा नहीं होती

32

ये पागल दिल कहाँ उसके
जख्मों का हिसाब रखता है
लाख जख्म के बाद भी💔💔
ये दिल उसी को याद करता है

33

दिल को तो मेरी आदत है
जख्म कहानी की 💔💔
कोसिस नाकाम होती है
तुझको भूल जाने की

ZAKHM SHAYARI|जख्म शायरी हिंदी में 2023

34

मोहबत्त तब कीजिएगा साहेब 💔
जख्म खाने का हौसला रखिएगा 💔

35-

उसने मोहब्त में हर बार इक नया जख्म दिया
मजूबर हैं दिल से हर जख्म हंस के सह लिया

36–

मोहबत्त बेपनाह करते हैं 💘💘💘
इसलिए जख्म खा कर भी चुप रहते हैं

37-

उसके दिए जख्म कौन गिनता है💔💔
ये पागल दिल तो उसको ही याद करता है

38-

कौन कम्भख्त मोहबत्त में जख्मों का हिसाब रखता है
मोहबत्त का नशा सर चढ़ के बोलता है 💔💔💔💘

39

उसकी आदत हो गई
जख्म देने की 💔💔
खता मेरे दिल की है
मोहबत्त करने की

40

किसने सोचा था मोहबत्त
का ये अंजाम होगा
आखँ में अश्क़ दिल
इस कदर जख्मी होगा

41

मोहबत्त में तबाही के
निशानी बाकी हैं
दिल पर लगे जख्मो💔
के निसान बाकी हैं

42

इकतरफा मोहबत्त का
यही अंजाम होता है
जख्म देने वाला 💔
मुस्काता है 💔

43

दुआ करो ये दिल उसे भूल जाए
दिल में लगा जख्म भर जाए 💔

44

तेरी बेवफाई से इस कदर
जख्मी हो गए हैं 💔💔
भरी दुनिया में तन्हा हो गए हैं

45

कौन यहां तेरे दिए जख्मो💔
का हिसाब रखता है
तुझे याद करने से दिल
फुरसत कहाँ देता है

46

मत पूछो मोहबत्त में कितने
जख्म खाए हुए हैं 💔💔
जिसे दिल वो जान से चाहा
उसी के हाथों तबाह हुए हैं

47

दर्द से सीना जल उठता है 💔💔
जब जब तेरी बेवफाई का जख्म उभरता है

48

जख्म देने वाले तेरा सुक्रिया 💔💔
तूने मुझे तन्हा जीना सीखा दिया

1. Jakhm Shayari 

49.
जख्म जो दिल में छुपा हैं, वो कभी नहीं भरते,
हर याद के साथ बस दर्द और गहरे होते हैं।

50.
कभी किसी ने पूछा नहीं, ये जख्म कैसे बने,
हर मुस्कान के पीछे हजारों आँसू दबे।

51.
जख्म भी क्या खूबसूरत चीज़ हैं,
याद दिलाते हैं उस प्यार को जो कभी पूरा नहीं हुआ।

52.
हर जख्म कुछ कहता है, कुछ छुपाता है,
ये दिल के दरवाजे हमेशा बंद रहते हैं।

53.
जख्म दिल के होते हैं, हड्डियों के नहीं,
इन्हें दिखाना आसान है, पर सहना मुश्किल है।

54.
जो जख्म समय भर भी नहीं पाता,
वो यादें ही तो सबसे ज्यादा सताती हैं।

55.
जख्म दर्द देते हैं पर हमें मजबूत भी बनाते हैं,
हर चोट के बाद दिल कुछ और सीख जाता है।

56.
कुछ जख्म तो अपनों ने दिए,
और कुछ खुद से लड़ते-लड़ते बने।

57.
जख्म दिल के अंदर ऐसे गहरे हैं,
कि उन्हें कोई शब्दों में बयां नहीं कर सकता।

58.
ये जख्म याद दिलाते हैं,
कि हर खुशी के पीछे दर्द भी छुपा होता है।

59.
जख्म भी सिखाते हैं,
कि हर आदमी के पीछे एक कहानी होती है।

60.
हर जख्म एक कहानी कहता है,
जो कभी पूरी नहीं होती, सिर्फ़ महसूस होती है।

61.
जख्म दिल के होते हैं,
पर यादें उनका सबसे बड़ा इलाज भी होती हैं।

62.
कुछ जख्म गहरे होते हैं,
जिन्हें वक्त भी नहीं भर सकता।

63.
जख्म ही हमें याद दिलाते हैं,
कि हमने प्यार किया, हमने चाहा और हमने खोया।

64.
हर जख्म एक सबक है,
जो हमें और समझदार बनाता है।

65.
जख्म दर्द देते हैं,
लेकिन यही दर्द हमें जीना सिखाता है।

66.
कुछ जख्म ऐसे होते हैं,
जो हंसते-हंसते भी रोते हैं।

67.
जख्म हमारे अंदर छुपी कहानियाँ हैं,
जो केवल दिल ही समझ सकता है।

68.
हर जख्म के पीछे एक इमोशन छुपा है,
जो कभी खत्म नहीं होता।

2. Dil Ke Jakhm Shayari 

69.
दिल के जख्म भी कभी खामोश नहीं रहते,
हर धड़कन में उनकी आवाज़ गूंजती रहती है।

70.
कुछ जख्म दिल में ऐसे हैं,
जिन्हें दर्द भी महसूस नहीं कर पाता।

71.
दिल के जख्म भी हमें याद दिलाते हैं,
कि हमने भी कभी किसी को अपना बनाया था।

72.
हर दिल के जख्म को समय भर नहीं पाता,
लेकिन हर जख्म हमें मजबूत बनाता है।

73.
दिल के जख्म भी मोहब्बत की निशानी हैं,
जो कभी भुलाए नहीं जा सकते।

74.
कुछ जख्म ऐसे हैं,
जो सिर्फ़ अकेले ही सहा जा सकते हैं।

75.
दिल के जख्म भी हमारी कहानी कहते हैं,
जो किसी को सुनाने के लिए शब्द नहीं मिलते।

76.
हर जख्म दिल को तोड़ता है,
पर हमें खुद से जोड़ता भी है।

77.
दिल के जख्म हमें सिखाते हैं,
कि प्यार हमेशा आसान नहीं होता।

78.
कुछ जख्म ऐसे हैं,
जो कभी दिखाई नहीं देते पर हमेशा महसूस होते हैं।

79.
दिल के जख्म भी याद दिलाते हैं,
कि हमने प्यार किया और खोया।

80.
हर जख्म के साथ दिल कुछ नया सीखता है,
और कुछ पुराना भूलता है।

81.
दिल के जख्म कभी भर नहीं पाते,
पर इन्हें अपनाना ही जीवन है।

82.
कुछ जख्म चुपके से होते हैं,
जो सिर्फ़ दिल ही समझ सकता है।

83.
दिल के जख्म भी कभी मुस्कुराते हैं,
क्योंकि दर्द भी एक तरह की मजबूती है।

84.
हर जख्म हमें जीना सिखाता है,
और हर दर्द हमें महसूस करना सिखाता है।

85.
दिल के जख्म हमें याद दिलाते हैं,
कि जिंदगी सिर्फ़ खुशियों से नहीं बनती।

86.
कुछ जख्म ऐसे हैं,
जो सिर्फ़ अकेले ही समझ आते हैं।

87.
दिल के जख्म भी हमारी कहानी हैं,
जो हम शब्दों में नहीं बयां कर सकते।

88.
दिल के ज़ख्मों की दवा कोई नहीं,
ये दर्द बस तन्हाई में रोई-रोई सही।

89.
जिसे अपना समझा था वही बेगाना निकला,
दिल पर ज़ख्म दे गया, और कहानी अधूरी रख गया।

90.
दिल का ज़ख्म हर रोज़ ताज़ा हो जाता है,
जब भी तेरी याद का साया लौट आता है।

91.
चेहरे की हंसी झूठी निकली,
दिल का ज़ख्म ही मेरी सच्चाई निकली।

92.
दिल पर खामोशी से चोटें लगती गईं,
ज़ख्म गहरे हुए और तन्हाई बढ़ती गई।

93.
दिल के ज़ख्म तन्हाई में मुस्कुराते हैं,
बाहरी हंसी के पीछे छुप जाते हैं।

94.
तू चला गया तो दिल का चैन भी गया,
तेरे दिए ज़ख्म ने मुझे वीरान कर दिया।

95.
दिल का ज़ख्म हर किसी को दिखाया नहीं जाता,
ये दर्द अक्सर अश्कों में बहाया जाता।

96.
दिल की दुनिया बर्बाद कर गया,
तेरा दिया ज़ख्म मेरा साथी बन गया।

97.
दिल के ज़ख्म अब आदत बन गए हैं,
इनसे जीना भी मेरे लिए सबक बन गए हैं।

98.
कभी तेरी मोहब्बत में खुश रहा,
आज तेरे ज़ख्मों में तन्हा रहा।

99.
दिल का हर ज़ख्म तेरी याद से जुड़ा है,
हर धड़कन में बस तेरा नाम लिखा है।

100.
तेरे दिए ज़ख्म अब मेरी पहचान हैं,
ये दर्द ही मेरे इश्क़ की जान हैं।

101.
दिल का ज़ख्म किसी दवा से नहीं भरता,
ये बस तेरी वफा से ही सुधरता।

102.
दिल के ज़ख्मों की आवाज़ कोई सुन नहीं सकता,
ये दर्द सिर्फ तन्हाई समझ सकती है।

103.
ज़ख्म दिल पर हो तो असर रूह तक जाता है,
हर आह में सिर्फ तेरा नाम आता है।

104.
दिल का ज़ख्म शब्दों में बयान नहीं होता,
ये दर्द सिर्फ आंसुओं में बयां होता।

105.
दिल के ज़ख्म अब मेरी ताक़त बन गए,
तन्हाई के साथी बनकर हकीकत बन गए।

106.
तेरे दिए ज़ख्म हर पल रुलाते हैं,
पर मोहब्बत के किस्से फिर भी सुनाते हैं।

107.
दिल का ज़ख्म अब जीने का सहारा है,
तेरी याद का दर्द ही बस प्यारा है।

🌸 जख्म शायरी हिंदी

108.
ज़ख्म दिल के हों तो दिखते नहीं,
पर हर आह में चुपके से रिसते नहीं।

109.
ज़ख्म वो ही गहरे होते हैं,
जो अपनों की बेरुख़ी से मिलते हैं।

110.
हर ज़ख्म का दर्द अलग होता है,
कुछ पास से, कुछ यादों से मिलता है।

111.
ज़ख्म चाहे कितने भी पुराने हो जाएं,
याद आते ही ताज़ा हो जाते हैं।

112.
तेरे दिए ज़ख्मों की सज़ा पाई है,
हर सांस में तन्हाई बसाई है।

113.
ज़ख्म दिल के कभी मिटते नहीं,
बस चेहरे की हंसी में छिपते नहीं।

114.
दर्द का समंदर आँखों में भर आया,
तेरे दिए ज़ख्मों ने रुलाया।

115.
ज़ख्म कोई देख नहीं पाता,
ये दिल ही चुपचाप सह जाता।

116.
ज़ख्मों की कीमत वही समझेगा,
जो मोहब्बत में खोकर टूटेगा।

117.
ज़ख्म दिल पर जब अपनों से मिलता है,
तो इंसान खुद से भी शर्मिंदा होता है।

118.
ज़ख्मों की आदत हो गई है अब,
ये दर्द ही मेरा साथी बन गया है सब।

119.
कभी मोहब्बत ने सजाए दिए,
तो कभी जख्म ने तन्हाई दी।

120.
ज़ख्म ऐसे मिले कि भूल ना सका,
वो इंसान भी अब याद ना रहा।

121.
ज़ख्म दिल के हर बार याद दिलाते हैं,
कि अपनों से भी धोखे मिल जाते हैं।

122.
ज़ख्म चाहे जितना छुपा लो,
आँखें सब राज़ बता देती हैं।

123.
ज़ख्म दिल का कोई मरहम नहीं होता,
ये दर्द बस वक्त के साथ ही जीता जाता।

124.
ज़ख्म मिलना भी मोहब्बत की निशानी है,
वरना किसे याद होती ये कहानी है।

125.
ज़ख्म की आंच ने रुलाया बहुत,
पर तेरा नाम दिल से मिटाया न हुआ।

126.
ज़ख्मों की गहराई कोई जान नहीं पाता,
ये दर्द बस दिल ही बयाँ करता जाता।

127.
ज़ख्म जब भी भरने लगता है,
तेरी याद उसे फिर से ताज़ा कर देती है।

💔 जख्म दर्द शायरी 2 Line

128.
तेरे दिए जख्म अब आदत बन गए,
दर्द के साये मेरी हकीकत बन गए।

129.
हर जख्म ने दिल को और गहरा किया,
तेरी यादों ने मुझे तन्हा किया।

130.
जख्म का दर्द कोई देख नहीं पाता,
चेहरे की हंसी सबको धोखा दे जाता।

131.
तेरे प्यार ने जो जख्म दिए,
उनमें ही हमने मोहब्बत जी ली।

132.
जख्म दिल पर मिले तो सांसें भी भारी,
हर धड़कन में बस तेरी यादें उतारी।

133.
किसी अपने ने जो जख्म दिया,
उस दर्द को सहना आसान नहीं था।

134.
तेरे दिए जख्म अब मरहम मांगते हैं,
पर ये आंखें बस आंसुओं से भीगते हैं।

135.
जख्म दिल के छुप नहीं पाते,
आंसुओं की जुबां सब कुछ बता जाते।

136.
तेरा धोखा ही सबसे बड़ा जख्म है,
जो अब तक मेरे दिल पर कायम है।

137.
जख्म दिल का हर रोज़ याद दिलाता है,
कि प्यार करना सजा भी लाता है।

138.
तेरे दिए जख्म मिटा न सका,
तेरी मोहब्बत को भुला न सका।

139.
हर जख्म की दवा वक्त नहीं होती,
कुछ दर्द ऐसे हैं जो बस रह जाते हैं।

140.
दिल के जख्म हंसकर छुपा लिया,
पर तन्हाई में खुद को रुला लिया।

141.
जख्म तेरे प्यार का तो गहरा है,
जिसे भरने में उम्र का सहारा है।

142.
तेरे जख्मों ने सिखा दिया जीना,
दर्द के साये में भी मुस्कुराना।

143.
दिल के जख्म से लहू निकलता नहीं,
बस आंखों से दर्द छलकता यहीं।

144.
जख्म जितना गहरा उतनी ही तन्हाई,
तेरी यादें हर पल लाती रुलाई।

145.
तेरे दिए जख्मों ने ये सिखाया,
प्यार करके भी सब कुछ खोया।

146.
हर जख्म मोहब्बत की निशानी है,
पर हर दर्द तन्हाई की कहानी है।

147.
दिल के जख्म अब किसे दिखाऊं,
तेरे प्यार का दर्द किससे सुनाऊं।

🤍 अपनों के जख्म शायरी

148.
ग़ैरों के दिए ज़ख्म वक्त मिटा देता है,
अपनों का दर्द उम्रभर रुला देता है।

149.
अपनों से मिले ज़ख्म क्यों गहरे होते हैं,
क्यों ये दिल के पार उतर जाते हैं।

150.
ग़ैरों का दर्द सह भी लिया जाता है,
पर अपनों के जख्म भूला नहीं जाता है।

151.
जब अपनों से चोट लगती है,
तो हर खुशी बेरंग लगती है।

152.
ग़ैरों का वार सहने लायक होता है,
पर अपनों का धोखा दिल तोड़ जाता है।

153.
अपनों के दिए जख्म नासूर बन जाते हैं,
जो सांसों के साथ भी रहते जाते हैं।

154.
ग़ैरों के ताने भी सह लिए जाते हैं,
पर अपनों की बेवफ़ाई सहा नहीं जाता है।

155.
अपनों से ही तो उम्मीदें होती हैं,
इसीलिए उनके जख्म गहरे होते हैं।

156.
ग़ैरों से शिकवा करना आसान है,
पर अपनों से गिला करना मुश्किल है।

157.
अपनों के दिए जख्म रोते नहीं,
बल्कि दिल को खामोशी से तोड़ते हैं।

158.
ग़ैरों की बेरुख़ी तन्हा कर देती है,
पर अपनों की दूरी दिल छलनी कर देती है।

159.
जख्म अपनों का मरहम मांगता है,
पर वही मरहम अक्सर और दर्द देता है।

160.
ग़ैरों के जख्म दिल पर रहते हैं,
अपनों के जख्म रूह तक उतर जाते हैं।

161.
अपनों के दिए जख्म हर आह में झलकते हैं,
और आँखों से अश्क बनकर बहते हैं।

162.
ग़ैरों के तीर दिल से निकल जाते हैं,
अपनों के तीर उम्रभर चुभते हैं।

163.
अपनों के दिए जख्म भूलना नामुमकिन है,
ये दर्द हर सांस में शामिल है।

164.
ग़ैरों का धोखा बस ग़ुस्सा दिलाता है,
पर अपनों का धोखा रुला जाता है।

165.
अपनों का जख्म चुप रहकर सहते हैं,
वरना रिश्तों के धागे टूट जाते हैं।

166.
ग़ैरों का वार हिम्मत से झेल लिया,
पर अपनों का दर्द आंखों में ठहर गया।

167.
अपनों के जख्म कभी भरते नहीं,
ये उम्रभर दिल से उतरते नहीं।

🥀 पुराने जख्म शायरी

168.
जब-जब दर्द बेहिसाब होने लगता है,
तब पुराने जख्म ताज़ा होने लगते हैं।

169.
पुराने जख्म तो भरने का नाम ही नहीं लेते,
बस याद आते हैं और दिल को रुला देते।

170.
समय कितना भी गुजर जाए,
पुराने जख्म अक्सर याद दिला जाए।

171.
जख्म पुराने हों तो और गहरे हो जाते हैं,
तेरी यादों से वो फिर ताज़ा हो जाते हैं।

172.
पुराने जख्म कभी मिटते नहीं,
बस चेहरे की हंसी में छिपते नहीं।

173.
कभी मुस्कुराते हुए भी रोना आता है,
जब पुराने जख्मों का दर्द सताता है।

174.
पुराने जख्म वक्त की धूल में दबे होते हैं,
पर याद आते ही दिल को जला देते हैं।

175.
कभी तन्हाई में आंसू निकल आते हैं,
जब पुराने जख्म दिल पर असर कर जाते हैं।

176.
पुराने जख्म अब भी ताज़गी लिए हैं,
तेरी यादों में जैसे कैद हुए हैं।

177.
कहते हैं वक्त सबकुछ बदल देता है,
पर पुराने जख्म कभी नहीं भरता है।

178.
पुराने जख्मों की कहानी अधूरी है,
इस दिल की धड़कन में वही दूरी है।

179.
पुराने जख्म किसी किताब की तरह हैं,
पढ़ते जाओ तो दर्द ही मिलता है।

180.
हर पुराना जख्म एक याद बन जाता है,
जो हर धड़कन के साथ दर्द दिलाता है।

181.
पुराने जख्म अब भी सांसों में बसे हैं,
तेरे ग़म की तरह दिल में धंसे हैं।

182.
कभी पुरानी बातें रुला जाती हैं,
तो पुराने जख्म याद आ जाते हैं।

183.
जख्म चाहे जितने पुराने हो जाएं,
तेरी यादें उन्हें ताज़ा कर जाएं।

184.
पुराने जख्मों का दर्द अनकहा है,
जिसे बस दिल ने चुपचाप सहा है।

185.
कभी पुराना जख्म ही सबक दे जाता है,
और इंसान को चुप रहना सिखा जाता है।

186.
पुराने जख्म दिल में कैद रहते हैं,
हर धड़कन के साथ जिन्दा रहते हैं।

187.
जख्म पुराने हों तो वक्त का असर नहीं होता,
ये दर्द रूह तक पहुंच कर ठहर जाता है।

✒️ शब्दों के घाव शायरी

188.
शब्दों के घाव सीधे दिल पर असर करते हैं,
ये वो ज़ख्म हैं जो उम्रभर याद रहते हैं।

189.
तलवार के घाव भर जाते हैं,
पर शब्दों के तीर हमेशा चुभते हैं।

190.
कभी सोचा न था लफ़्ज़ इतना चोट देंगे,
दिल के जख्मों को और गहरा कर देंगे।

191.
शब्दों का वार सबसे भारी होता है,
ये ज़ख्म दिल की गहराई तक जाता है।

192.
ज़ख्म तलवार से मिले तो भर जाते हैं,
पर शब्दों से मिले तो और बढ़ जाते हैं।

193.
शब्दों की चोट दिखाई नहीं देती,
पर हर धड़कन में चुभती रहती है।

194.
कभी-कभी चुप्पी भी घाव देती है,
पर शब्दों का वार दिल तोड़ देता है।

195.
जो आंसुओं से मिटा न सके,
वो दर्द अक्सर शब्दों से मिले।

196.
लफ़्ज़ कभी-कभी नासूर बना जाते हैं,
दिल को तोड़कर खामोश कर जाते हैं।

197.
शब्दों के तीर कभी खाली नहीं जाते,
ये दिल को चीरकर गहरे उतर जाते।

198.
कभी अपनों के शब्द ही सबसे बड़ा घाव देते हैं,
जिन्हें सुनकर रिश्ते भी टूट जाते हैं।

199.
जुबां से निकले लफ़्ज़ लौटते नहीं,
ये दिल पर ऐसे उतरते हैं कि भूलते नहीं।

200.
शब्दों के वार की कोई दवा नहीं होती,
ये चोट सीधे रूह में होती।

201.
कभी हंसकर बोले लफ़्ज़ भी दर्द दे जाते हैं,
दिल के पुराने घाव ताज़ा कर जाते हैं।

202.
जख्म तलवार के दिख जाते हैं,
शब्दों के जख्म बस महसूस कराए जाते हैं।

203.
शब्दों से गहरी चोट कोई और नहीं,
ये इंसान को तोड़ देती है कहीं।

204.
कभी सोचा न था बात इतनी चुभेगी,
तेरी कही हर बात अब तक खलती है।

205.
शब्दों के जख्म उम्रभर भरते नहीं,
इनकी चुभन कभी उतरते नहीं।

206.
दिल को आहिस्ता-आहिस्ता तोड़ते हैं,
शब्दों के वार कभी नहीं भूलते हैं।

जख्म कविता

किसी ने मोहब्बत की चादर ओढ़ाई,
और उसी चादर में खंजर छुपाए,
चेहरे पर मुस्कान सजाई उसने,
पर दिल के पीछे ज़हर बनाए।
वादे थे चाँद-तारों जैसे चमकते,
सपने थे उम्मीदों की रोशनी जैसे,
पर असलियत निकली काली रात,
जहाँ कोई दीपक न जल सके 
बेवफ़ाई का तीर जब सीने में लगा,
आँखों का दरिया बह निकला,
कंधों का सहारा तलाशा बहुत,
पर हर अपना भी पराया दिखा।
धोखे की कहानी जुबां तक न आई,
बस जख्म बनकर दिल में समा गई,
हर हँसी अब बोझिल लगती है,
हर खुशी आँसू में डूबती जाती है।
कभी सोचता हूँ काश वो सच होता,
मोहब्बत का रंग साफ़ और गहरा होता,
पर अब तो यक़ीन भी डरता है,
कि अगली मुस्कान भी ज़ख्म न देता हो।

आखें शायरी

जख्म शायरी

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