वन्यजीव पृथ्वी के संतुलन का आधार हैं।

हर वर्ष हम 1000 से अधिक प्रजातियाँ खो रहे हैं।

माना जाता है कि हर दिन 150 प्रजातियाँ विलुप्त हो रही हैं।

20वीं सदी में 477 प्रजातियाँ समाप्त हो चुकी हैं।

अफ्रीकी हाथी की आबादी में 90% गिरावट आई है।

बाघ की 97% जनसंख्या 100 वर्षों में खो चुकी है।

हर साल 13 मिलियन हेक्टेयर जंगल नष्ट हो रहे हैं।

पृथ्वी की 60% वन्यजीव जनसंख्या 1970 से कम हो गई है।

कछुओं की कई प्रजातियाँ विलुप्ति की कगार पर हैं।

सुमात्रा के गैंडों की संख्या अब केवल 80 रह गई है।

बाघों की संख्या सिर्फ 3,900 रह गई है।

ग्लोबल वार्मिंग से समुद्री प्रजातियाँ भी विलुप्त हो रही हैं।