दर्द भरी दास्ताँ

दर्द भरी दास्ताँ

तमाम उम्र इन्तजार  में गुजर जाती है  जब जब किसी बेवफा से मोहबत्त हो जाती है

दर्द भरी दास्ताँ

अश्कों  से  लिखी कहानी  मेरी   दिल  को   तडपाती है पल पल मोहबत्त तेरी

दर्द भरी दास्ताँ

दिल को अपना  जलाने की ख्वाइश है    तुझे भूल जाने की ख्वाइश  है

दर्द भरी दास्ताँ

इश्क की बदनाम गलियों में  गुम हो गये हम    खता कुछ भी नहीं थी फिर भी  मर गये हम

दर्द भरी दास्ताँ

तुम न आओगे  ये मालुम है मुझे फिर भी  किसी हाल में भूल नही सके तुझे

दर्द भरी दास्ताँ

बहुत कोशिस की हमने मुस्काने की        कमबख्त अश्कों ने  बता दी  कहानी दिल की

दर्द भरी दास्ताँ

आज दिल को फिर तिरी याद आई  आज फिर  बेवजह आँख भर आई

दर्द भरी दास्ताँ

जब भी किसी से मोहबत्त करो      बस ऐतबार करने  से  डरो

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दर्द भरी दास्ताँ

तेरी  यादों का  कारवां गुजरता नही है  तुझसे बिछड़े जमाना हो गया है

दर्द भरी दास्ताँ

जाने  क्यूँ  जिन्दगी  मुझे इतनी मोहलत दे रही है      जख्म लाख दिए बेवफा ने फिर भी मोहबत्त  भुलाई नही है

दर्द भरी दास्ताँ

उसकी आँखों में  मोहबत्त के सिवा कुछ नही देखा हमने    मिरी  इसी ऐत्त्बार ने कहीं का नही छोड़ा  मुझे