तेरे बगैर अब रहा नहीं जाता इन आँखों से अश्क रुकते ही नहीं 💔जिंदा हैँ पर जीते नहीं

टूटे दिल की शायरी

उलझन ये नहीं की  तू  बेवफा  क्यू है  मुश्किल ये है दिल तुझपर अटका क्यू है

बेइंतहा दर्द मे कैसे जीते  कोई मेरे 💔  दिल  पूछे 

अब  दिल को  चैन नहीं आता दर्द  के बगैर  कमबख्त  💗 को दर्द की आदत हो गई 

हसरतें रहीं दिल ही दिल में   हम कुछ कह न सके महफ़िल  में

मेरा नहीं फिर भी मुझमे है रहता वो एक पल भी दिल से निकलता नहीं वो

तुमसे जुदा होके जीना नहीं अब बिछड़े हो जब से मर ही गए हम    

जाने  क्या मिला उसे मेरा दिल तोडकर   मेरे ही दिल से खेला व सारे खिलौने छोड़कर 💔😭

टूटे  हुए दिल और टूटे हुए खिलौने  किस काम के           बस ुयूँ ही बेवजह  बेकाम से 💔💔

टूटकर  बिखरने का शौक था मुझे 💔💔           शायद  यही सोच के मोहब्त  हुई मुझे