Shayari Ki Diary/
उसने की दिल्लगी हम महोंबत्त समझ बैठे बस इतनी सी बात से हम सकूँ गवां बैठे
खौफ किसे है दिल के बर्बाद होने का तभी तो बेवफा से दिल का सौदा किया\
लाख छुपाओ दर्द फिर भी बयां हो जाता है इश्क तो इश्क है आँखों मे उतर आता है
इश्क मे दास्तां बनी और मिटगई महोबत्त फिर तन्हा रह गई
हम इस जहां में मिले न मिले गम नहीं रूह तो रूह से मिल गई फिर मिलेंगे उस जहां में कहीं
बरसात हो तेरा साथ हो इश्क की बात हो बस तेरे हाथों मे मेरा हाथ हो
सबसे हसीन पल थे जब हम तुम करीब थे