दर्द जमाने में बेवफाई से बढ़कर नहीं जमाने में उम्र भर शराब पि हमने तुझको भुलाने में
तुझे भुलाने की कोशिशे नाकाम हो गयी जिंदगी मेरी मयखाने में तमाम हो गयी
मयखाना तो हमने भी देखा है साकी कोई आँखों से पिलाए तो सुकून आए साकी
शराब के नसे से ज्यादा नशा है मोहबत्त में किसी शराब में ताकत नहींमोहबत्त का गम भुला दे
शराब तो यूँ ही बदनाम है जमाने में टूटे दिलों को सुकून मिलता है मयखाने में
मोहबत्त में जिसको मिलती है रुस्वाई गम में वो इंसान हो जाता है शराबी
नशा शराब का चढ़ता है सारे गम भूल जाता हूँ एक कमबख्त मोहबत्त का गम भूल नहीं पाता हूँ
तुझसे मोहबत्त क्या हुई दिल का रोग लगा गयी तेरा गम भुलाने के लिए मंजिल मयखाना बन गयी