तू रूह है मेरी… जिसे पाया नहीं, महसूस किया है।

तेरे बिना हर ख़ुशी अधूरी सी लगती है।

Saiyaara तू था… अब तन्हाई मेरी साथी है।

मैंने तुझे हर दुआ में माँगा है।

तू साथ नहीं, फिर भी सबसे पास है।

तेरे जाने से साँसें चलती हैं, पर ज़िंदगी नहीं।

Saiyaara... तू था, तो सब कुछ था।

तेरे बिना जीना सज़ा सा लगता है।

मोहब्बत अधूरी हो तो और भी गहरी होती है।

Saiyaara की तरह, तू दूर होकर भी चमकता है।

तू ख्वाब बन गया… और मैं सोता  रह गया।

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इश्क़ वही है, जो जुदाई में भी वफ़ा करे।