तेरी बेवफाई से नही गिला मुझे नसिखायत तेरी बेहयाई से पर है गम इस बात से तेरी झूठी महोबत्त केइजहार से
लब खामोश है धड़कन बोलती हैं इजहार ए महोबत्त में आखें इकरार का राज खोलती हैं
दामन छुड़ाएं भी तो गोया किससे रूह तो जन्मों तलक इजहार ए महोबत्त कर गई उनसे