mohabatt shayari in hindi

अंजाम ए महोंबत्त  कब  सोचा था हमने जिंदगी से भी ज्यादा  चाहा था हमने 💓

क्यू छुप छुप   के  डीपी  देखते हो मेरी लगता है तुम   महोंबत्त मे पागल हो  मेरी

याद बहुत आते हो  तुम  क्यू मुझको  लगता  है एकतरफा महोंबत्त हो गई मुझको

क्या कहें तुमको दास्तां एमहोंबत्त  दर्द तड़फ  बेबसी है फखत

ए महोंबत्त तू आरजू  है तू एक ख्याल ह ए महोंबत्त तू क्यू सबसे मुश्किल सवाल है

तेरी बेवफाई से नही गिला मुझे   नसिखायत  तेरी  बेहयाई  से   पर है  गम इस  बात  से  तेरी  झूठी महोबत्त केइजहार से

लब  खामोश  है  धड़कन  बोलती  हैं   इजहार  ए महोबत्त  में  आखें    इकरार का राज खोलती हैं

दामन छुड़ाएं भी तो गोया किससे   रूह  तो जन्मों  तलक  इजहार    ए महोबत्त  कर गई  उनसे

इश्क  मे जज़्बात नहीं  तो इश्क नहीं ये  एक जिस्म की तलं ब  है  एसा महबूब  महोबबत का कातिल है