प्यार पर कुछ खूबसूरत  शायरी

प्यार में दीवानों को कब   होश है रहता  होश  रहता तो  दिवानों को  कौन दिवाना कहता

अपना   पुराना  राबता है गम  से तंज  करती  है   खामोशी आज हम  से

एक तसबीर महोबत्त की  बेखुदी मे बन गई थी हमसे

तुझसे दिल नवाजी की उम्मीद क्या  करते   साहिल पर  आसियाने नहीं बनते

इश्क तो बेवजह  हो जाता  है   सोच समझ करसौदा किया जाता है

बयां होती नहीं   दीवानगी    लफ्जों  मे दीवानों की

महफ़िल   भी  कहाँ  दिल लगता है     दीवानगी का नशा ता उम्र रहता है

किसे इल्जाम दें दर्द ए तनहाई का  ये इनाम है   महोबबत मे तबाही  का

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तुझे भूल जाऊ तो मुस्किल तू याद आए  तो  मुश्किल

कब इस दिल ने तुझसे कुछ चाहा  बस मैने सिर्फ तुझे  बेहद चाहा

दिल को महोंबत्त का भ्रम तो न होता  तुझको मोहबत्त नहीं काश  तुमने एक बार कहा  होता