मेरे जज्बात
वो हरजाई हर सूरत पर मरने वाला मेरे जज्बात की कदर कैसे करता उसके जज्बात और अहसास जिन्दा नहीं बेवफाई के सिवा उससे कुछ मिला नहीं
खत्म हो गयी वो इश्क़ की हसीन दास्ताँ सजाया था कभी खूबसूरत जज्बात से
बैठे हैं मुद्द्त से इस ख्याल में कभी तो तड़पेगा वो मेरी याद में अब तक संजोए रहें मैंने जज्बात हैं इक ख्वाब गाह बना रखी है उसकी याद में
जब्बात इस तरह बर्बाद क्र देते है कभी कभी किसी को जिन्दा लाश बना देते हैं
इश्क़ में जिसने तेरे जज्बात नहीं समझे भूल जा उसे जिसने कभी तेरे हालात नहीं समझे
चलो अच्छा हुआ ये इश्क़ कहानी भी खत्म हुई जज्बात उसने समझे नहीं उसे मुझसे मोभहत नहीं
उसे कैसे भला आती मेरी याद उसने कभी समझे नहीं मेरे जज्बात
उनकी सूरत से वफ़ा की खुसबू आती है इश्क़ में जज्बात वो बखूबी निभाती है
जाने क्यों जिन्दा है उसके लिए जज्बात मेरे दिल में लाख कोसिस के बाद भी उसे भूलती क्यों नहीं मैं ??