Dard Bhari  Bewafa Shayari

दिल  की  लगी  को तूने दिल्लगी समझा   सनम तू कितना  बेवफा  निकला

बड़ी बैचेन हैं धड़कन जख्म ताजा है अभी  इक वेवफ़ा   का   दिया जख्म   गहरा  है अभी

रातों को जगकर् आहें न भरना  किसी वेवफ़ा पर एतबार न करना

सीख  न पाया  वो हमसे सलीका  इशक मे वफ़ा का  कहता है एतबार करू  उस बेवफा का

हमने किसी  बेवफा को प्यार किया       तो क्या गुनाह किया    वो हमको भूल जाए ये हो नहीं सकता \ किसी और का होकर अब वो रह नहीं सकता

गुजरता है हर रोज यादों का कारवाँ      पर ओ बेबफा फिर कभी ना गुजरा  इधर से

इश्क की  कुछ शर्त जरू  हाँ  महोंबत्त मे वफ़ा जरूरी है

पूछे कोई  महोबत्त में  वफ़ा  का पैमाना  क्या है   दिल की धड़कन ने  बस  नाम तेरा लिया है

हुस्न और इश्क की जिद है   या हुस्न  रहेगा  या रहेगी  वफ़ा

-इनायत ए वफ़ा करू तुझसे तौबा ये कयामत होगी   बेवफ़ाओं की दुनियाँ मे फिर दहस्त होगी