हर रात तुझे सोचकर गुज़रती है, तेरी यादों से ये नीद सजती है।
तुमसे बिछड़कर भी ज़िंदा हैं, दास्ताँ हमारी इन फ़िज़ाओं में ज़िंदा है।
ना कोई शिकवा, ना शिकायत है, बस अधूरी मोहब्बत की दर्द भरी यादें है।
फिज़ा में बसी है तेरी ख़ुशबू, वो मेरी अधूरी मोहब्बत की दास्ताँ
एक अधूरी सी कहानी में, मैंने खुद को ही खो दिया।
हर धड़कन में तेरा नाम लिखा है, तेरे बिना भी अधूरा सा जी रहा हूँ, पर तुझसे मोहब्बत अब भी है।