दिल को तेरी ही आरजू दिल में बस तू ही तू
दिल को उसकी आरजू ने बर्बाद किया वो बेवफा था जिसको मैंने दिल दिया
जाने क्यों तेरीआरजू है अब तक दिल में तू क्यों है
तेरी आरजू ने दिल को बर्बाद किया फिर भी तू इस दिल से न गया
मत फना करो खुद को वफ़ा की आरजू में मोहबत्त में कीमत कुछ नहीं वफ़ा की
आरजू मोहबत्त की तन्हा कर देती है भरी महफ़िल में रुस्वा कर देती है
जिसकी आरजू ने बैचैन किया सुक्रिया रब तूने उससे मिला दिया
आरजू उसकी मेरी तलब बन गई
दिल धड़कता है तेरे नाम से इस कदर तेरी आरजू की दिल ने
हमको न था किसी बात का गम तिरि आरजू में तबाह हुए हम
तुम आरजू तुम बंदगी तुम ही जिंदगी बन गए हो