“स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है” मैं इसे लेकर रहूंगा  तिलक की यह गर्जना, हर भारतीय के दिल में क्रांति भर गई।

“धर्म केवल पूजा नहीं, धर्म है कर्तव्य, राष्ट्रभक्ति और बलिदान।” – लोकमान्य तिलक

“जो लोग शक्ति का प्रयोग नहीं करना जानते, उन्हें अन्याय  सहने की आदत पड़ जाती है।” लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक

“देश का भविष्य उन युवाओं पर निर्भर है, जो अन्याय के विरुद्ध उठ खड़े होते हैं।” लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक

“शिक्षा से बड़ा कोई हथियार नहीं, जिससे राष्ट्र को बदला जा सकता है।” लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक

“अगर देश को मजबूत बनाना है, तो हर नागरिक को स्वराज का मतलब समझना होगा।” लोकमान्य तिलक

“राजनीति अगर नैतिकता से अलग हो जाए, तो समाज में अराजकता जन्म लेती है।”  लोकमान्य तिलक

“जो अपने देश से प्रेम नहीं करता, वो किसी से सच्चा प्रेम कर ही नहीं सकता।” लोकमान्य तिलक

“स्वराज का अर्थ केवल शासन नहीं, बल्कि जिम्मेदारी, आत्मबल और आत्मसम्मान है।” लोकमान्य तिलक

“ज्ञान बांटना सबसे बड़ा राष्ट्रधर्म है।” तिलक

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“अगर विचारों में आग हो, तो तलवार की ज़रूरत नहीं पड़ती। हर युवा के मन में उठे विचार, ही असली क्रांति का बीज होते हैं।” – लोकमान्य तिलक

“हमें ऐसी आज़ादी चाहिए, जो हर गरीब को अधिकार दे, हर स्त्री को सम्मान दे, और हर युवा को अवसर दे।” लोकमान्य तिलक

“सच्चे संघर्ष से ही आत्मबल जागता है, और आत्मबल से ही क्रांति आती है।” लोकमान्य तिलक