ना झुके थे, ना रुके थे बस तिरंगे को ऊँचा करने निकले थे
तिरंगे को जब ओढ़ा था तो जीवन का अर्थ मिल गया जिसने जान दी भारत के लिए वो अमर होगया
आज जो खुलकर हम मुस्कुरा रहे हैं किसी वीर की कुर्बानी रंग लाई है
कभी मिट्टी को चूम लिया कभी सीने पे खाई गोलियां जय हिंद
कभी फांसी पे लटक गए कभी गोलियों से छलनी हुए फिर भी ना डरे वो शेर जो देश के लिए मर मिटे
हर गली में गूंजता है शहीदों का जयकार 15 अगस्त है गवाही उन बलिदानों का उपहार
हम सिर झुकाते हैं🙏🙏 उन नामों के आगे जो किताबों में नहीं बल्कि भारत की मिट्टी में हमेशा के लिए दर्ज हो गए
जिसने भारत माँ के चरणों में जीवन वार दिया वो नाम अमर हो गया