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जिस प्रकार घुप अँधेरे से लड़ने के लिए थोड सा उजाला काफी होता है ठीक इसी तरह जिन्दगी मेंबुराई से लड़ने के लिए सत्य क्र मार्ग पर चलना काफी है
सुविचार
कोई है कलाकार जिसने प्रकृति में अनुपम छटा बिखेर दी है
हमारी अंदर की प्रकृति को सुधार की जरूरत है अंदर की प्रकृति काम, क्रोध मोह हैं अंदर की प्रकति सुधरेगी तभी बाहर की प्रकृति को सवांर सकेंगे