*हम मिट्टी से बने हैं, मगर सोच फ़ौलाद जैसी रखते हैं।*

*शराफ़त हमारी पहचान है, मगर आँखों में चिंगारी  रखते हैं।*

*हमारी चुप्पी को कमजोरी मत समझना, यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।*

*जो हमें आजमाते हैं, अक्सर हार जाते हैं।*

हम अपनी नज़रों में खास हैं, बाक़ी तो बस राय रखते हैं।

हमने दर्द को भी मुस्कराहट से निभाया है।

हम झुकते हैं अदब में, वरना झुकाना हमें भी आता है।

तेवर दिखाने नहीं पड़ते, हमारी खामोशी ही काफ़ी है

रॉयल अंदाज़ में जीते हैं, शराफ़त  का ताज पहनते हैं

हम वही हैं जो हर हाल में मुस्कुराते हैं, पर ज़रूरत पड़ी तो आग  बन जाते हैं।

लोग हमारी ख़ामोशी को गुरूर समझते हैं,

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शराफ़त ओढ़े हैं इसलिए खामोश हैं, वरना बात तेरी औकात की होती।