तेरी हँसी में जो सुकून था, वो किसी जन्नत से कम न था।
तेरे कंधे पर सिर रख कर, वक्त को रुकते देखा था।
हम साथ थे तो हर शाम गुलाब लगती थी, अब यादों में कांटे चुभते हैं।
तेरे स्पर्श में वो जादू था, हर लम्हा जैसे खुदा की नेमत हो।
तू पास हो या ना हो, वो लम्हे हर सांस में ज़िंदा हैं।