साहिबजादों का बलिदान, अमर कर गया नाम। देशभक्ति और धर्म की, दी सर्वोच्च सम्मान

चार नन्हे शेर, गुरु गोबिंद सिंह के लाल, धर्म की रक्षा के लिए, बने बलिदान के मिशाल

सरहिंद की ठंडी दीवारें भी कांप उठी थीं, जब साहिबजादों ने धर्म के लिए प्राण दिए।

धर्म की खातिर जीना, धर्म की खातिर मरना, साहिबजादों से हमने सीखा   सत्य के लिए मरना ।

साहिबजादा अजीत सिंह की वीरता को नमन, युद्धभूमि में शेर की तरह लड़ते रहे बाँध के कफन

साहिबजादा जुझार सिंह की वीरता का गुणगान, कम उम्र में ही दे दिया  महान बलिदान।

ज़ोरावर और फतेह की चीखें, आज भी गूंजती हैं इतिहास की दीवारों में।

धर्म को बचाने की लगन,और चाह  साहिबजादों ने दुनिया को दिखाई राह।

वीरता, त्याग, और धर्म का सम्मान,  साहिबजादे  हैं हमारी शान

हर साल 26 दिसंबर को, साहिबजादों के बलिदान को याद करने का दिन।

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साहिबजादों की वीरता को अपनाओ, सच्चाई और धर्म की राह पर ]अपनाओ

आज वीर बाल दिवस पर लें यह प्रण, धर्म और सच्चाई के लिए हमेशा खड़े रहेंगे।