मेरी आखों में दुब जाने की बात मत कर              तैराक अच्छा है तो रूह में  उतर

डूब गए जिस्म पर मिटने वाले     तैर जाते हैं रूह में डूबने वाले

तुम्हारी मोहबत्त और तुम  नजरों में कहाँ समाते हो   तुम मेरी रूह में   समाते हो

जिस्म में समाने वाले  भुलाए जाते हैं      रूह में बसने वाले कहाँ भुलाए जाते हैं

जिंदगी   भर तुझे   भुलाते रहे           तुम मेरे रूह में  समाते रहे

जब भी इश्क़ हुआ  तुजसे बेपनाह हुआ    मुद्द्त हुई  रूह से जुदा न हुआ

बात जिस्म की होती तो  कब के भूल जाते         बात रूह की है  भुलाए नहीं जाते

इश्क रूह से हो जाती है जिसको   मत पूछो   दूँ गुजरते  हैं कैसे

रूह का रूह से जब मिलन होता है  फिर  क्या दूर क्या पास से होता है

तुम्हारी खता  काबिल ए माफ़ी नहीं  रूह में उतरने से पहले तुमने  इजाजत ली नहीं

दुनियां वाले  पुसचते हैं तुझसे रिश्ता क्या है      कैसे समझाऊं उन्हें की रूह का रिश्ता है

रूह में जो न उतरे वो भला इश्क क्या है     फिर मोहबत्त नहीं  जिस्म की कशिश महज है