महान  लेखक मुंशी  प्रेमचन्द्र  के अनमोल  विचार

"न्याय और नीति सब लक्ष्मी के ही खिलौने हैं। वह जैसा चाहती है नचाती है।"मुंशी प्रेमचन्द्र

"बुढ़ापा तृष्णा रोग का अंतिम समय है, जब संपूर्ण इच्छाएं एक ही केंद्र पर आ लगती हैं।"मुंशी प्रेमचन्द्र

"दुखियारों को हमदर्दी के आंसू भी कम प्यारे नहीं होते।"मुंशी प्रेमचन्द्र

"चापलूसी का ज़हरीला प्याला आपको तब तक नुकसान नहीं पहुंचा सकता, जब तक कि आपके कान उसे अमृत समझकर पी न जाएं।"मुंशी प्रेमचन्द्र

"यश त्याग से मिलता है, धोखे से नहीं।"मुंशी प्रेमचन्द्र

"धर्म सेवा का नाम है, लूट और कत्ल का नहीं।"मुंशी प्रेमचन्द्र

"ख़तरा हमारी छिपी हुई हिम्मतों की कुंजी है। खतरे में पड़कर हम भय की सीमाओं से आगे बढ़ जाते हैं।"मुंशी प्रेमचन्द्र

"दौलतमंद आदमी को जो सम्मान मिलता है, वह उसका नहीं, उसकी दौलत का सम्मान है।"मुंशी प्रेमचंद

"सौभाग्य उसी को प्राप्त होता है, जो अपने कर्तव्य पथ पर अडिग रहते हैं।"मुंशी प्रेमचंद

"विपत्ति से बढ़कर अनुभव सिखाने वाला कोई भी विद्यालय आज तक नहीं हुआ।"मुंशी प्रेमचंद

और जानिये

"उपहास और विरोध तो किसी भी सुधारक के लिए पुरस्कार जैसे हैं।""मुंशी प्रेमचंद