मैं मुसाफिर सा चलता रहा तेरी तरफ  तू  बेखबर  ही रहा  मुझसे बेगानों की तरह

मैं मुसाफिर हूँ तेरा तू मंजिल है मेरी     सोचता  ये मंजिल कब होगी मेरी

जिन्दगी  और आसान हो जाती  सफर मैं अगर हम दो मुसाफिर होते

तेरी हसरत के रास्ते हैं मेरे  मैं मुसाफिर हूँ  तू मंजिल मेरी

जाने कब मिलेगी मंजिल  मेरी    मैं सफर में हूँ  मुसाफिर की तरह

जाने कब मिलेगी मंजिल  मेरी    मैं सफर में हूँ  मुसाफिर की तरह

तेरी मोहबत्त मेरी मंजिल है     थक गया हूँ   बन गया मुसाफिर मैं

मेरी मंजिल इतनी भी नामुमकिन नही थी  अगर  इस मुसाफिर को  तेरा  सहारा होता

मैं तलास में हूँ  मुसाफिर सा      मंजिल तेरी मोहबत्त है मेरी

मैं थक गया हूँ  तेरी मोहबत्त की राहों में   बन के रह गया  मुसाफिर  बनके सफर में

मेरा इम्तिहान मत ले  जालिम  मोहबत्त में  मैं  मुसाफिर हूँ  मोहबत्त  का  मुझे लगा ले सीने से

उसकी जुल्फों  की चाह में जाने  कितने मुसाफिर बन गए होंगे   जाने तेरी चाहत में  कितने  मुसाफिर फना होंगे

मुसाफिर हूँ तेरी राहे मोहबत्त का   तेरी जुल्फुं की  छांव  में  शाम   हो तो अच्छा