कभी मजबूरी तो कभी बेवफाई से मजबूर हुई मोहबत्त हर हाल में तन्हा रह गई
ऐसी भी क्या मजबूरी थी जो तुझे हमसे दूर ले गई ??
लोग चले जाते हैं मजबूरी का बहाना बनाकर क्युकी उनको आखिर जाना ही होता है
जाने क्यूँ लोग इतना पास आते हैं अपना बनाकर मजबूरी का बहाना बनाते हैं
दिल क्यूँ इतना मजबूर हो रहा है पल पल तुझसे मिलने को दिल मचल रहा है
कोई दूर जा रहा है मजबूरी का बहाना बनाकर तो उसे जाने दो प्यार मजबूरी में नही पनपता
तुम मुझसे दूर जाने को मजबूर थे हम तुझे याद करने को मजबूर हैं
तेरी खुसी के लिए दूर हो रहे हैं मोहबत्त के लिए मजबूर हो रहे हैं
मजबूर नही होती मोहबत्त कभी दिल मोहबत्त में कभी भूलता नही
दिल तुझसे मोहबत्त को ,मजबूर कर रहा है यूँ समझो दिल सिर्फ तेरी तमन्ना कर रहा है