एक वक़्त था, बातों से दिल नहीं भरता था, अब वही दिल एक बात के लिए तरसता है।

दूरियाँ कुछ इस क़दर बढ़ीं दरमियाँ हमारे, मुद्दत हुई उसकी आवाज़ सुने हुए।

बातें बंद होना, इश्क़ का अंत नहीं होता... पर ये बताता है कि अब ज़रूरतें भी बदल चुकी हैं।

तू बात नहीं करता, पर मेरा दिल अब भी तेरे "last seen" पर रुक जाता है।

कुछ रिश्ते बेमौत मर जाते हैं, जब दोनों एक-दूसरे से बात करना छोड़ देते हैं।

अब न वो बात करता है, न मैं शिकायत...

बात ना करके भी तू हर रोज़ रुलाता है, तेरी ये चुप्पी मेरे सारे जवाब छीन लेती है।

ख़ामोशियाँ कभी-कभी शोर से ज़्यादा तोड़ देती हैं...

तेरे "online" आने पर अब दिल नहीं धड़कता, क्योंकि अब तू "typing..." में भी मेरा नाम नहीं लिखता।

तेरे शब्दों से नहीं, तेरी चुप्पी से तड़पते हैं।

तेरा यूँ खामोश हो जाना, सब कुछ कह गया…

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