बेकरारी ही बेकरारी है कमबख्त मोहबत्त में   चैन और सुकून  मिलता नही कभी

बेकरारी ही बेकरारी है कमबख्त मोहबत्त में   चैन और सुकून  मिलता नही कभी

कहीं से अगर तू आए   मेरे बैचेन दिल को करार आए

दिल जब भी उदास होता है  तेरे गले से लग के करार आता है

नजरे मिलाकर  मोहबत्त से इंकार मत कर  मेरे रकीब मुझको बेकरार न कर

तुझ बिन दीवाने से  बिकरार रहते हैं     तुझसे  मिलके करार आता है

मिरी नजर को तेरा इंतजार रहता है  हर घड़ी मिलने को बेकरार रहता है

ए दिल  ए बेकरार  बता तुझे  है किसका इंतजार

घडी मिलन की करीब आरही है  बेकरारी दिल की बढती जा रही है

तू आजा किसी बहाने से     ये बेकरारी  जाएगी तेरे आने से

मेरी बेकरारी का सबब सब पूछते हैं   रोग इश्क का लग गया लोग कहते हैं

जाने कब मेरी बेकरारी जाएगी  जाने कब मुझे सकूं की नीद आएगी

न दिल को चैन आया  न  दिल को करार    जब से कमबख्त इश्क हुआ  दिल रहता है बेकरार