नदियों पर गहराता संकट

दोस्तों नदी हमारी जीवन  दायिनी   होती है  आज   हमने अपनी नदियों में ओद्योगिक  अपशिष्ट पदार्थ डालकर  नष्ट होने की कगार पर पहुंचा दिया है

कृषि के अनुचित गतिविधियां और हानिकारक रसायन डालकर हमने अपनी नदियों को  मैला ही नही उसमे रहने वाले जीवों को नष्ट किया है

हमने  अपनी धरती से जंगल  खत्म कर दिए हैं जिससे प्राक्रतिक वारिश नही होती  तो नदियाँ भी प्राक्रतिक रूप से स्वच्छ नही रहती

हम  नदियों को पूज्यनीय मानते हैं , और उसमें पूजा सामग्री डालकर तथा उसमे साबुन से स्नान करते हैं  जो की सिर्फ अंधविश्वास है नदी को निर्मल रखिये

हम  अपनी नदियों में  घरेलू अपशिष्ट पदार्थ डालते है जेसे की सीवर का पानी ,

हम अपनी नदियों में  खुद गंदगी करते हैं जेसे की - जानवरों को नहलाना नदिया के पास घरेलू बर्तनों का धोना

नदिया के पास धोबी घाट बनाना।

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क्या आप जानते हैं हमारी सबसे पवित्र नदी माँ गंगा  जो की हिमालय की जड़ी बूटियों से निर्मित है , आज उसके तटों पर  अनगिनत फैक्ट्री से निकला विषैले पदार्थों से  प्रदूषित है और सरकारें हाथ पर हाथ धरे बैठी हैं |

दोस्तों आज  बात इस हद तक बढ़ चुकी है  की गंगा को सबसे प्रदूषित नदी की श्रेणी में रखा गया है

आज स्वर्ग से सभी देव और भगीरथ रहे हैं पूछ  क्या इसी दिन के लिए लाए थे   कठिन तपस्या कर  गंगा को धरती पर ??

जागो हे ! मनुष्य मानवता  को ज़िंदा कर  अपनी जीवन दायिनी नदियों  को न अनदेखा कर