तलाश
तलाश
भटक रहे हैं उसकी तलाश में दर बदर जाने वो दिल का सुकून खो गया किधर
आज भी दिल को तेरी चाह है , इन निगाहों को बस तिरि तलाश है
उनकी तलाश करती है मेरी नजर जो बदल गए हैं मेरा वक्त देख कर
मनुष्य का मन सुकून की तलास इस तरह भटकता है जैसे कस्तुरी की तलाश में हिरन भटकता है
तलाश उस मृग्त्रष्णा का नाम है जो भटकाती रहती है कभी खत्म नही होती है
उसकी तलाश में आज भी मन भटकता है जेसे कोई आवारा फिरता है
कभी तो खत्म होगी ये तलाश कभी तो मिटेगी दिल की प्यास
कभी तो खत्म होगी ये तलाश कभी तो मिटेगी दिल की प्यास kabhee to khatm hogee ye talaash kabhee to mitegee dil kee pyaa
नजरों को जिसकी तलाश है मेरी नजर में वो बेहद खास है