तन्हा  सफर   बेहतर  है बहुत दर्द देते  हैं लोग हमसफर बनकर

मुमकिन  है  यूँ तन्हा   हम तन्हा टूट कर  बिखर जाएं फिर  भी तेरे रूबरू होने की ख्वाइश क्यों की जाए

बेगानों की बस्ती  में अपनों की तलास  करता है कितना पागल दिल है बेकार की बात करता है

चल  ए मेरे दिल    तन्हाई में बात करते हैं महफिल  की तलास  नही  मुझको अरसा  हुआ  खुद  से  बिछड़े  मुझको

तू अब  मिल भी जाए  मुझे न कोई गम  न खुसी  होगी मुझे अजनबी  की तरह   पेश आएँगे तुमसे

दुनियां की इस भीड़ में कोई अपना कहाँ है हर दिल  गमजदा हर दिल तन्हा है

बहुत   खुस हूँ तेरे  बगैर सीख लिया जीना तेरे बगैर

न तुम मिलते  न दिल टूटता न हमे तन्हाई से मोहबत्त होती