बिछड़ के भी तेरा ही ख्याल आता है हर शाम तन्हा कर जाता है
तेरी यादों की ख़ामोशी में शोर होता है दिल खामोशी में तेरा ही नाम लेता है
वो लौट के नहीं आएगा ये मालूम है फिर भी दिल को उसी का इंतजार है
ना जाने क्यूं उस चेहरे को भूल नहीं पाता हर अक्स में बस वही नजर आता
कभी सोचा था तुझसे दूर रह पाएंगे फिर सोचते हैं कैसे खुद को समझाएंगे
हर रिश्ता वक्त से हार जाता है जब भरोसा टूट जाए सब खत्म हो जाता है
अब बात भी नहीं करते पर ख्याल अब भी तेरा ही आता है
तेरे बिना जो गुज़री वो रात थी या सज़ा दिल ही दिल में टूटते रहे हर दफ़ा
मोहब्बत थी या कोई गुनाह हर रोज़ दिल सजा पाता है