“तेरी यादों की बारिश में मैं खुद को भिगोता हूँ, आखिर क्यूँ मोहबत्त कर बैठे सोचता हूँ
“दिल के जख्मों को मैं कैसे छुपाऊँ, तेरे बिना दिल को कैसे मझाऊँ।”
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“दिल के जख्म अब गहरे हो गए हैं, तेरे बिना हम , बस सिसकियों में खो गए हैं।