जुस्तजू   पर कुछ खबसूरत लफ्ज

आरजू ए इश्क की जुस्तजू ने दिल      को किसी काबिल न  छोड़ा   इस  इश्क  की जुस्तजू  ने सबका दिल तोड़ा

दिल  का सकूँ  तेरी जुस्तजू  में  जल रहा है      फिर भी दिल दीदार  की जुस्तजू में जी रहा है

बेखुदी में  हम इक गुनाह कर गए है   जो मेरा हो नही सकेगा उसकी जुस्तजू कर रहे हैं

हुए हैं दिल जाने कितने    बर्बाद  मोहबत्त की जुस्तजू में  हासिल कुछ भी नही   मोहबत्त की जुस्तजू में

इस  दिल को सूझता नही इक तेरे सिवा   काम कुछ नही दिल को तेरी जुस्तजू के सिवा

बता  मेरे दिल तेरी आरजू क्या है   उसकी जुस्तजू में  परेशान क्यों है

जिसकी जुस्तजूमें हमने सबकुछ भुला दिया         उसी ने ह्म्मको  भरी  दुनियां  में  तन्हा कर दिया

जिसकी जुस्तजूमें हमने सबकुछ भुला दिया         उसी ने ह्म्मको  भरी  दुनियां  में  तन्हा कर दिया

लबों की तबस्सुम  चुरा लेती है     आखों से  नीद चुरा लेती है       मत पूछ  हाल दिल  का   ये मोहबत्त की जुस्तजू  सबकुछ भुला देती है

जुस्तजूजिसकी थी  उसका मिलना मुमकिन नही    या तो वो मेरी किस्मत में नही या वो मेरे काबिल नही

भवरे की  जुस्तजूकी  इन्तिहाँ   मत पूछ   इश्क  में गुल के  पहलु में  जिन्दगी फना  होती है

क्यूँ दिल तू मुझे यूँ बर्बाद कर रहा है    किसी पत्थर दिल की  जुस्तजू कर रहा है