"करुणा से बड़ी कोई क्रांति नहीं!"
जो मूक हैं, उनका दुख समझना ही सच्ची मानवता है।
करुणा वहीं से शुरू होती है, जहाँ कोई मदद के लिए बोल नहीं सकता।
पशु पीड़ा को नजरअंदाज करना, इंसानियत से गद्दारी है।
पशु पीड़ा को नजरअंदाज करना, इंसानियत से गद्दारी है।
जिसे जानवरों का दर्द न दिखे, वो इंसान नहीं कहला सकता।
पशु हमारी भाषा नहीं समझते, लेकिन हमारी हिंसा जरूर महसूस करते हैं।
प्रेम सिर्फ इंप्रेम सिर्फ इंसानों के लिए नहीं होता, मूक प्राणियों के लिए भी होता है।
जिस समाज में जानवर सुरक्षित नहीं, वहाँ इंसानियत भी खतरे में है।
हर जानवर एक जीवन है – मूल्यवान, मासूम, और महत्वपूर्ण।