जिंदगी को कुछ  इस तरह  से जिया मैंने  भीड़  होकर भी खुद को तन्हा पाया मैंने

फूल मिले या काटे  जिंदगी को जियो मुस्कराते

जीने दो जिंदगी  उनको   सिर्फ तुम्हारा सहारा है इनको

जाने किस ख्याल में  उलझी है जिंदगी   हर तरफ  से  हमको आजमा रही जिंदगी

मैं मौजूद हूंफिर भी खो गयी जिंदगी      बेखुदी की राह चल पड़ी जिन्दगी