जय माँ कात्यानी🙏🙏

माँ कात्यानी का स्वरूप

नवरात्रि के छठे दिन भक्त माँ कात्यायनी की पूजा करते हैं। मां दुर्गा का यह रूप सिंह पर सवार है और उनके हाथों में दस हथियार हैं। उनकी तीन आंखें और एक आधा चंद्रमा उनके माथे पर  बिराजित है

माँ कात्यानी कथा

कथा इस प्रकार है   एक बार, ऋषि कात्यायन ने देवी पार्वती को अपनी बेटी के रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी। उनकी सच्ची भक्ति और प्रबल तपस्या के कारण, देवी दुर्गा ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उनकी बेटी कात्यायनी के रूप में जन्म लिया।

माँ कात्यानी का  ध्यान मंत्र  ॐ देवी कात्यायन्यै नमः🙏🙏॥

माँ कात्यानी का  प्रार्थना मंत्र  चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी

माँ कात्यानी का  \ स्तुति मंत्र  या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥🙏🙏

माँ कात्यानी का कवच मंत्र  कात्यायनौमुख पातु कां स्वाहास्वरूपिणी। ललाटे विजया पातु मालिनी नित्य सुन्दरी॥ कल्याणी हृदयम् पातु जया भगमालिनी॥

माँ कात्यायनी स्तोत्र –

विश्वाचितां,विश्वातीताकात्यायनसुतेनमोअस्तुते॥ कां बीजा, कां जपानंदकां बीज जप तोषिते। कां कां बीज जपदासक्ताकां कां सन्तुता॥ कांकारहíषणीकां धनदाधनमासना। कां बीज जपकारिणीकां बीज तप मानसा॥ कां कारिणी कां मूत्रपूजिताकां बीज धारिणी। कां कीं कूंकै क:ठ:छ:स्वाहारूपणी॥

कंचनाभां कराभयंपदमधरामुकुटोज्वलां। स्मेरमुखीशिवपत्नीकात्यायनसुतेनमोअस्तुते॥ पटाम्बरपरिधानांनानालंकारभूषितां। सिंहास्थितांपदमहस्तांकात्यायनसुतेनमोअस्तुते॥ परमदंदमयीदेवि परब्रह्म परमात्मा। परमशक्ति,परमभक्ति्कात्यायनसुतेनमोअस्तुते॥ विश्वकर्ती,विश्वभर्ती,विश्वहर्ती,विश्वप्रीता

माँ कात्यायनी की महिमा

पुराणों में  कथा आती है  की भगवान श्री कृष्ण की क्रीड़ा भूमि श्रीधाम वृन्दावन में भगवती देवी के केश गिरे थे, । ब्रह्म वैवर्त पुराण एवं आद्या स्तोत्र आदि कई स्थानों पर उल्लेख है- व्रजे कात्यायनी परा अर्थात वृन्दावन स्थित पीठ में ब्रह्मशक्ति महामाया श्री माता कात्यायनी के नाम से प्रसिद्ध है

माँ कात्यायनी की   पूजा  की महिमा  भगवती कात्यायनी का ध्यान, स्तोत्र और कवच के जाप करने से आज्ञाचक्र जाग्रत होता है। इससे रोग, शोक, संताप, भय से मुक्ति मिलती है

माँ कात्यायनी  बीज मंत्र ॐ ह्रीं नम:।। ॐ देवी कात्यायन्यै नमः

माँ कात्यायनी की आरती

जय-जय अम्बे जय कात्यायनी जय जगमाता जग की महारानी बैजनाथ स्थान तुम्हारा वहा वरदाती नाम पुकारा कई नाम है कई धाम है यह स्थान भी तो सुखधाम है हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी कही योगेश्वरी महिमा न्यारी

हर जगह उत्सव होते रहते हर मंदिर में भगत हैं कहते कत्यानी रक्षक काया की ग्रंथि काटे मोह माया की झूठे मोह से छुडाने वाली अपना नाम जपाने वाली बृहस्पतिवार को पूजा करिए ध्यान कात्यायनी का धरिए हर संकट को दूर करेगी भंडारे भरपूर करेगी जो भी मां को 'चमन' पुकारे कात्यायनी सब कष्ट निवारे।