उन लम्हों की टीस आज भी दिल में है... जो गुज़र गए... मगर  तेरे  बिना।

तन्हाई की रातों में, तेरी यादें सबसे ज़्यादा रुलाती  हैं।

हर तस्वीर में एक लम्हा कैद है, मगर  एहसास अब कहीं  खो गए है।

मौसम लौट आते हैं, मगर वो वक़्त नहीं जो  गुजर गया

ना शिकायत है तुझसे, बस अफ़सोस है  जो समझा  था वो , तू नहीं था।

गुज़रे वक़्त की परछाइयाँ आज भी धूप सी जलाती हैं।

हम आज भी वहीं हैं, जहाँ से तुम  छोड़ गए थे।

बीते लम्हे... अब सिर्फ यादों में  हैं।

तेरी मुस्कान की जगह, अब  मिरि ख़ामोशी ने ले ली ।

जी तो रहे हैं आज भी तारे बग़ैर, मगर जिंदा होने का अहसास नहीं है...

वो हँसी लम्हे, अब साया बन कर, हर रात दिल के पास रोते हैं...

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हर गुज़री बात बन गई दास्तां, जिन्हें हम अब खामोशी में जीते...