ना सवाल थे, ना जवाब मिले, बस एहसासों के बीच खामोश लम्हें चले।
एहसास की परछाइयों में तू आज भी है, वक्त के हर मोड़ पर बस तेरी कमी है।
तेरा छूना भी जैसे कविता बन गया, एहसास बनके दिल में उतर गया।
शब्द कम थे, जज़्बात बहुत, तेरे एहसास में ही छुपे थे सब सबक़।
लफ्ज़ों में वो बात कभी ना कह पाए, एहसास ही थे जो सब कुछ कह गए
बारिश की बूंदें भी तेरी याद दिला गईं, तेरे एहसास में भीग कर रूह तक भीग गईं।
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