इश्क मोहबत्त  पर शायरी

इक  बार फिर मिलना है मुझे  इश्क मुक़्क़मल करना है मुझे

इश्क़  का दर्द   ब्यान  नहीं होती  इस दर्द  की  कोई  जुबान  नहीं होती

वो कलम  कहाँ से लाऊँ  जिससे इश्क़ का दर्द लिख पाऊं

इश्क की दास्तान अधूरी रह गई  मोहबत्त   कभी  मुक्कमल न हुई

कितना भी छुपाए  छिपाए नहीं छुपता  खशबू    इश्क़  की  महकती जरूर है

सम्भल कर रखना कदम इश्क़ की गलियों में  बैठे हैं नकाब  पहने शरीफों के 💘💘

REED  MORE SHAYARI

न दवा काम आती है न कोई दुआ  सबकुछ बेअसर  है जब से कमबख्त इश्क़ हुआ

दर्द से तदप उठते है  बेवफाई से तेरी  अधूरी  रह गई इश्क की  कहानी मेरी

बिखर गये हैं  उसके इश्क में कांच की तरह  चाहा था जिसे हमने जिन्दगी की तरह  💔💔

अब मोहब्बत  क्या होती है  उसे भला हम  उसे क्या समझाएं  उसने जिश्म की चाहत में   जाने कितने दिल जलाए

ये इश्क़ भी न अजब है इसमें  इंसान  अँधा  बहरा हो जाता है