मोहबत्त का इजहार

तू इजहार  कर या न कर  हमने पढ़ ली तेरी नजर        तेरे दीदार को  बैचैन रहती है  नजर

सारी जहाँ की खुसी  मुझे हासिल हो गयी   आज वो  मुझसे   इजहार ए  मोहबत्त कर गई

दुनियां भर की खुसी मुझे हासिल हो जाती हैं        जब जब  तेरी नजर मोहबत्त का इजहार करती है

मुझे तेरा मोहबत्त का इजहार याद आता है       तुझसे जुदाई का दर्द अब सहा नहीं जाता है

मुझे आज भी है  इन्तजार  उनके इजहार ए मोहबत्त का      जाने   ह कहाँ गया हमें  तन्हा छोड़ के वो बेवफा

धोखा खा गया दिल मेरा तेरे इजहार  से           तू फरेबी  बेवफा  निकला प्यार में

धोखा खा गया दिल मेरा तेरे इजहार  से           तू फरेबी  बेवफा  निकला प्यार में

अलफाज       लिखूं  या ख्वाब लिखूं                          तेरी अंदाज ए महोंबत्त को क्या कहूं                          तुम लफ्ज लफ्ज  इजहार करते गए                             हम बर्फ बर्फ बन पिघलते गए

हम दामन छुड़ाएं भी तो गोया किससे          रूह  तो  जन्मों  तलक   इजहार         ए महोबत्त  कर गई  उनसे

भरी महफ़िल मे वो इजहारे महोंबत्त कर गए     महफ़िल  मे कई दिवाने उनकी    दिवानगी के कायल हो गए

आज उसने फूल देकर   प्यार का इजहार कर  दिया                सच पूछो  आज उसने  हमको दीवाना कर दिया

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कुछ तो पागल  हम उसकी मोहब्बत में हैं   कुछ उनके इजहार करने की अदा से

सच्ची मोहब्बत में न इजहार होता है  ना इकरार होता है बस प्यार बेशुमार होता है