सातवे दिन होगी माँकालरात्रि की पूजा
मां कालरात्रि का स्वरूप
मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, इनका वर्ण अंधकार की भाँति काला है, केश बिखरे हुए हैं, कंठ में विद्युत की चमक वाली माला है, माँ कालरात्रि के तीन नेत्र ब्रह्माण्ड की तरह विशाल व गोल हैं, जिनमें से बिजली की भाँति किरणें निकलती रहती हैं, इनकी नासिका से श्वास तथा निःश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालायें निकलती रहती हैं. माँ का यह भय उत्पन्न करने वाला स्वरूप केवल पापियों का नाश करने के लिए.
माँकालरात्रि की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार रक्त बीज नाम का एक दैत्य था जिसने न केवल मनुष्य बल्कि देवताओं के जीवन को भी संकट में डाल रखा था। रक्त बीज को वरदान प्राप्त था की उसके रक्त की बूंद धरती पर गिरते ही उसके जैसा ही एक और दानव पैदा हो जाएगा। देवता इस बात से बहुत दुखी थे।
कालरात्रि आरती जय-जय-महाकाली। काल के मुह से बचाने वाली दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा। महाचंडी तेरा अवतार।। पृथ्वी और आकाश पे सारा। महाकाली है तेरा पसारा। खडग खप्पर रखने वाली। दुष्टों का लहू चखने वाली।। कलकत्ता स्थान तुम्हारा। सब जगह देखूं तेरा नजारा।
माँकालरात्रि की पूजा का महत्व
माँकालरात्रि की दया आप सभी पर सदा बनी रहे भक्तो जय माता दी🙏🙏