DHOKHA SHAYARI | DHOKHA SHAYARI IN HINDI हेल्लो दोस्तो यूँ तो धोखे जिन्दगी में इंसान इक दुसरे को देता आया है कभी लोभ वश तो कभी व्यापार में लाभ वश इन धोखों से इन्सान एक दुसरे से रिश्ता खत्म कर देते हैं | परन्तु मोहब्बत . इश्क्, प्यार , वफा , में जब किसी को अपने प्रेमी , या प्रेमिका से धोखा मिलता है | तो इंसान इस धोखे से ता उम्र नही उबर पाता क्युकी मोहबत्त की पहली और आखरी शर्त ऐतवार है , वहीं ये ऐतवार धोखे से टूट जाता है , फिर आजकल तो मोहब्बत का मतलब ही धोखा है , मोहबत्त में धोखा खाया दिल मोहब्बत के नाम से भागता है फिर उसे सभी लडके लडकियाँ धोखेबाज नजर आते हैं ,वैसे भी मोहब्बत का दुसरा नाम धोखा ही है , आज मैं अपने ब्लॉग dard ejazbaat, में आपके लिए धोखे में भरोसा तोड़ने से दिल टूटने का दर्द DHOKHA SHAYARI, या DHOKHASHAYARI IN HINDIलाइ हूँ ये आपको जरुर पसंद आएंगी जिसने भी आपको dhokha दिया है उन्हें जरुर भेजें आइए सुरु करते हैं
dokhaa shayari in hindi main 2 line
धोखा देना तो फितरत थी उसकी
हम ही नादाँ थे फितरत से अनजान थे उसकी
2 किसी को मोहब्बत में सकूं आया नही
जब खाया धोखा तब हमे आया यकीन
आज अहसास हुआ हमे धोखा तुमने नही दिया
तुम पर भरोसा कर के मैंने खुद को धोखा ददिया
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4-
इक अरसा हुआ उससे बिछड़े हुए हमे
अब भी उसकी मोहब्बत का धोखा याद है हमे
5–इक बात पूछनी थी तुमसे
तुमसे मोहब्बत कर हमने तो धोखा खाया
हमको धोखा देकर तुमने क्या पाया
DHOKHA SHAYARI 4 LINE
6
एक बात कहूँ कभी किसी से मन भर जाए
तो उसे साफ़ साफ़ बता देना
पर भूल के भी बेपनाह चाहने वाले को
धोखा मत देना
7
मिरे जज्बात मिरे दर्द एदिल का
तमाशा बना कर
शायद तुझे अंदाज़ा नही
तूने क्या खो दिया मुझे धोखा देकर
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8
ओ आया मोहबत्त का इजहार किया
जब उसका मन भर गया
वो धोखा देकर चला गया
9—
कभी किसी को इतना मत चाहो
कल गर चला जाए धोखा देकर
जी नही पाओ उससे जुदा होकर
10
हद से ज्यादा चाहोगे
हद से ज्यादा धोखे खाओगे
11
दिल तो करता है फिर तुझसे मोहब्बत करूं
तेरी तरह धोखा देकर तुझे बर्बाद करूं
बात मेरे साफ़ दिल की है इसका क्या करूं
तेरी तरह धोखेबाज़ केसे बनू कैसे तुझे बर्बाद करूं
12
बहुत दर्द हुआ तेरे दिए हुए मोहब्बत में धोखे से
नफरत हो गयी अब मोहब्बत के नाम से
13
ये मेरे दिल और मुझे बर्बाद न कर
मुझे जीने दे उस धोखेबाज़ को याद न कर
14
मौत आजाए तो इक बार में मरते हैं
धोकेबाज़ से मोहबत्त कर जीते जी मरते हैं
15
तेर्रे सारे गुनाह माफ़ करता खुदा
अगर तूने मुझे मोहब्बत में धोखा धोखा न दिया होता
16
कर बैठा मोहबत्त दिल धोकेबाज़ सनम से
मुद्दत हुई उबरा नही धोखे के गम से
17
भूल जाने की भुत कोशिस की हमने
पल भर भी धोकेबाज़ निकला नही दिल से
18
इक बार धोखा देकर भी उसे चैन नही आता
अब तक मेरे दिल में रहता है बेखौफ
19
दासता कुछ अपनी उलझी हुई है
उलझन दिलकी सुलझती ही नही है
आखिर दिल करे भी तो क्या करे
मोहब्बत के धोखे भूलते ही नही
20
दोखेबाज़ों के लिए सजा मुक्कर्र की जाए
इन्हें सजाए उम्र भर इश्क की आग में जलाया जाए
21
जलाकर दिल मेरा वो बहुत चैन से सोता है
उसे क्या खबर मोहब्बत में धोखा खाकर
कोई दिन रात कितना रोता है
२२–
आखों से बहते हुए अश्क सबको दीखते हैं
दिल पर धोखे के जख्म भला किसे दीखते हैं 23
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इन्साफ तो होगा जरुर होगा
जिसके लिए तूने मुझे छोड़ा
दुआ है वो तेरी तरह तुझे देगा धोखा
उस पल तुझे मेरे दर्द का अहसास होगा
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24-
धोखे में मत रहना उनके जो पेश आते हैं मोहबत्त से
जताकर मोहबत्त पल भर को चले जाते हैं जिन्दगी से
25-
उस धोखेबाज के धोखे से दिल इस तरह टुटा
फिर कभी किसी की बात का यकी नही होता