100 +desh bhakti shayari / देश भक्ति शायरी देश भक्तों के देशभक्ति पर सुविचार 2023
देश प्रेम यानी अपनी जन्म भूमि से प्रेम को शब्दों में ब्यान नहीं किया जा सकता। कौन है जिसका दिल अपने देश के प्यार में न धड़कता हो या यूँ कहें की अपने देश के प्रति सर श्रद्धा से न झुकता हो , देश से प्रेम सर्वोपरि है, आज देश के प्रति प्रेम पर में, अपनी लिखित कुछ देश भक्ति शायरी और , महान देश भक्तों के उच्च विचार लाइ हूँ महापुरुषों ने देश के प्रति उच्च विचारों जिया है ,इसलिए उनके विचारों को हमें आत्मसात करना चाहिए ,
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100+Desh Bhakti Shayari/देश भक्ति शायरी देश भक्तों के सुविचार2023
कवि गया प्रसाद शुक्ल ‘सनेही की पंक्तियाँ, –
जो भरा नहीं है भावों से,
बहती जिसमें रस-धार नहीं।
वह हृदय नहीं है पत्थर है,
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं -कवि गया प्रसाद शुक् ‘सनेही
1-
देश हमारा जग से न्यारा,
मुझको अपनी जान से प्यारा
आओ देश को मिलकर सवारें,
देश पर अपना तन मन वारें||
2-
“ए वतन तेरे चरणों में
जन्मों जन्म जान लुटाते रहें
खुसियाँ हर पल मुसकाएं
खेत हमेशा लहराते रहें”
3-
” हे ❕ जननी जन्म भूमि
तेरे सपूत तुझ पर जो मिट गए
कुछ का नाम तो याद हमें है
कुछ तेरे कदमों मे गुप्त दान कर गए “
4-
“अडिग रहो तुम देश के हित में
जैसे गिरिराज सा ताज है
देश के रखवालों तुम पर
भारत माँ को नाज है ”
5-
“हिन्दुस्तान की माटी बीरों की थाती है
जाने इस देश के लिए कितने बीरों ने
जान की बाजी लगा दी है”
6-
“जैसे हवा से खुशबूदिशा दिशा
महकाती है
एसे मेरे वतन की माटी
शांति एकता का पैगाम फैलाती है”
7-
“जय हे ! जन्म भूमि करू अभिनंदन
तन मन तुझपर न्यौछायावर
जब जब तेरी माटी पुकारे करू
तुझपर तन मन धन न्यौछायावर”
8-
“एक हैं हम सब एक
हमारा संबिधान है
भाषा धर्म क्षेत्र में मत बाटो
एक हमारा हिन्दोस्तां है”
9-
“मानवता हो धर्म हमारा सेवा ही हो कर्म
एसा एक इतिहास रचें मिट जाए सब मर्म
अन्याय के आगे कभी तुम मत झुकना
न्याय के पथिक तुम कभी न रुकना”
10-
“देश की मिटटी कहे पुकार
अगर तुमको है देश से प्यार
कर्तब्य तुम्हारा कर पुकार
देश हित के पथ पर चल के देस लो सवांर “
11-
“कर चलें कुछ एसा देश सफल बने अपना
ज्ञान विज्ञान में देश सबसे प्रथम हो अपना
देश पर मर मिटने गए जो शहीद
पूरा हो जाए उनका सपना”
12-
“देश की खातिर जो मिटते हैं
सदा अजर अमर होते हैं
काम आए जो जिन्दगी देश हित में
उसी को जिन्दगी कहते हैं “
13-
देश से हम प्यार करते हैं
जिंदगी अपनी देश पे निसार करते हैं
मिट जाएंगे मर जाएंगे देश की लिए
देश से बढ़कर कुछ नहीं हमारे लिए
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14-
वक़्त आने पर मेरे वतन दुनियां को दिखा देंगे
क्या होती है देश भक्ति शीस चढ़ा क्र बता देंगे
15-
मात्र भूमि की खातिर देश भक्तों की कुर्बानी मत भूलो
देश से बढ़कर कुछ और नहीं शहीदों से सीख लो
16-
अगर जिंदगी देश की सेवा में काम न आए
क्या मोल इस जीवनं का तुम जीवन क्या खाक जिए ??
17-
पूरब पशिचम उत्तर दक्षिण भारत के हर कोने से
बस एक ही गूंज उठे जय हिंद के नारों से
18-
मिटा सकता है भला कौन इस देश की शान
इसके खातिर हर पल रखते हैं हम हतेली पर जान
19-
इस देश की पावन भूमि को हम बार बार प्रणाम करें
आओ इसके खातिर जिए और मरें
20-
इस लहराते तिरंगे के आदि से अंत तक लहराने की आरजू है
इस देश की माटी मे जन्म लेने और फ़ना होने की जुस्तजू है
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21-
जय जन्म भूमि करू अभिनंदन तन मन तुझपर न्यौछायावर
जब जब तेरी माटी पुकारे करू तन मन धन न्यौछायावर
22-
छोरी ✔✔हम तेरे दीवाने नां हैं ✔✔
हम जिसके दीवाने हैं वो मेरी भारत माँ है
23-
इस दिल में मेरा देश बस्ता है
किसी फालतू बातों के लिए वक़्त कहाँ है ?
24-
तिरंगा से बढ़कर कोई रंग नही हमको प्यारा
अपना प्यारा तिरंगा सारे जहाँ से न्यारा
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25-
उन्हें यह फ़िक्र है हरदम, नयी तर्ज़-ए-ज़फ़ा क्या है?
हमें यह शौक है देखें, सितम की इन्तहा क्या है?
26-
दहर से क्यों ख़फ़ा रहें, चर्ख का क्या ग़िला करें।
सारा जहाँ अदू सही, आओ! मुक़ाबला करें॥
27-
मेरा रँग दे बसन्ती चोला, मेरा रँग दे।
मेरा रँग दे बसन्ती चोला। माय रँग दे बसन्ती चोला॥ भगत सिहं ||
28-
वतन पर मिटने वालों का तुम कर्ज चूका सकते नही
देश के रखवाले भगतसिह को हम भुला सकते नही
29-
अपने तो यही असली हीरो हैं
इनके आगे सब जीरो हैं
30-
बनाना है जीवन का आदर्श तो इनको बनाओ
देश प्रेम क्या होता है इनके जीवन से सीखो
31-
कौन कहता है कि बड़ा करने को
जिन्दगी बड़ी होनी चाहिए
अपने वीर भगतसिह जी से सीखो
23 की उम्र में देश पर फना हो गए
32-
सिहों में जो सिहं है
वो अपने प्यारे भगत सिहं हैं🙏🙏🌹🌹
33
ए मेरी कलम तू बीर भगत सिहं का
गुण गान कहाँ कर पाएगी ???
उनकी महानता लिखने को
वो लफ्ज कहाँ से लाएगी ???
देश भक्तों के सुविचार
34-
“तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा” || सुभाष चन्द्र बोस ||
35-
ये हमारा कर्तब्य है किहम अपनी स्वतन्त्रता का मोल अपने खून से चुकाएं हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आजादी मिले
हमारे अंदर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए|| सुभाष चन्द्र बोस ||
35-
. “स्वतंत्रता दी नहीं जाती, ली जाती है।”| सुभाष चन्द्र बोस ||
३६-
“मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक चोट ब्रिटिश साम्राज्य के क़फन की कील बनेगी।” लाला लाजपतराय
37-
‘राजनीतिक प्रभुत्व आर्थिक शोषण की ओर ले जाता है। आर्थिक शोषण पीड़ा, बीमारी और गंदगी की ओर ले जाता है और ये चीजें धरती के विनीततम लोगों को सक्रिय या निष्क्रिय बगावत की ओर धकेलती हैं और जनता में आज़ादी की चाह पैदा करती हैं।
38-
मैं आज़ाद था, हूँ और रहूँगा ये फिरंगी मुझे मरने के बाद ही मुझे छू पाएंगे “
39-
“तुम्हारा नाम क्या है?”
“मेरा नाम आज़ाद है।”
“तुम्हारे पिता का क्या नाम है?”
“मेरे पिता का नाम स्वाधीन है।”
“तुम्हारा घर कहाँ पर है?”
“मेरा घर जेलखाना है।”
४०-
‘मैं ब्रिटिश साम्राज्य का नाश चाहता हूँ’ || रामप्रसाद बिस्मिल||
41
मालिक तेरी रजा रहे और तू ही तू रहे।
बाकी न मैं रहूँ न मेरी आरजू रहे।।
जब तक कि तन में जान रगों में लहू रहे।
तेरा ही ज़िक्र या तेरी ही जुस्तजू रहे।। || रामप्रसाद बिस्मिल||
42-
“शक्ति के अभाव में विश्वास व्यर्थ है। विश्वास और शक्ति, दोनों किसी महान काम को करने के लिए आवश्यक हैं।”||सरदार वल्लभ भाई पटेल||
43-
“ऐसे बच्चे जो मुझे अपना साथ दे सकते हैं, उनके साथ अक्सर मैं हंसी-मजाक करता हूँ। जब तक एक इंसान अपने अन्दर के बच्चे को बचाए रख सकता है तभी तक जीवन उस अंधकारमयी छाया से दूर रह सकता है जो इंसान के माथे पर चिंता की रेखाएं छोड़ जाती है।”||सरदार वल्लभ भाई पटेल||
44-
“यहाँ तक कि यदि हम हज़ारों की दौलत गवां दें, और हमारा जीवन बलिदान हो जाए, हमें मुस्कुराते रहना चाहिए और ईश्वर एवं सत्य में विश्वास रखकर प्रसन्न रहना चाहिए।”||सरदार वल्लभ भाई पटेल||
45-
“मनुष्य को ठंडा रहना चाहिए, क्रोध नहीं करना चाहिए। लोहा भले ही गर्म हो जाए, हथौड़े को तो ठंडा ही रहना चाहिए अन्यथा वह स्वयं अपना हत्था जला डालेगा। कोई भी राज्य प्रजा पर कितना ही गर्म क्यों न हो जाये, अंत में तो उसे ठंडा होना ही पड़ेगा।”||सरदार वल्लभ भाई पटेल||
46-
“इस मिट्टी में कुछ अनूठा है, जो कई बाधाओं के बावजूद हमेशा महान आत्माओं का निवास रहा है।”|सरदार वल्लभ भाई पटेल||
47-
“स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं उसे लेकर ही रहूंगा!”|| बाल गंगाधर तिलक ||
48-
“ईश्वर कठिन परिश्रम करने वालों के लिए ही अवतार लेते है ना की आलसी व्यक्तियों के लिए, इस लिए कार्य करना आरंभ करें।”|| बाल गंगाधर तिलक ||
49-
. “आप केवल कर्म करते जाइए, उसके नतीजों पर लक्ष्य मत दीजिये।”|| बाल गंगाधर तिलक ||
50
. “जीवन एक ताश के खेल की तरह है, सही पत्तों का चयन हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन ताश के पत्तों के साथ अच्छा खेलना हमारी सफलता को निर्धारित करता है।”|| बाल गंगाधर तिलक ||
51-
“जो लोग शासन करते हैं, उन्हें यह देखना चाहिए कि लोग प्रशासन के प्रति कैसी प्रतिक्रिया देते हैं। अंततः, लोग अंतिम मध्यस्थ हैं.” || लाल बहादुर शास्त्री||
52-
जो शाशन करते हैं उन्हें देखना चाहिए कि लोग प्रशाशन पर किस तरह प्रतिक्रिया करते हैं। अंततः, जनता ही मुखिया होती है।| लाल बहादुर शास्त्री||
53-
हम सिर्फ अपने लिए ही नहीं बल्कि समस्त विश्व के लिए शांति और शांतिपूर्ण विकास में विश्वास रखते हैं।।| लाल बहादुर शास्त्री||
54-
यदि मैं एक तानाशाह होता तो धर्म और राष्ट्र अलग-अलग होते। मैं धर्म के लिए जान तक दे दूंगा। लेकिन यह मेरा नीजी मामला है। राज्य का इससे कुछ लेना देना नहीं है। राष्ट्र धर्मनिरपेक्ष कल्याण, स्वास्थ्य, संचार, विदेशी संबंधो, मुद्रा इत्यादि का ध्यान रखेगा, लेकिन मेरे या आपके धर्म का नहीं। वो सबका निजी मामला है।
55-
देश पर मिटना और देश ]के लिए मरजाना
देश के दीवानों से सीखो देश भक्ति का होना
देश भक्तों के लिए कविता – श्रद्धा सुमन🌹🌹🙏🙏
श्रद्धा सुमन करें अर्पण
आजादी के दीवानों को
तन मन धन किया अर्पण
ऐसे वीर परवानों को
देश रहे खुशहाल हर पल
देश की खातिर मिट गए सब
देश को ही माना सबने रब
सर श्रधा से झुक जाता याद आते जब जब
न दौलत की चाह थी न सोहरत की चाह
आजादी की खातिर चुनी बलिदान की राह
बीर सपूतों ने न्यौछावर किया खुद को निसकाम
कैसे भुलाए बैठे हैं हम उनका बलिदान
मेरा रंग दे बसंती चोला यही गीत उनका
देख वतन की गुलामी खून खौल उठा जिनका
जिनके लहू से सिचा यह हमन वतन उनका
कैसे हम चुका पाएंगे ऋण उनका
सोये काँटों पर हमारे आज की खातिर भूखे प्यासे
पद पानी रोटी त्यागी आजादी के प्यासे
लूट रहे सब आज देश को मिलजुलकर
शहीदों का त्याग तपस्या बलिदान भूलकर [[दिल से ]]
देश भक्ति पर मेरी कविता -“पाने को आजादी का दिन “
दोस्तों ये कविता मेरी उनआजादी के दीवानों के लिए है जिन्हुने देश को आजाद करने को जाने कितनी कुर्वानी थीं ,अपना सर्वस्व देश को देंने वाले आजादी के वीरों को श्रधान्जली देती हुई ये कविता जिसका शीर्षक है “पाने को आजादी का दिन “
“पाने को आजादी का दिन
जाने कितने बलिदान हुए
माताओं ने अपने लाल के खातिर
जाने कितने आश्रु व्हाए
जाने कितनी बहनो से भाई बिछुड़े
जाने कितनी सुहागिनो ने सुहागलुटाए
धरती को बिछोना बनाया
और अंबर को ओढ़ा
कितनी रातें भूखे सोये
पानी को जी भर तड़पे
पाने को आजादी का दिन
जाने कितने बलिदान हुए
धूप गर्मी सर्दी नही देखी
देश के खातिर खुदगर्जी नही देखी
नंगे पांव और कपड़े नही देखे
लाठी गोली तन पर झेले
पाने को आजादी का दिन
जाने कितने बलिदान हुए
देश के खातिर मौत से खेले
कितनी मुश्किल से पाई ये आजादी
सोच रहे आज हम नादान
याद कर कर दिया ऊँचा काम
पाने को आजादी का दिन जाने
कितन बलिदान हुए
नही हो सकते हम उनके
ऋण से जभी उऋण
चूका नही सकते उनके बलिदानों का ऋण
बेकारी बेबसी लाचारी के लिए आहुति
कदापि उन बीरों ने नही दी
देश को धर्म मजहब क्षेत्रवाद मे बाटो
ये उनका सपना नही
वोट बेचो और खरीदो ये
तो स्वतन्त्रता का मोल नही
घूस खोरी कामचोरी
आजादी की निशानी नही
सुनो देश के सभी देशवासियों
वीरों कि सच्ची श्रधांजलि यही
देश को सबल और मजबूत बनाए
देश से भृष्टाचार मिटाएं
गरीबी अशिक्षा मिटाए
प्रजा तन्त्र मजबूत बनाएं
भेदभाव मन से मिटाए
देश की संस्कृति बचाए
भारत का गौरब बढाए
देश को समृद्ध बनाए
तिरंगे को शीश झुकाए
वीरों को सच्ची श्रधांजलि देवें”