नफरत शायरी /नफरत में दर्ददिल से निकले अल्फाज-नफरत एक ऐसा भाव है जो दिल में जहर की तरह घर कर लेता है। कभी रिश्तों में दरार लाती है, तो कभी ज़िंदगी के रास्तों को मुश्किल बना देती है।नफ़रत , जो कभी-कभी दिल के भीतर गहरे जख्म छोड़ जाता हैजब मन में नफ़रत की आग सुलग रही हो। चाहे यह किसी अपने से हो, या दुनिया के छल से। इस पोस्ट में हम आपके लिए लेकर आए हैं नफरत शायरी का एक ऐसा संग्रह, जो दिल को छू भी जाएगा और सोचने पर मजबूर भी करेगा।
नफरत शायरी
अपनों से नफरत शायरी
झूठ से नफरत शायरी
खुद से नफरत शायरी
जिंदगी से नफरत शायरी
धोखा अपनों से नफरत शायरी
मतलबी नफरत शायरी
प्यार से नफरत शायरी
दोस्ती से नफरत शायरी
नफरत शायरी इमेज
नफरत शायरी /नफरत में दर्ददिल से निकले अल्फाज
1.
नफ़रत की आग जब हवाओं में फैलती है,
तो रिश्तों की खुशबू भी जल जाती है।
हर मुस्कान के पीछे दर्द छुपा होता है,
और हर खुशी नकली नजर आती है।
Nafrat ki aag jab hawaon mein phailti hai,
To rishte ki khushboo bhi jal jaati hai.
Har muskaan ke peeche dard chhupa hota hai,
Aur har khushi nakli nazar aati hai.3.
2.
नफरत ने सीखा दिया, जो प्यार ने समझाया नहीं,
दिल के आईने में अब, कोई चेहरा साफ़ नहीं।
Nafrat ne seekha diya, jo pyaar ne samjhaya nahi,
Dil ke aayine mein ab, koi chehra saaf nahi.
3.
रिश्तों की किताब में, नफरत का एक पन्ना है,
जो पढ़े वो समझे, इसमें सिर्फ़ जलन का गहना है।
Rishton ki kitaab mein, nafrat ka ek panna hai,
Jo padhe wo samjhe, ismein sirf jalan ka gehna hai.
4.
नफरत की आग में, हर रिश्ता राख हो गया,
जो कभी था अपना, अब वो भी पराया हो गया।
Nafrat ki aag mein, har rishta raakh ho gaya,
Jo kabhi tha apna, ab wo bhi paraya ho gaya.
5.
नफरत के हाथों ने, मोहब्बत का दम तोड़ा,
जो दिल कभी साफ़ था, वो अब अंधेरा छोड़ा।
Nafrat ke haathon ne, mohabbat ka dam toda,
Jo dil kabhi saaf tha, wo ab andhera chhoda.
6.
नफरत में जो डूबे, उनको किनारा मिला नहीं,
प्यार की मंज़िल थी पास, पर दिल संभला नहीं।
Nafrat mein jo doobe, unko kinaara mila nahi,
Pyaar ki manzil thi paas, par dil sambhla nahi.
7.
दिल को नफरत ने जकड़ा, मोहब्बत की जगह,
अब हर तरफ़ बस है, नफरत की वजह।
Dil ko nafrat ne jakda, mohabbat ki jagah,
Ab har taraf bas hai, nafrat ki wajah.
8.
नफरत का असर ऐसा, हर रंग फीका हो गया,
दिल को जोड़ा था कभी, अब वो रिश्ता खो गया।
Nafrat ka asar aisa, har rang pheeka ho gaya,
Dil ko joda tha kabhi, ab wo rishta kho gaya.
9.
नफरत की इस आंधी में, मोहब्बत बची नहीं,
जो कभी अपने थे, अब उनकी हस्ती रही नहीं।
Nafrat ki is aandhi mein, mohabbat bachi nahi,
Jo kabhi apne the, ab unki hasti rahi nahi.
10.
नफरत की दवा कौन सी, कोई तो हमें बताए,
दिल जो जला है मेरा, इसे कौन बुझाए।
Nafrat ki dawa kaun si, koi to humein bataye,
Dil jo jala hai mera, ise kaun bujhaye.
अपनों से नफरत शायरी
11.अपनों की नफरत से, दिल बेजान हो गया,
जो कभी अपने, थे वो अब अनजान हो गया।
Apno ki nafrat se, dil bejaan ho gaya,
Jo the kabhi apne, wo ab anjaan ho gaya.
12.
अपनों ने ही सीखा दिया, नफरत का ये खेल,
दिल में रह गई सिर्फ, दर्द भरी एक याद
Apno ne hi seekha diya, nafrat ka ye khel,
Dil mein reh gayi sirf, dard bhari ek yaad
13.
अपनों के ही वार ने, दिल का चैन लूटा,
नफरत का ये असर, हर सपना टूटा।:
Apno ke hi waar ne, dil ka chain loota,
Nafrat ka ye asar, har sapna toota.
14.
रिश्तों की किताब में, अपनों का दर्द लिखा,
जो कभी थे अपने, वो अब गैरों सा दिखा।
Rishton ki kitaab mein, apno ka dard likha,
Jo kabhi the apne, wo ab gairon sa dikha.
15.
अपनों से नफरत का, ये कैसा सिलसिला,
दिल ने जोड़ा था कभी, अब हर रिश्ता फिसला।
Apno se nafrat ka, ye kaisa silsila,
Dil ne joda tha kabhi, ab har rishta fisla.
16.
अपनों की नफरत ने, दिल को छलनी किया,
जो कभी थे अपने, उन्होंने ही दर्द दिया।
Apno ki nafrat ne, dil ko chhalni kiya,
Jo kabhi the apne, unhone hi dard diya.
17.
अपनों ने ही सिखाई, नफरत की ये राह,
जो था कभी उजाला, अब है सिर्फ़ सियाह।:
Apno ne hi sikhayi, nafrat ki ye raah,
Jo tha kabhi ujala, ab hai sirf siyah.
18.
अपनों से दूर होकर, अब दिल को सुकून है,
नफरत के साए में, हर रिश्ता जुनून है।
Apno se door hokar, ab dil ko sukoon hai,
Nafrat ke saaye mein, har rishta junoon hai.
19.
अपनों की नफरत ने, दिल को इतना जलाया,
जो घर था कभी अपना, अब वो बेगाना बनाया।:
Apno ki nafrat ne, dil ko itna jalaya,
Jo ghar tha kabhi apna, ab wo begana banaya.
20.
अपनों की बातों ने, दिल पर जो वार किया,
उस नफरत के जख्म को, किसी ने ना सहा।
Apno ki baaton ne, dil par jo waar kiya,
Us nafrat ke zakhm ko, kisi ne na saha.
झूठ से नफरत शायर
21.
झूठ की बुनियाद पर, रिश्ते नहीं टिकते,
जो सच से डरते हैं, वो कभी सच पर नही टिकते
22.
सच की रोशनी से, झूठ का अंधेरा डरता है,
पर झूठा इंसान, हर पल अपने आप से मरता है।
23.
झूठ से अगर बच सको, तो बच के रहना,
ये वो ज़हर है, जो रिश्तों को खत्म कर देता है।
24.
झूठ की लहरें कभी, सच्चाई को डुबो नहीं सकतीं,
पर सच्चाई की ताकत से, झूठ टिक नहीं सकती।
25.
झूठ बोलने वालों से, नफरत सी हो गई है,
सच के बिना ये ज़िंदगी, अधूरी सी हो गई है।
26.
झूठ का कद चाहे कितना भी बड़ा हो,
सच के आगे वो हमेशा झुका हो।
27.
झूठ से नफरत करना, इंसान का धर्म है,
सच के लिए लड़ना, यही जीवन का कर्म है।
28.
झूठ का सहारा लेकर, जीत मिल भी जाए,
पर वो जीत, दिल से अपनाई नहीं जाए।
29.
झूठ ने हर बार, दिल को दर्द दिया,
सच बोलने वाले को, हमेशा गर्व दिया।
30.
झूठ की ये आदत, दिलों को तोड़ देती है,
जो झूठ पे जीते हैं, वो खुद को छोड़ देती है।
31.
झूठ को सहना अब, मुझसे होता नहीं,
दिल तोड़ने वालों का, कोई अपना होता नहीं।
32.
झूठ की दीवारें, ज्यादा दिन टिकती नहीं,
सच का सूरज कभी, छिपकर रहता नहीं।
33.
झूठ से नफरत है, ये दिल बार-बार कहता है,
सच की राह पर चलने का, अपना ही मज़ा रहता है।
34.
झूठ ने जो रिश्ते तोड़े, उन्हें जोड़ना मुश्किल है,
सच ही वो धागा है, जो दिलों में सिलसिला है।
35.
झूठ से अगर नफरत नहीं, तो इंसान कैसा?
सच को अपनाना ही, दिल का है फैसला।
खुद से नफरत शायरी
36.
खुद से ही शिकवा है, खुद से ही गिला है,
दिल के आईने में बस, अधूरा सा है।
37.
खुद से नफरत करने का, अब बस यही कारण है,
जो चाहता था मैं बनना, उससे बहुत दूर जीवन है।
38.
आईना भी अब मुझसे, नजरें चुराने लगा है,
खुद से प्यार का रिश्ता, नफरत में बदलने लगा है।
39.
खुद की परछाई भी, अब अजनबी लगती है,
नफरत की आग में, हर उम्मीद जलती है।
40.
खुद से नाराज़गी ने, हर खुशी छीन ली है,
जो बचा था अंदर, वो सुकून भी अब नहीं है।
41.
खुद से ही जंग है, खुद से ही हारता हूं,
दिल के समंदर में, हर रोज डूब जाता हूं।
42.
खुद के फैसले ही, खुद को खलने लगे हैं,
जीने की वजह भी, अब सवाल बनने लगे हैं।
43.
जो था कभी मेरा गर्व, अब वो बोझ बन गया,
खुद से नफरत करते-करते, मेरा वजूद छिन गया।
44.
खुद को हर रोज, आईने में देखता हूं,
जिन गलतियों से नफरत है, उन्हें फिर दोहराता हूं।
45.
खुद की गलियों में, अब कोई रौशनी नहीं,
खुद से नफरत है, ये बात छुपानी नहीं।
46.
खुद से ही बैर है, खुद से ही जहर है,
जो इंसान बाहर दिखता है, वो अंदर से बेखबर है।
47.
खुद की उम्मीदों से, खुद को ही गिरा दिया,
जो था कभी अपना, वो रास्ता भुला दिया।
48.
खुद से मोहब्बत का, हर रंग उतर गया,
खुद से नफरत का सफर, अब इतना बढ़ गया।
49.
खुद से लड़ते-लड़ते, अब थक सा गया हूं,
खुद से ही दूर होकर, पराया बन गया हूं।
50.
खुद के सवालों का, जवाब ढूंढ़ नहीं पाता हूं,
खुद से नफरत के जख्म, हर रोज सहता हूं।
जिंदगी से नफरत शायरी
51.जिंदगी से शिकायतें, अब आम हो गई हैं,
खुशियां रूठ गईं और दर्द बातें खास हो गई हैं।
52.
जिंदगी की राहों में, ठोकरें ही ठोकरें मिलीं,
मंज़िल की चाह में, उम्मीदें भी अधूरी रहीं।
53.
जिंदगी ने हर खुशी, मुझसे छीन ली,
अब ये सांसें भी लगती हैं, जैसे बेमानी सी।
54.
जिंदगी से नफरत का, हर पल एहसास होता है,
जब दिल टूटता है, तो हर सपना खाक होता है।
55.
जिंदगी के खेल ने, दिल से सब छीन लिया,
जो बचा था थोड़ा, वो भी गम ने पी लिया।
56.
जिंदगी के झूठे वादों ने, मुझे बेबस बना दिया,
खुद को ढूंढते-ढूंढते, मैं खुद से खो गया।
57.
जिंदगी से नफरत करना, अब आदत सी हो गई है,
दिल की खामोशी, अब मेरी हालत हो गई है।
58.
जिंदगी से प्यार कभी था, अब नफरत सी है,
हर मोड़ पर बस तन्हाई की एक लहर सी है।
59.
जिंदगी ने जो दिया, वो कभी समझ नहीं पाया,
खुशियां मांगता रहा, और ग़मों का हर साया।
60.
जिंदगी के सफर में, सुकून कहीं खो गया,
जो कभी था सपना, वो भी अब सो गया।
61.
जिंदगी के जवाबों ने, हर सवाल अधूरा छोड़ दिया,
दिल ने चाहा जीना, पर हालातों ने तोड़ दिया।
62.
जिंदगी से नफरत का, ये कैसा अंधेरा है,
हर तरफ बस मायूसी का गहरा सवेरा है।
63.
जिंदगी से लड़ते-लड़ते, अब थक चुका हूं,
नफरत के जख्मों से, हर दर्द झेल चुका हूं।
64.
जिंदगी का ये बोझ, अब सहा नहीं जाता,
हर खुशी का एहसास, खोया नहीं जाता।
65.
जिंदगी से जो नफरत है, वो हर पल दिखती है,
दिल की तन्हाई, अब सिर्फ सिसकती है।
66.
जिंदगी ने हर ख्वाब को, रेत की तरह बहा दिया,
जो चाहा था कभी, उसे दूर कहीं छुपा दिया।
67.
जिंदगी से दूर जाना, अब मेरी आरज़ू है,
ग़मों के सागर में डूबना, अब मेरी जुस्तजू है।
68.
जिंदगी की सच्चाई, अब जहर सी लगती है,
हर खुशी की चाह, अब बेवजह सी लगती है।
69.
जिंदगी के किस्से, अब अधूरे ही लगते हैं,
दिल के जख्म, अब फफोले से लगते हैं।
70.
जिंदगी से नफरत का, ये सफर अनजाना है,
जिसे कभी चाहा था, वो ही अब बेगाना है।
मतलबी नफरत शायरी
71.
मतलबी दुनिया के रंग, हर रोज बदल जाते हैं,
जो चेहरे हंसते थे संग, अब पीठ दिखा जाते हैं।
72.
मतलबी रिश्तों का सच, अब समझ आ गया है,
जहां मतलब खत्म हुआ, वहां हर कोई पराया है।
73.
मतलब के तराजू में, तोलते हैं यहां रिश्ते,
दिल की कोई कीमत नहीं, बस फायदा ही दिखते।
74.
मतलबी दुनिया में, अपनापन बस दिखावा है,
जिनसे उम्मीद थी खुशी की, वही अब घाव हैं।
75.
मतलबी लोगों से, अब मोहब्बत नहीं होती,
इनके झूठे चेहरों से, सच्चाई कहीं खोती।
76.
मतलबी जमाने में, कोई अपना नहीं होता,
हर कोई बस अपने फायदे का, सपना संजोता।
77.
मतलबी दुनिया के लोग, अपनी चालें चलते हैं,
जो दिल से सच्चे होते हैं, वही अक्सर जलते हैं।
78.
मतलबी लोगों ने, हर रिश्ते को बेकार किया,
जो दिल से जुड़े थे कभी, उन्हें भी लाचार किया।
79.
मतलबी दुनिया की हकीकत, अब समझ में आई है,
जिन्हें अपनाया था दिल से, उनकी मंशा परछाई है।
80.
मतलब के इस खेल में, दिल हार जाता है,
जो कभी अपना लगता था, वही दर्द दे जाता है।
81.
मतलबी लोग हमेशा, नकाब पहन के आते हैं,
सच जानने पर वो, खुद से भी कतराते हैं।
82.
मतलबी रिश्ते वो हैं, जो वक्त पर बदलते हैं,
दिलों की जगह, ये दिमाग से चलते हैं।
83.
मतलब के पीछे भागते-भागते, इंसान खो गया,
जो कभी सच्चा था, वो आज झूठा हो गया।
84.
मतलबी दुनिया की रीत, अब समझ नहीं आती,
जहां दिल के बदले, सिर्फ साजिशें मिल जाती।
85.
मतलबी लोगों से, हर पल सतर्क रहना,
इनके झूठे वादों से, खुद को बचा कर चलना।
86.
मतलबी चेहरे देखकर, अब दिल नहीं बहलता,
जो दिखते हैं अपने, वही रिश्ता तोड़ चलता।
87.
मतलब की बातें सुनकर, दिल चूर हो जाता है,
सच्चाई के बदले, हर झूठ मंजूर हो जाता है।
88.
मतलबी दुनिया में, सच्चाई की कदर नहीं,
यहां झूठे चेहरों को ही, मिलती है जगह कहीं।
89.
मतलबी लोग वहां होते हैं, जहां तकलीफ नहीं होती,
इनके नकाब उतरते ही, सच्चाई से मोहब्बत होती।
90.
मतलब के इस खेल ने, इंसानियत को मार दिया,
जो दिल से सच्चे थे, उन्हें बेकार कर दिया।
प्यार से नफरत शायरी
91.
प्यार से अब नफरत सी, दिल को होने लगी है,
जिस पर किया था यकीन, वही चोट देने लगी है।
92.
प्यार ने जो दिए थे ख्वाब, वो सब टूट गए,
अब हर जख्म गहरा है, और हम खुद से रूठ गए।
93.
प्यार का नाम सुनकर, अब दिल थम जाता है,
जिसे चाहा था हमने, वो खंजर चलाता है।
94.
प्यार ने सिखाया था जीना, अब मरना सिखा दिया,
जिस पर था एतबार, उसने हर सपना मिटा दिया।
95.
प्यार की राहों में, सिर्फ कांटे ही पाए,
दिल ने जिसे चाहा, उसने हर दर्द दिए।
96.
प्यार से नफरत का, ये कैसा सफर है,
जिसे समझा था खुदा, वही बेखबर है।
97.
प्यार के नाम पर, हर बार छल किया,
दिल ने मांगी वफा, और उसने गम दिया।
98.
प्यार ने जो दिए थे, वो जख्म कभी भरते नहीं,
जिस पर किया था भरोसा, वो अब नजर आते नहीं।
99.
प्यार की गहराइयों ने, बस दर्द ही सिखाया है,
जो बन गए थे अपने, उन्होंने हर पल रुलाया है।
100.
प्यार से नफरत का, अब ये हाल हुआ है,
दिल की तन्हाई में, हर सपना धुआं हुआ है।
101.
प्यार से भरोसा उठ चुका, दिल का करार गया,
जिसने चाहा था हमें, वो ही हमें हार गया।
102.
प्यार का हर रिश्ता, अब फरेब सा लगता है,
दिल की सच्चाई भी, अब अधूरी सी लगती है।
103.
प्यार के नाम पर, जो खेल किए गए,
दिल के हर टुकड़े को, अब सवाल दिए गए।
104.
प्यार ने जो दिया, वो दर्द से कम नहीं,
हर वादा तोड़ा गया, और रिश्ते कहीं नहीं।
105.
प्यार से नफरत का, ये एहसास अजीब है,
दिल की तन्हाई में, हर ख्वाब करीब है।
106.
प्यार की बातें, अब दिल को चुभती हैं,
जिन्हें अपना समझा, वो ही पीठ पर वार करते हैं।
107.
प्यार ने जो दिए थे, वो सबक भूल नहीं पाते,
दिल ने जो मांगा था, वो कभी मिल नहीं पाते।
108.
प्यार की गलियों में, हर मोड़ धोखा है,
दिल ने जिसे चाहा, वही अब रोका है।
109.
प्यार से नफरत का, अब ये सफर अनजाना है,
दिल के अरमानों का, हर टुकड़ा बेगाना है।
110.
प्यार ने दिल को ऐसा दर्द दिया है,
हर खुशी के बदले, गम का साया दिया है।
दोस्ती से नफरत शायरी
111.
दोस्ती का नाम अब दिल से मिटा दिया है,
जो कभी अपना था, उसे ही दूर किया है।
112.
दोस्ती के इस सफर में, बस धोखा मिला,
जो ख्यालों में था सच्चा, वही झूठा निकला।
113.
दोस्ती की राहों में, दर्द ही मिले,
जो कभी साथ था, वही अब बदल जाए।
114.
दोस्ती के वादों ने, अब उम्मीदें तोड़ीं,
जो दिल से चाहा था, वही ख्वाहिशें खोड़ीं।
115.
दोस्ती के नाम पर, अब बस झूठ का रंग है,
जो थे कभी अपने, वो अब बस तमाशा बन गए हैं।
116.
दोस्ती का हक़, अब कोई समझता नहीं,
वो जो कभी साथी थे, अब दूर हो गए हैं।
117.
दोस्ती के रिश्ते में, सिर्फ धोखा मिला,
जो सच्चे थे कभी, वो अब नफरत का गिला।
118.
दोस्ती का प्यार अब बस ख्वाब सा लगता है,
हर कोई अपने मतलब से रिश्ता निभाता है।
119.
दोस्ती का मासूम चेहरा, अब जख्म दे जाता है,
जो दिल से जुड़ा था कभी, वही अब दूर हो जाता है।
120.
दोस्ती से नफरत का, यह पहला कदम है,
जो कभी साथ था, अब वो मेरा दुश्मन है।
121.
दोस्ती के नाम पर, सिर्फ अफसाने बने,
जो कभी थे अपने, वो अब बेगाने बने।
122.
दोस्ती का झूठ अब दिल में कांटे सा चुभता है,
जो था मेरा सबसे करीबी, वही अब मुझसे दूर जाता है।
123.
दोस्ती के रास्ते में, अब सिर्फ अंधेरे हैं,
जो थे मेरे साथी, अब उनके चेहरे बेरूखे हैं।
124.
दोस्ती की नासमझी में, दिल टूटता है,
हर कोई अपने मतलब के लिए, रिश्ते बदलता है।
125.
दोस्ती से नफरत का यह एहसास घुन सा लगता है,
जो कभी परिवार जैसा था, वही अब मुझे दूर सा लगता है।
126.
दोस्ती की बातें अब झूठी लगती हैं,
जो कभी मेरे पास थे, अब वही दूर भागते हैं।
127.
दोस्ती का चेहरा अब मुझे डराता है,
जो कभी साथ था, वही अब धोखा खाता है।
128.
दोस्ती से नफरत अब खुद से भी ज्यादा है,
जो कभी सच्चा था, वही अब झूठा है।
129.
दोस्ती में जो इमानदारी थी, वो अब खो गई,
जो दिल से अपना था, वही अब छोड़ गई।
130.
दोस्ती के वादे अब बेमानी से लगते हैं,
जो सबसे करीब थे, वही अब मुझे अजनबी से लगते है