वीर बाल दिवस|साहिबजादों के सम्मान में शायरी| » Dard E Jazbaat वीर बाल दिवस|साहिबजादों के सम्मान में शायरी| वीर बाल दिवस|साहिबजादों के सम्मान में शायरी|

वीर बाल दिवस|साहिबजादों के सम्मान में शायरी|

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वीर बाल दिवस|साहिबजादों के सम्मान में शायरी|- आज की इस post में हम वीर बाल दिवस की बात करेंगे वीर बाल दिवस एक विशेष दिन है जिसे भारत में गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे पुत्रों, साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह, की वीरता और बलिदान की याद में मनाया जाता है। यह दिवस उनके अद्वितीय साहस, निष्ठा और धर्म के प्रति समर्पण को सम्मानित करने के लिए समर्पित है।आइये याद करें वीर बालकों को जो अन्याय और अधर्म के आगे झुके नहीं बल्कि सत्य और धर्म के लिए बलिदान हो गए

वीर बाल दिवस पर शायरी
वीर बाल दिवस
वीर बाल दिवस पर निबंध
वीर बाल दिवस कब मनाया जाता है
वीर बाल दिवस क्यों मनाया जाता है
वीर बाल दिवस इतिहास

इतिहास

गुरु गोबिंद सिंह जी के चार पुत्र थे: साहिबजादा अजीत सिंह, साहिबजादा जुझार सिंह, साहिबजादा जोरावर सिंह, और साहिबजादा फतेह सिंह। साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह केवल 9 और 7 वर्ष के थे जब उन्हें मुग़ल सेना के सामने अपार यातनाएं सहनी पड़ीं। वे सिरहिंद के मुगल सूबेदार वजीर खान द्वारा बंदी बनाए गए और उनसे जबरन इस्लाम कबूल करने का दबाव डाला गया। लेकिन उन्होंने अपने धर्म की रक्षा के लिए दृढ़ता से इनकार कर दिया।साहिबजादा जोरावर सिंह (9 वर्ष) और साहिबजादा फतेह सिंह (7 वर्ष) को दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया। उनका यह बलिदान धर्म की रक्षा और अपनी आस्था के प्रति निष्ठा के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। उनकी दादी, माता गुजरी, ने भी यह खबर सुनकर अपनी अंतिम सांस ली, लेकिन साहिबजादों की दृढ़ता पर गर्व महसूस किया।

बलिदान की कहानी

सन् 1704 में आनंदपुर साहिब पर मुग़ल और पहाड़ी राजाओं की संयुक्त सेना ने हमला किया। गुरु गोबिंद सिंह जी अपने परिवार और अनुयायियों के साथ किले से बाहर निकले और अलग-अलग मार्गों से आगे बढ़े। इस संघर्ष में, गुरु जी की माता जी, माता गुजरी, और साहिबजादा जोरावर सिंह व फतेह सिंह उनसे अलग हो गए। वे दोनों अपनी दादी माता गुजरी के साथ सरहिंद के सूबेदार वजीर खान के हाथों में गिरफ़्तार हुए।
वजीर खान ने साहिबजादों से कहा कि वे इस्लाम कबूल कर लें, जिससे उन्हें उच्च पद और सम्मान मिलेगा। लेकिन बालकों के दृढ़ता और साहस ने सभी को चकित कर दिया। उन्होंने गर्व से अपने धर्म और सिद्धांतों का पालन किया और कहा: “हमारे प्राण ले सकते हो, पर हमारी आस्था नहीं।”वजीर खान ने उनके इस साहस को देखकर उन्हें जिंदा दीवार में चिनवा देने का आदेश दिया। इसके बावजूद, दोनों साहिबजादों ने अपनी आस्था और सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं किया। उनके इस महान बलिदान ने पूरे सिख समुदाय के लिए प्रेरणा का स्रोत बना दिया और उन्हें ‘वीर बाल’ के रूप में सम्मानित किया गया।

वीर बाल दिवस की शुरुआत

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की थी। इसका उद्देश्य न केवल साहिबजादों के बलिदान को याद करना है, बल्कि इसे एक प्रेरणा के रूप में पेश करना है ताकि लोग उनके साहस और धर्मनिष्ठा से प्रेरणा ले सकें। और आने वाली पीढ़ियों को साहिबजादों के बलिदान से प्रेरित करना है। यह दिन हमें अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक करता है और याद दिलाता है कि सच्चे साहस की कोई आयु नहीं होती। साहिबजादों की कहानी हमें यह सिखाती है कि धर्म और मूल्यों की रक्षा के लिए बलिदान देना ही सच्ची वीरता है।

महत्व

यह दिवस लोगों को साहिबजादों के अमर बलिदान की कहानी बताने और उनके आदर्शों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है।साहिबजादों का बलिदान न केवल एक ऐतिहासिक घटना है, बल्कि यह एक शिक्षा भी है। यह हमें बताता है कि जब तक हम अपने धर्म और मूल्यों के प्रति निष्ठावान हैं, तब तक कोई शक्ति हमें हरा नहीं सकती। बच्चों और युवाओं को साहिबजादों की कहानी से यह प्रेरणा लेनी चाहिए कि सच्चाई और धर्म के पथ पर चलने से कठिनाइयों का सामना करना पड़े, तब भी साहस बनाए रखना चाहिए।
बच्चों और युवाओं में धर्म, संस्कृति और साहस की भावना को प्रोत्साहित करता है।
यह इस बात की भी याद दिलाता है कि धर्म और न्याय के लिए किए गए बलिदान हमेशा याद किए जाएंगे और उनका महत्व अनमोल है।

समारोह और कार्यक्रम

इस दिन को विशेष कार्यक्रमों, धार्मिक सभाओं, कविताओं और वीरता की कहानियों से मनाया जाता है। स्कूलों और संगठनों में शहीदों की याद में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और उनकी वीरता के उदाहरण दिए जाते हैं।

वीर बाल दिवस पर शायरी

वीर बाल दिवस पर शायरी
वीर बाल दिवस पर शायरी

1

“जब सत्य और न्याय की रक्षा का समय आया,
नन्हें साहिबजादों ने मौत को भी मुस्कराते हुए गले लगा लिया। ।”

2

“साहिबजादों की कहानी हमें सिखाती है सच्ची वीरता न स्थिति,न उम्र देखती है,
वह केवल धर्म और निष्ठा के प्रति समर्पण चाहती है।”

3

“साहिबजादा जोरावर सिंह और फतेह सिंह का बलिदान हमें याद दिलाता है
कि धर्म की रक्षा के लिए निडरता से खड़ा होना ही असल जीवन है।”

वीर बाल दिवस पर शायरी
वीर बाल दिवस पर शायरी

4

“वीरता वह है जब जीवन और मृत्यु की परीक्षा में धर्म और आस्था की जीत हो\
हम सब का जीवन सत्य के लिए वीर साहिबजादों जेसा हो “

5

“साहिबजादों की निष्ठा ने यह प्रमाणित कर दिया
सत्य का मार्ग कठिन हो सकता है, सत्य ने उन्हें अमर बना दिया “

6

“बचपन की नाजुक उम्र में जिस साहस और दृढ़ता का परिचय साहिबजादों ने दिया
साहिबजादों के त्याग ने हमको नतमस्तक करा दिया ।”

7

“दीवारों में चुनवा दिए जाने पर भी जिनकी निष्ठां अडिग रही
साहिबजादे हमें बता गए सच्च्चे वीर है वही।”

8

“साहिबजादों का बलिदान उस दीपक की तरह है
जो अंधकार में भी अपनी रोशनी को बरकरार रखता है।”

9

“वीर बाल दिवस हमें याद दिलाता है साहिबजादों के त्याग ने
इतिहास के पन्नों में अमिट छाप छोड़ी है।”

10

“उनकी वीरता एक ऐसा पाठ है जिसे पढ़ने के बाद मन साहस से भर उठता है
और मन आत्मा धर्म की सच्चाई में विश्वास करती है।”

11

“साहिबजादों की आस्था और साहस ने यह साबित कर दिया है
बलिदान का अर्थ केवल जान देना नहीं, बल्कि मूल्यों की रक्षा करना है।”

12

“माता गुजरी के आशीर्वाद और साहिबजादों की दृढ़ता ने
दुनिया को सिखा दिया कि सच्चा बलिदान क्या होता है।”

13

“साहिबजादों की वीरता से हम यह सीखते हैं कि सच्चे योद्धा वही हैं
जो कठिनाई में भी अपने आदर्शों पर अडिग रहते हैं।”

14

“जब धर्म का सवाल हो, तो वीरता न आयु देखती है,
न भय। साहिबजादों की निष्ठा इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।”

15

“”जो बच्चों की तरह निर्दोष हों और योद्धाओं की तरह अडिग,
वे ही इतिहास में साहिबजादों की तरह रहते हैअमिट

16

“साहिबजादों की निष्ठा हमारे दिलों को यह यकीन दिलाती है
कि सत्य की राह कभी निराशा नहीं देती, है।”

17

“जिनके लिए धर्म रक्षा और सत्य की साधना जीवन से भी ऊपर है
, वे साहिबजादे हमारे युग के सच्चे नायक हैं।”

18

“वीरता का वह दृश्य जब दीवारें भी साहिबजादों के हौसले को तोड़ न सकीं,
यह बताता है कि निष्ठा अमर होती है। सत्य से बढ़कर कुछ भी नही “

20

उनकी कहानी में वीरता का जज़्बा था,
हर लफ्ज़ में साहस का रिश्ता था।”
. “Unki kahani mein veerta ka jazba tha,
har lafz mein saahas ka rishta tha.”

21

“नन्हें कदमों ने इतिहास रच दिया,
उनकी वीरता ने हर दिल को छू लिया।”
. “Nanhe kadmon ne itihaas rach diya,
unki veerta ne har dil ko chhoo liya.”

22

“बचपन में ही जो बन गए मिसाल,
वे वीर बाल हमें देते हैं हौसला हर साल।”
“Bachpan mein hi jo ban gaye misaal,
ve veer baal humein dete hain hausla har saal.

23

“शौर्य की मशाल लेकर चले वो बीर बाल
, उनके साहस ने बदला इतिहास का हाल।”
“Shaurya ki mashaal lekar chale wo veer baal,
unke saahas ne badla itihaas ka haal.”

24

“जो बालपन में दिखाए साहस की राह,
वही बनता है देश का सच्चा गवाह।”
“Jo baalpan mein dikhaye saahas ki raah,
wahi banta hai desh ka sachcha gawaah.”

25

“वीरता का पाठ वे नन्हें वीर पढ़ा गए,
अपने कर्मों से अमरता को पा गए।”
. “Veerta ka paath ve nanhe padha gaye
, apne karmon se amarta ko paa gaye.”

वीर बाल दिवस पर शायरी
वीर बाल दिवस पर शायरी

26

“वीर बाल वो, जिनका हौसला पर्वतों से ऊँचा था
, नन्ही उम्र में ही जो कर गए नाम रोशन था।”
Veer baal wo, jinka hausla parvaton se ooncha tha,
nanhi umr mein hi jo kar gaye naam roshan tha.”

27

“उनकी वीरता के किस्से गूँजते हैं फिजाओं में,
साहस और प्रेम बसा है उनकी दुआओं में।”
“Unki veerta ke kisse goonjte hain fizayon mein,
saahas aur prem basa hai unki duaon mein.”

28

“संघर्ष की राह पर जो बढ़ते रहे,
अपने अदम्य साहस से जग को चौंकाते रहे।”
. “Sangharsh ki raah par jo badhte rahe
, apne adamya saahas se jag ko chonkaate rahe.”31

29

“बाल हृदय में बसा अटूट विश्वास
, उनका साहस है देश की महान धरोहर का एहसास।”
“Baal hriday mein basa atoot vishwas,
unka saahas hai desh ki mahaan dharohar ka ehsaas.”

31

“साहिबजादे जिनकी वीरता का है बखान,
उनके साहस से रोशन है जहान।”
. “Sahibzade jinki veerta ka hai bakhaan,
Unke saahas se roshan jahan.”

32

“बचपन में ही दिखाए जो अद्भुत शौर्य,
साहिबजादों के नाम से महकता है हर मोड़।”
. “Bachpan mein hi dikhaye jo adbhut shaurya,
Sahibzadon ke naam se mehakta hai har mod.”

33

“जो धर्म के लिए दी जान की बाजी,
साहिबजादों की वीरता की कहानी है सजी।”
. “Jo dharm ke liye di jaan ki baazi,
Sahibzadon ki veerta ki kahani hai saji.”

35

“उनकी कुर्बानी से मिली हमें आज़ादी,
साहिबजादों ने लिखी इतिहास की नई साड़ी।”
“Unki qurbaani se mili humein azaadi,
Sahibzadon ne likhi itihaas ki nayi saadi.”

34

“साहस और श्रद्धा का जो रखे हैं मिसाल,
साहिबजादों की वीरता को करे हर कोई सलाम।”
. “Sahas aur shraddha ka jo rakhe hain misaal,
Sahibzadon ki veerta ko kare har koi salaam.”

35

“जिन्हें देखकर प्रेरणा मिलती है हर दिल को,
साहिबजादों की वीरता है जग में सबसे अनमोल।”
. “Jinhe dekhkar prerna milti hai har dil ko,
Sahibzadon ki veerta hai jag mein sabse anmol.”

36

“वे हैं सच्चे वीर, जिन्होंने दिया सब कुछ,
साहिबजादों की कहानियों में बसा है गर्व, न कोई रुच।”
. “Ve hain sacche veer, jinhone diya sab kuch,
Sahibzadon ki kahaniyon mein basa hai garv, na koi ruch.”

37

“जो धर्म और सत्य की राह पर चलते हैं,
साहिबजादों का नाम, हर युग में महकते हैं।”
. “Jo dharm aur satya ki raah par chalte hain,
Sahibzadon ka naam, har yug mein mehakte hain.”

38

“वीरता का यह पाठ हमें सिखाते हैं,
साहिबजादों की कुर्बानी को याद दिलाते हैं।”
. “Veerta ka yeh paath humein sikhate hain,
Sahibzadon ki qurbaani ko yaad dilate hain.”

39

“बच्चों को दिखाते हैं साहस का रास्ता,
साहिबजादों की प्रेरणा है सच्चा मास्टर।”
. “Bachchon ko dikhate hain saahas ka raasta,
Sahibzadon ki prerna hai sachcha master.”

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